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    मणिपुर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग को लेकर महिलाओं ने संभाला मोर्चा,कई जिलों में निकाली मशाल रैलियां

    By AgencyEdited By: Babli Kumari
    Updated: Thu, 10 Aug 2023 11:08 AM (IST)

    Torch Rally in Imphal रैलियां बुधवार रात करीब 9.30 बजे इंफाल पश्चिम जिले के कीसंपत कीसमथोंग और क्वाकीथेल और इंफाल पूर्वी जिले के वांगखेई और कोंगबा में आयोजित की गईं।महिलाओं ने कुकी समूहों द्वारा अलग प्रशासन की मांग और राज्य में अवैध अप्रवासियों की पहचान करने और उन्हें निर्वासित करने के लिए एनआरसी लागू करने की मांग के खिलाफ भी नारे लगाए।

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    मणिपुर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग को लेकर महिलाओं ने संभाला मोर्चा (प्रतीकात्मक फोटो)

    इंफाल, एजेंसी। संसद का मानसून सत्र खत्म होने से पहले मणिपुर विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाने की मांग को लेकर इंफाल घाटी में सैकड़ों महिलाओं ने मशाल लेकर रैलियां निकालीं। इंफाल वेस्ट जिले में केसामपट, केसामठोंग और क्वाकेठेल और इंफाल ईस्ट जिले में वांगखेई और कोंगबा में बुधवार रात करीब साढ़े नौ बजे रैलियां निकाली गयीं।

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    रैलियां बुधवार रात करीब 9.30 बजे इंफाल पश्चिम जिले के कीसंपत, कीसमथोंग और क्वाकीथेल और इंफाल पूर्वी जिले के वांगखेई और कोंगबा में आयोजित की गईं।

    रैली में भाग लेने वालों में से एक इंगुदम बबीता ने वांगखेई में संवाददाताओं से कहा, "विधानसभा सत्र में, सरकार को राज्य की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए और इसे सत्र के दौरान संसद में भेजना चाहिए।"

    महिलाओं ने की विशेष सत्र की मांग 

    महिलाओं ने कुकी समूहों द्वारा की जा रही अलग प्रशासन की मांग के खिलाफ और राज्य में ‘‘अवैध’’ प्रवासियों की पहचान करने के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने के लिए भी नारे लगाए। मणिपुर मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह राज्यपाल अनसुइया उइके से 21 अगस्त से विधानसभा का सत्र बुलाने की सिफारिश की थी। विधानसभा का पिछला सत्र मार्च में हुआ था और मई में राज्य में हिंसा भड़क उठी।

    राज्य में 27 विधानसभा क्षेत्रों की समन्वय समिति द्वारा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग को लेकर गत शनिवार को 24 घंटे की हड़ताल से इंफाल घाटी में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ था।

    मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।