विश्व की सर्वप्रथम फिल्म फोरेंसिक पर संगोष्ठी, एनएफएसयू ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में किया आयोजन
दिल्ली के विज्ञान भवन में दुनिया की पहली फिल्म फोरेंसिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) ने किया। संगोष्ठी की मुख्य अतिथि पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हेमा मालिनी रहीं। हेमा मालिनी ने इस दौरान कहा कि एनएफएसयू विज्ञान और फिल्म उद्योग के बीच की दूरी घटाकर समाज को सुशिक्षित किया जा सकता है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नई दिल्ली में दुनिया की पहली फिल्म फोरेंसिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) ने किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हेमा मालिनी रहीं।
दरअसल, राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में, 14 से 15 अप्रैल 2025 तक विज्ञान भवन, दिल्ली में ‘नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन और आतंकवाद से निपटने में फोरेंसिक विज्ञान की भूमिका’ पर अखिल भारतीय फोरेंसिक विज्ञान शिखर सम्मेलन (एआईएफएसएस) का आयोजन कर रहा है।
एआईएफएसएस का उद्घाटन करेंगे गृहमंत्री
भारत सरकार के केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश; आर वेंकटरमानी, भारत के अटॉर्नी जनरल; न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम; अध्यक्ष एनएचआरसी; मनन कुमार मिश्रा, अध्यक्ष बार काउंसिल ऑफ इंडिया और गोविंद मोहन, केंद्रीय गृह सचिव शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह की शोभा बढ़ाएंगे।
फिल्म फोरेंसिक पर संगोष्ठी के दौरान, लघु फिल्म श्रेणी में 40 प्रविष्टियों में से, सर्वश्रेष्ठ छह (06) को फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) के निर्णायक मंडल द्वारा चुना गया और कार्यक्रम में प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार भी दिए गए।
'फोरेंसिक हैकाथॉन' का भी हुआ आयोजन
एनएफएसयू ने विज्ञान भवन में एक 'फोरेंसिक हैकाथॉन' का भी आयोजन किया। इस कार्यक्रम में अपराध से निपटने के लिए स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने और विकसित करने की वकालत की गई और शानदार विचारों और तकनीकी आदर्शों को प्रदर्शित किया गया। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तेजस कारिया ने कार्यक्रम के दौरान फोरेंसिक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
कार्यक्रम को हेमा मालिनी ने किया संबोधित
समारोह की मुख्य अतिथि पद्मश्री से सम्मानित हेमा मालिनी ने कहा कि फिल्में विज्ञान और आम आदमी के बीच की खाई को पाट सकती हैं, आकर्षक कथाओं के माध्यम से अपराध-समाधान के बारे में जागरूकता बढ़ा सकती हैं। मैं इस साहसिक कदम के लिए एनएफएसयू को बधाई देती हूं।
उन्होंने कहा कि फोरेंसिक शिक्षा और अनुसंधान में अग्रणी संस्थान के रूप में, समाज को शिक्षित करने में आपकी भूमिका अमूल्य है। इस तरह के आयोजन रचनात्मक दिमागों और वैज्ञानिक समुदाय के बीच सहयोग बनाने में मदद करते हैं, जो समय की जरूरत है। मैं फिल्म उद्योग के अपने सहयोगियों से एनएफएसयू जैसी संस्थाओं का स्वागत करना चाहूंगी। अब हम विशेषज्ञों से परामर्श कर सकते हैं, विज्ञान को समझ सकते हैं और ऐसी कथाएं बना सकते हैं जो पीड़ित और जांच दोनों के लिए न्याय करें।
पद्मश्री पुरस्कार विजेता एनएफएसयू के कुलपति डॉ. जे.एम. व्यास ने कहा कि फोरेंसिक विज्ञान वैज्ञानिक सटीकता को कहानी कहने के साथ जोड़कर, जांच के प्रामाणिक और आकर्षक चित्रण बनाकर सिनेमा को समृद्ध करता है।
उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी में इस बात पर चर्चा की गई कि फोरेंसिक विज्ञान किस प्रकार सत्य, न्याय और मानवीय अनुभव के बारे में हमारी समझ को गहरा करता है। इस कार्यक्रम में मनोरंजन उद्योग, शिक्षा जगत, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और निजी उद्योग से जुड़ी जानी-मानी हस्तियां शामिल हुईं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।