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    विश्‍व की चिंताओं को बढ़ाने वाली है UN की रिपोर्ट, कष्‍टदायी हो सकता है हमारी आपकी जनरेशन का भविष्‍य

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Tue, 12 Jul 2022 10:36 AM (IST)

    World Population Prospect 2022 की जो रिपोर्ट सामने आई है वो विश्‍व की चिंताओं को बढ़ाने वाली है। 8 अरब से अधिक की आबादी का पेट भरने के लिए उन्‍हें शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं देने के लिए जरूरी ढांचा विश्‍व में उपलब्‍ध नहीं होगा।

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    विश्‍व की आबादी को लेकर आई रिपोर्ट खतरे का संकेत है।

    नई दिल्‍ली (कमल कान्‍त वर्मा)। World Population Prospect 2022  की जो रिपोर्ट दुनिया के सामने आई है, वो चिंताओं को बढ़ाने वाली है। आने वाले दशकों में विश्‍व की जनसंख्‍या में जो तेजी की तस्‍वीर पेश की गई है उसको देखते हुए ये कहना कोई गलत नहीं होगा कि विश्‍व की आने वाली जनरेशन के लिए आने वाला समय बेहद कष्‍टकारी होगा। इसकी वजह बेहद साफ है। सीमित संसाधनों के बी इतनी बड़ी आबादी की जरूरतों को पूरा नहीं किया जा सकेगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष नवंबर में विश्‍व की आबादी 8 अरब के आंकड़े को छू लेगी। इस रिपोर्ट में वर्ष 2100 तक का जिक्र कि गया है जिसमें आबादी दस अरब के पार हो जाएगी। लिहाजा, आने वाले समय में विश्‍व के सामने जो संकट समय के साथ विकराल होता चला जाएगा वो एक नहीं कई होंगे।  

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    खाद्य भंडार की चिंता

    यूएन की रिपोर्ट जिस तरह से आने वाले दशकों में जनसंख्‍या वृद्धि की संभावना जताई गई है, उसको देखते हुए खाद्यान्‍न की कमी एक बड़ी समस्‍या बन सकती है। इतनी बड़ी जनसंख्‍या को दो वक्‍त का खाना मुहैया करवाना विश्‍व के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होगी। संयुक्‍त राष्‍ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में भी विश्‍व की आबादी का एक बड़ा हिस्‍सा जो करीब 8 फीसद है, दो वक्‍त के भोजन को भी तरसता है। World food program के आंकड़ों के मुताबिक विश्‍व में करीब 61 करोड़ लोग भूखे पेट सोते हैं। विश्‍व के करीब 80 देशों के लोगों के सामने ये सबसे विकराल समस्‍या है।

    पीने के पानी की समस्‍या

    बढ़ती आबादी का बोझ ग्राउंड वाटर कैपेसिटी पर भी पड़ना लाजमी है। मौजूदा समय मे जहां दुनिया की दो तिहाई आबादी पानी की कमी से जूझ रही है। यूनिसेफ के मुताबिक विश्‍व के करीब दो अरब लोग उन देशों में रहते हैं जहां पर जरूरत के हिसाब से पानी नही है। इतना ही नहीं आने वाले दो दशकों में दुनिया में चार में से एक बच्‍चा पानी के गंभीर संकट का सामना करने को मजबूर होगा। ऐसे में ये धरती पर बढ़ती आबादी की प्‍यास कैसे बुझाई जा सकती है।

    स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं पर बोझ

    बढ़ती आबादी विश्‍व की स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं पर भी विपरीत असर डालेगी। यूएन की ताजा रिपोर्ट में जो आंकड़े बताए गए हैं उनको देखते हुए कहा जा सकता है कि विश्‍व की स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं इतनी बड़ी आबादी को सुरक्षा देने में नाकाफी साबित होंगी। कोरोना महामारी का ताजा उदाहरण हम सभी के सामने मौजूद है। वर्तमान की ही बात करें तेा विश्‍व के कई देशों में बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं का जबरदस्‍त अभाव है। इसका जिक्र खुद विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने कई बार अपनी रिपोर्ट में किया है। जहां कर वर्ष लाखों बच्‍चे स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ देते हों और जहां बेहद सुविधा, भोजन और पानी न मिलने की वजह से लाखों गर्भवती महिलाएं कुपोषित बच्‍चों को जन्‍म देती हों, वहां पर इतनी बड़ी आबादी की कल्‍पना करना भी डराने वाला है। ‍

    नौकरी या रोजगार की कमी

    विश्‍व में फैली कोरोना महामारी ने दुनिया में करोड़ों लोगों को बेरोजगार कर दिया है। करीब तीन वर्षों से दुनिया इस महामारी से जूझ रही है। आज भी करोड़ों लोग इसके आफ्टर इफेक्‍ट से उबर नहीं पाए हैं। ऐसे जब विश्‍व की आबादी दस अरब के आंकड़े के पास होगी तो दुनिया में रोजगार के अवसर भी बेहद कम जाएंगे। ऐसे में बिना रोजगार के अधिकतर लोग गरीबी की चपेट में आ जाएंगे।

    बढ़ती आबादी के साथ कृषि योग्‍य भूमि में कमी

    बढ़ती आबादी में विश्‍व में कृषि योग्‍य भूमि में कमी हो जाएगी। इसका नतीजा कम पैदावार होगी। परिणामस्‍वरूप विश्‍व में खाद्यान्‍न की कमी हो जाएगी। भारत जैसे देश में जहां करीब 50 फीसद वर्क फोर्स कृषि से जुड़ा हुआ हो और जहां कृषि का देश के कुल जीडीपी में 17-18 फीसद का योगदान हो, वहां पर बढ़ती आबादी एक बड़ी समस्‍या बन जाएगी। कृषि योग्‍य भूमि के कम होने की एक वजह लोगों को भवन की जरूरत भी बनेगी।

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