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    महिलाएं बनीं जंगल की पहरेदार, तीन पाली में कर रहीं चौकीदारी

    By Tilak RajEdited By:
    Updated: Fri, 11 Sep 2020 11:13 PM (IST)

    अबूझमाड़ में धड़ल्ले से हो रही अवैध कटाई को देखते हुए महिलाएं आगे आईं। महिलाओं ने पर्यावरण बचाने का संकल्प लिया है कुछ महिलाएं तो वनों की सुरक्षा को द ...और पढ़ें

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    महिलाएं बनीं जंगल की पहरेदार, तीन पाली में कर रहीं चौकीदारी

    नारायणपुर, मोहम्मद इमरान खान। महिलाएं हर काम करने में सक्षम हैं, ये उन्‍होंने सिद्ध कर दिया है। नक्सल हिंसा से जूझ रहे नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ की महिलाएं जंगल की अवैध कटाई के विरोध में मैदान में उतर आई हैं। कीमती लकडि़यों के साथ बांस से करील (बास्ता) निकालने के लिए आने वालों को रोकने के लिए महिलाएं सुबह से शाम तक जंगल की निगरानी कर रही हैं। कुरसनार, कंदाड़ी और कोडोली गांव की महिलाएं अलग-अलग पालियों में जंगल की रखवाली कर रही हैं, जबकि यह काम वन विभाग को करना चाहिए।

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    थम रही जंगल की अवैध कटाई

    महिलाओं की जागरूकता से जंगल की कटाई पर विराम लग रहा है। जंगल की पहरेदारी में लगीं महिलाएं कहती हैं कि अबूझमाड़ में कुछ सालों से वनों की कटाई जोरों पर है। सागौन के कीमती पेड़ खत्म होने के कगार पर हैं। वन माफिया ने सागौन के बड़े जंगल पर कुल्हाड़ी चलाकर उसे मैदान में तब्दील कर दिया है। मुख्य सड़क के किनारे जंगल दिख रहे हैं, लेकिन अंदर जाते ही सपाट मैदान नजर आते हैं। जंगल के घटते रकबा पर विराम लगाने के लिए उन्होंने बैठक कर फैसला लिया है कि अब जंगल पर कुल्हाड़ी नहीं चलने देंगे।

    महिलाएं दुधमुंहे बच्चों के साथ भी निगरानी करने आ रहीं

    जंगल की पहरेदारी के लिए सुबह से शाम छह बजे वे हाथों में लाठी लेकर सड़क पर डटी रहती हैं। कुछ महिलाएं दुधमुंहे बच्चों के साथ भी निगरानी करने आ रही हैं। इतना ही नहीं, जिला मुख्यालय से जलाऊ लकड़ी लेने आने वालों को भी गैस सिलेंडर का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है। दिन भर की कार्रवाई के बाद लोगों से जब्त लकड़ी और करील वन विभाग के सुपुर्द कर देती हैं। महिलाओं की सक्रियता देख रेंजर उन्हें वन प्रबंधन समिति से जोड़कर जंगल की अवैध कटाई के साथ अतिक्रमण की रोकथाम के लिए सहयोग मांग रहे हैं।

    15 किमी के दायरे में हड़कंप

    ब्रहबेड़ा से बासिंग तक 15 किमी के दायरे में महिलाओं की निगरानी से हड़कंप मचा हुआ है। इस मुहिम में महिलाओं का नेतृत्व कर रहीं शांति नेताम कहती हैं कि जंगल को बचाने में उन्हें सुकून मिल रहा है। परिवार से भी इस कार्य के लिए पूरा सहयोग मिल रहा है। इससे सभी महिलाओं का उत्साह बढ़ा हुआ है। नारायणपुर के डीएफओ एनआर खूंटे कहते हैं कि अबूझमाड़ का राजस्व सर्वे नहीं हो पाने से वन विभाग के अधिकारियों और मैदानी कर्मचारियों को कार्रवाई करने में थोड़ी दिक्कतें हो रही हैं। महिलाओं द्वारा सूचना देने पर वन विभाग कार्रवाई कर रहा है। महिलाओं को वन प्रबंधन समिति से जोड़ा गया है।