'स्वच्छ ऊर्जा, कम उपभोग और ...', भारत के मूल में है पृथ्वी संरक्षण; एक्सपर्ट से जानें 'धरती मां' को कैसे खुशहाल रखें?
हमारे देश की ज्ञान परंपरा पृथ्वी संरक्षण पर जोर देती है। जलवायु परिवर्तन वैश्विक समस्या है जिसमें विकसित देशों का बड़ा योगदान है। भारत हम सब एक हैं के सिद्धांत पर मिशन लाइफ और अंतर्राष्ट्रीय सोलर अलाएंस जैसी पहल कर रहा है। भारत स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है रसायनमुक्त कृषि को बढ़ावा दे रहा है और नम भूमि का संरक्षण कर रहा है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत की ज्ञान परंपरा, संस्कार और संस्कृति में पृथ्वी के संरक्षण का स्पष्ट खाका खींचा गया है। पृथ्वी पर पनपने वाले जीवन को संचालित करने वाले पंच तत्वों का आदर करने की नियमावली सैंकड़ों वर्षों से अस्तित्व में है। समाज ने इसे सम्मान के साथ अपनाया हुआ है। संतुलित जीवन जीते हुए सम्पूर्ण धरा के कल्याण की इच्छा ही भारत को विश्व पटल पर अगुआ बनने का अवसर देती है।
वर्तमान समय में पृथ्वी पर हो रही पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों के कारण धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। इससे पृथ्वी का पर्यावरणीय संतुलन गड़बड़ा रहा है। वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों की वृद्धि के चलते कहीं अधिक वर्षा, बे-मौसम वर्षा, कहीं सूखा, आंधी-तूफान, व जंगलों में आग का क्रम बढ़ रहा है।
समुद्र का जलस्तर क्यों बढ़ रहा है?
अत्यधिक गर्मी से हिमखंड तेजी से पिघल रहे हैं, जिसके चलते समुद्र के जल स्तर में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। वैज्ञानिकों की चेतावनी है कि अगर धरती के गर्म होने का सिलसिला यूं ही जारी रहा तो आने वाले कुछ दशकों में समुद्र के किनारे स्थित शहरों के बड़े हिस्से डूब छेत्र में होंगे। धरती पर प्लास्टिक के बोझ को कम करने के लिए गंभीरता से कार्य करना होगा।
विश्व के समक्ष जलवायु परिवर्तन की विकराल समस्या मुंह बाए खड़ी है। विकसित देश इस समस्या को बढ़ाने में में सर्वाधिक कसूरवार हैं, वहीं विकासशील और गरीब देश इसकी कीमत चुका रहे हैं।
दुनिया की बड़ी आबादी जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम झेल रही है। भारत ने ‘हम सब एक हैं और धरा भी एक ही है’ के सिद्धांत पर बल देते हुए मिशन लाइफ जैसी अवधारणा विश्व के समक्ष प्रस्तुत की है।
भारत ने ऊर्जा के लिए कौन-सी पहल की है?
दुनिया जब पांरपरिक स्रोतों से मिलने वाली ऊर्जा की खपत कम करने की चुनौती का सामना रही है, ऐसे समय में भारत ने अंतरराष्ट्रीय सोलर अलाएंस की पहल की है। अंतरराष्ट्रीय सोलर अलाएंस के साथ दुनिया के सभी प्रमुख देश जुड़ चुके हैं।
सूर्य की ऊर्जा के उपयोग से जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा की खपत कम होगी। इससे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी कमी आएगी। भारत में सौर ऊर्जा की खपत तेजी से बढ़ रही है, इससे बिजली की मांग में कमी आएगी।
भारत किस ओर तेजी बढ़ रहा है?
भारत के पास विश्व की मात्र 2.5 प्रतिशत भूमि है तथा करीब 6 प्रतिशत जल संसाधन है, जबकि यहां विश्व की करीब 18 प्रतिशत आबादी निवास करती है। भारत बड़ी आबादी की जरूरतों को पूरा करने के साथ जलवायु परिवर्तन से लड़ने के प्रयासों में अपनी भूमिका प्रभावी तरीके से निभा रहा है।
जलवायु परिवर्तन की समस्या में भारत का योगदान सिर्फ सात प्रतिशत है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए स्वच्छ उर्जा की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है।
रसायनमुक्त कृषि को बढ़ावा देने के लिए भी किसानों को प्रात्साहित किया जा रहा है। भारत अपनी नम भूमि का भी संरक्षण कर रहा है। भारत में आज 89 रामसर साइट मौजूद हैं, जिनकी संख्या प्रत्येक वर्ष बढ़ रही है।
स्वच्छ ऊर्जा, कम उपभोग तथा प्रकृति के अनुकूल जीवन शैली धरती को बचाने के प्रयासों में अहम भूमिका निभा सकती है। इसको व्यक्तिगत और परिवार के रूप में सभी को अपनाना चाहिए।
(Source: रमनकांत, रिवरमैन ऑफ इंडिया, अध्यक्ष, भारतीय नदी परिषद)
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।