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    World Environment Day: पीएम मोदी ने लगाया 'सिंदूर का पौध', पढ़ें कितना खास है ये पौधा?

    Updated: Thu, 05 Jun 2025 08:50 PM (IST)

    अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट का शुभारंभ करते हुए पीएम मोदी ने एक्स पर कहा कि हम अरावली पर्वत श्रृंखला के कायाकल्प को लेकर संकल्पित है। स्थानीय प्रशासन क ...और पढ़ें

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    World Environment Day: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया।(फोटो सोर्स: पीएम मोदी)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को विश्व की सबसे प्राचीन पर्वत मालाओं में से एक अरावली पर्वत श्रृंखला के संरक्षण और उसे हरा भरा बनाने के 700 किमी लंबे अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया है। साथ ही कहा है कि इस क्षेत्र में पैदा होने वाली सभी पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है।

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    इस दौरान अरावली पर्वत श्रृंखला से जुड़े दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान व गुजरात के मुख्यमंत्रियों ने भी अपने-अपने क्षेत्र से इस प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया। पीएम मोदी ने इस मौके पर अरावली क्षेत्र से ही सटे दिल्ली के भगवान महावीर वनस्थली उद्यान में एक वट वृक्ष का रोपण कर एक पेड़ मां के नाम अभियान के नए चरण की शुरूआत भी की। पिछले साल इस अभियान में देश भर में रिकार्ड 109 करोड़ पौधे रोपे गए थे।

    हम अरावली पर्वत श्रृंखला के कायाकल्प को लेकर संकल्पित: पीएम मोदी 

    अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट का शुभारंभ करते हुए पीएम मोदी ने एक्स पर कहा कि हम अरावली पर्वत श्रृंखला के कायाकल्प को लेकर संकल्पित है। स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर हम कार्य करने जा रहे हैं। इसके तहत जल संरचनाओं में सुधार, संरक्षण, धूल भरी आंधियों पर अंकुश लगाने और थार रेगिस्तान के विस्तार को रोकने आदि जैसी मुद्दों पर बल दिया जाएगा।

    विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर वन नेशन-वन मिशन: प्लास्टिक इस्तेमाल का करें बंद अभियान में तेजी लाने के निर्देश दिए। पीएम मोदी ने इस दौरान अरावली पर्वतमाला सहित देश भर में पारंपरिक पौधरोपण के अलावा नई विधियों से भी पौधरोपण करने का सुझाव दिया। जिसमें तकनीक को प्रोत्साहित करने को कहा। खासकर इसका इस्तेमाल ऐसे शहरी और उप नगरीय क्षेत्रों में प्रमुखता से करने को कहा, जहां जमीन की कमी है।

    पीएम ने कहा कि पौधरोपण गतिविधियों का जियो-टैग किया जाएगा और मेरी लाइफ पोर्टल पर उसकी निगरानी भी की जाएगी। प्रधानमंत्री ने देश के युवाओं से इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने और पृथ्वी के हरित आवरण को बढ़ाने में योगदान देने का आग्रह भी किया। पीएम मोदी ने इस मौके पर दिल्ली के लिए सुगम परिवहन के लिए 200 इलेक्टि्रक बसों को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

     दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के 29 जिलों में चलेगा अभियान

    अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के 29 राज्यों में सघन पौधरोपण का अभियान चलेगा। इनमें दिल्ली का सिर्फ एक जिला शामिल है। इसमें अरावली से सटा पांच किमी चौड़ा बफर क्षेत्र शामिल होगा। इस दौरान वनीकरण व जल संरचना के जीर्णोद्धार के माध्यम से जैव विविधता को बढ़ाया जाएगा। प्रोजेक्ट के तहत इन 29 जिलों में करीब एक हजार नर्सरी विकसित की जाएंगी, ताकि पौधों की पर्याप्त उपलब्धता को सुनिश्चित किया जाएगा।

    प्रोजेक्ट के बफर जोन में इन चारों राज्यों में करीब 6.45 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र शामिल होगा। इनमें 42 प्रतिशत यानी 2.7 मिलियन हेक्टेयर भूमि वर्तमान में बंजर है। इस बंजर भूमियों में 81 प्रतिशत क्षेत्र राजस्थान में, 15.8 प्रतिशत गुजरात, 1.7 प्रतिशत हरियाणा और 1.6 प्रतिशत दिल्ली में है। दिल्ली, जयपुर, गुरुग्राम जैसे शहरों के लिए प्राकृतिक दीवार भी बनाती है। यह चंबल, साबरमती व लूनी जैसी नदियों का स्त्रोत भी है।

    पीएम मोदी ने अपने आवास पर रोपा सिंदूर का पौधा

    विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने अपने आवास पर सिंदूर का भी एक पौधा रोपा। यह पौधा उन्हें गुजरात के कच्छ की उन वीरांगना माताओं-बहनों ने उपहार स्वरूप भेंट किया था, जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान अदम्य साहस और देशभक्ति का परिचय दिया था।

    उन्होंने कहा कि सिंदूर के पौधे का यह उपहार हमारे देश की नारी शक्ति के शौर्य और प्रेरणा का सशक्त प्रतीक बना रहेगा। पीएम द्वारा सिंदूर के रोपे गए इस पौधे को हाल ही में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए चलाए गए आपरेशन सिंदूर से जोड़ कर देखा जा रहा है।

    क्या है सिंदूर के पौधे का फायदा?

    बता दें कि सिंदूर के पौधे को वैज्ञानिक रूप से बिक्सा ओरेलाना (Bixa orellana) के नाम से जाना जाता है। यह एक औषधीय और सांस्कृतिक महत्व का पौधा है।  यह पौधा दक्षिण अमेरिका, मैक्सिको और कुछ एशियाई देशों में पाया जाता है। भारत की बात करें तो यह मुख्य रूप से महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में उगाया जाता है।