साल 3025 में कैसी होगी दुनिया; गहरा रंग, छोटा कद और छोटे मस्तिष्क के साथ कैसा दिखेगा इंसान?
जल्दी परिपक्वता तक पहुंचने से जीवों को अपने जीवनकाल में अधिक संतानें पैदा करने की अनुमति मिलती है। लेकिन जल्द परिपक्व होना छोटे कद से जुड़ा पाया गया है। ऐसे में जल्दी परिपक्व होने वाले लोग अधिक बच्चे पैदा करते हैं तो भविष्य की जनसंख्या में छोटे कद के जीन बढ़ सकते हैं। फोन और कंप्यूटर के इस्तेमाल के कारण इंसानों में पंजे जैसे हाथ विकसित हो सकते हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ रही है, इंसानों में भी काफी तरह के बदलाव हो रहे हैं। तकनीक, अंतरिक्ष यात्रा और जलवायु परिवर्तन, ये तीन मुख्य कारण है जिसकी वजह से दुनिया काफी तेजी से बदल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन चीजों की वजह से इंसान भी काफी ज्यादा बदल जाएंगे।
अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने एक शोध के बाद ये कल्पना की है कि मानव जाति किस तरह विकसित हो सकती है। यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के प्रोफेसर थॉमस का मानना है कि आने वाले एक हजार वर्षों महिलाओं को अपने साथी चुनने की अधिक स्वतंत्रता होगी।
ऐसे में महिलाओं द्वारा सफल, बुद्धिमान, अच्छे दिखने वाले या अन्य आकर्षक गुणों वाले पुरुषों के चयन की अधिक संभावना होगी। इससे औसत व्यक्ति अधिक आकर्षक, सफल या बुद्धिमान हो सकता है।
एग्लिया रस्किन यूनिवर्सिटी में जैव सूचना विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. जेसन हॉजसन का माननना है कि भविष्य में इंसान अधिक समान दिखेंगे।
जैसे-जैसे मानवता अधिक मिश्रित होगी और सांस्कृतिक या नस्लीय बाधाएं टूटेंगी, इंसान की त्वचा का रंग गहरा और समानताएं बढ़ती जाएंगी। आने वाले समय में अंतरजातीय विवाह और लंबी दूरी का प्रवास अधिक सामान्य होने की संभावना है।
जल्दी परिपक्व होने की चाहत में घटेगा कद
प्रोफेसर थॉमस के अनुसार, जल्दी परिपक्वता तक पहुंचने से जीवों को अपने जीवनकाल में अधिक संतानें पैदा करने की अनुमति मिलती है। लेकिन जल्द परिपक्व होना छोटे कद से जुड़ा पाया गया है। ऐसे में जल्दी परिपक्व होने वाले लोग अधिक बच्चे पैदा करते हैं, तो भविष्य की जनसंख्या में छोटे कद के जीन बढ़ सकते हैं।
कंप्यूटर और फोन के इस्तेमाल से झुकी हुई पीठ और पंजे जैसे हाथ
फोन और कंप्यूटर के अधिक इस्तेमाल और खराब जीवनशैली के कारण इंसानों में झुकी हुई पीठ या पंजे जैसे हाथ विकसित हो सकते हैं। नींद की कमी से शरीर में बड़े बदलाव हो सकते हैं।
इंसानों के मस्तिष्क छोटे हो सकते हैं
न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रॉबर्ट ब्रूक्स के अनुसार, समय के साथ इंसानों के मस्तिष्क छोटे हो सकते हैं। जैसे-जैसे कंप्यूटर जीवन के विभिन्न आयामों को संभालते जाएंगे और तकनीक पर निर्भरता बढ़ेगी, बड़े मस्तिष्क का लाभ कम हो जाता है।
बाथ यूनिवर्सिटी के जीवविज्ञानी डॉ. निकोलस लॉन्गरिच के मुताबिक, दिलचस्प बात यह है कि हम खुद के ही पालतू बन गए हैं।' अध्ययन में पता चला है कि पालतू बनाने के बाद भेड़ों ने अपने मस्तिष्क का 24%, गायों ने 26% और कुत्तों ने 30% हिस्सा खो दिया।
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