Indian Railways: नासिक से घर लौटे मजदूर बोले-लग रहा है स्वर्ग में आ गए हों
ये मजदूर लॉकडाउन के कारण एक माह से महाराष्ट्र में फंसे थे। मजदूरों ने भी उतरते ही कहा कि ऐसा लग रहा है मानो स्वर्ग में आ गए हों। ...और पढ़ें

भोपाल, राज्य ब्यूरो। भोपाल का मिसरोद रेलवे स्टेशन। आम दिनों में यह स्टेशन सुनसान रहता है। इक्का-दुक्का पैसेंजर ट्रेन रुकती हैं और उनसे 10 से 50 यात्री ही उतरते हैं। शनिवार को स्टेशन पर सुबह-सुबह अलग ही चहल-पहल थी। यहां महाराष्ट्र से आ रहे 342 मजदूरों के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। ये मजदूर लॉकडाउन के कारण एक माह से महाराष्ट्र में फंसे थे। मजदूरों ने भी उतरते ही कहा कि ऐसा लग रहा है मानो स्वर्ग में आ गए हों।
शनिवार सुबह 5:30 बजे प्रदेश के 342 मजदूरों को लेकर आई विशेष ट्रेन
रेलवे स्टेशन पर टेंट की व्यवस्था से लेकर पीने के पानी की अतिरिक्त व्यवस्था की गई थी। शुक्रवार रात को ही चूने से गोल घेरे बना दिए थे। पुलिस का कड़ा पहरा था। सुबह 5:35 बजे पर इटारसी की तरफ से यात्री ट्रेन आती हुई दिखाई दी। तब तक वायरलेस पर मैसेज भी चल चुका था, स्पेशल ट्रेन है भोपाल की बजाय मिसरोद में रुकेगी। यह सुनकर अफसर, पुलिस के जवान, रेलवे के अधिकारी सतर्क हो गए। ट्रेन प्लेटफार्म पर रुक चुकी थी। प्रशासन की तरफ से अनाउंसमेंट किया गया कि एक-एक कर ट्रेन से उतरें और गोल घेरे में बैठ जाएं। मजदूर पूरी तरह शांत थे।
भोपाल से 29 जिलों में मजदूरों को भेजा गया
प्रशासन ने जो कहा वह बात मानी और गोल घेरे में बैठते गए। 20 मिनट में सभी मजदूर उतर गए और और खाली ट्रेन हबीबगंज की ओर रवाना हो गई। इसके बाद मजदूरों को समझाइश देने का क्रम शुरू हुआ। चाय-नाश्ते की व्यवस्था की गई। तब तक मेडिकल टीम पहुंच चुकी थी। मिसरोद स्टेशन पर उतरने के बाद मजदूरों ने कहा कि वे अपने मप्र की धरती पर उतर गए हैं। बहुत सुकून महसूस हो रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे स्वर्ग में आ गए हों। भोपाल से 29 जिलों में मजदूरों को भेजा गया।
अपनों के बीच पहुंच कर बहुत खुशी हो रही है
दतिया के हेमंत केवट ने कहा कि महाराष्ट्र के कल्याण में फूलों का व्यापार करने गया था। हम अपने परिवार के सदस्यों के साथ इगतपुरी के गर्ल्स हॉस्टल में ठहरे थे। लॉकडाउन के बाद से काम बंद हो गया, किसी तरह घर जाने के लिए 1 महीने पहले निकले थे। अभी कुछ समय तो वापस नहीं जाएंगे।
भिंड के राहुल सिंह ने कहा कि कमाई बंद हो गई थी। कई बार तो खाने का इंतजाम नहीं हुआ। घर के लिए पैदल निकल गए थे, लेकिन प्रशासन ने रोक लिया था। अभी गांव पहुंच रहे हैं। गांव में रहना है। सब कुछ सामान्य होने के बाद भी वापस जाना है या नहीं, इसका फैसला बाद में करेंगे।
गुना की जानकी बाई ने कहा कि काम करने महाराष्ट्र गई थी। शनिवार को विशेष ट्रेन से भोपाल आई हूं। अभी गांव जाकर अपने लोगों के पास सुकून से रहूंगी। पिछला एक महीना बहुत तकलीफ में गुजरा है। अब गांव में ही छोटा-मोटा काम करेंगे, वापस नहीं जाना है।
मजदूरों से वसूले 315 स्र्पये
नासिक से भोपाल पहुंचने के लिए मजदूरों से 315 रुपये लिए गए। मजदूरों ने बताया कि यह राशि रेलवे ने ली है हालांकि कुछ मजदूरों के पास जो टिकट थे उस पर 305 रुपये लिखा था। हालांकि सभी मजदूरों के पास टिकट नहीं थे। कुछ ही मजदूरों ने रेलवे द्वारा उनसे किराया वसूलने की बात कही है। इधर भोपाल रेल मंडल के प्रवक्ता आइए सिद्धकी ने कहा कि ट्रेन महाराष्ट्र के नासिक से चली थी। किराया क्यों और कैसे लिया गया, इसकी जानकारी नहीं है।

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