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    'IndiGo ने सरकार को अंधेरे में रखा, जांच चल रही है'; सिविल एविएशन मंत्री ने राज्यसभा में दी जानकारी

    Updated: Mon, 08 Dec 2025 08:40 PM (IST)

    केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू ने इंडिगो संकट पर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने एयरलाइन को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार सख्त कार्रवाई ...और पढ़ें

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    उड्डयन मंत्री ने राज्यसभा में दी जानकारी इंडिगो संकट पर जांच जारी

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अब यह पूरी तरह से साफ हो चुका है कि इंडिगो अपराधी है। इंडिगो के अपने स्वार्थ और मनमानी की वजह से ही भारत के नागरिक उड्डयन सेक्टर को चार-पांच दिनों तक इतिहास के सबसे बड़े संकट से जूझना पड़ा है।

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    भारत के नागरिक उड्डयन बाजार पर 64 फीसद हिस्सेदारी रखने वाली इंडिगो ने सरकार के नियमों को कभी गंभीरता से लिया ही नहीं और साथ ही इस बारे में ना तो आंतरिक तैयारी की व ना ही नागरिक उड्डयन नियामक एजेंसी को समय रहते कोई जानकारी दी, जिससे अचानक देश में सैकड़ों फ्लाइटें रद करनी पड़ी।

    राममोहन नायडू ने क्या कहा?

    एक तरह से इंडिगो ने सरकार को दबाव में लाने और अपनी शर्तों को मनवाने के लिए पूरी अव्यवस्था बनाई और हजारों यात्रियों को इसका शिकार बनाया। इसकी जानकारी स्वयं केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू ने सोमवार को राज्यसभा में दी।

    उन्होंने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि इंडिगो की यह “आंतरिक संकट'' है, जिसके लिए एयरलाइन पूरी तरह जिम्मेदार है। मंत्री ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि सरकार इतनी सख्त कार्रवाई करेगी कि यह अन्य एयरलाइंस के लिए मिसाल बने। स्पष्ट है कि जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद इंडिगो को भारी पेनाल्टी का भी सामना करना पड़ेगा और भविष्य में उसका वर्चस्व भी कम किया जाएगा।

    मंत्री ने यह बात प्रश्न काल के दौरान की कुछ सदस्यों की ओर से जताई गई चिंता के बाद कही। मंत्री नायडू ने संसद में स्पष्ट किया कि नई फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट (एफडीटीएल) नियमों का पालन करने में इंडिगो की नाकामी क्रू रोस्टरिंग और इंटरनल ऑपरेशनल प्लानिंग की विफलता से जुड़ी है।

    'IndiGo की खुद की बनाई हुई समस्या'

    उन्होंने कहा, “यह इंडिगो की खुद की बनाई हुई समस्या है। मंत्रालय ने 1 नवंबर को सभी एयरलाइंस के साथ बैठक की थी और नियमों पर स्पष्टीकरण दिए थे, लेकिन इंडिगो ने 1 दिसंबर तक कोई समस्या रिपोर्ट नहीं की।'' इस बयान से साफ है कि एयरलाइन ने सरकार को अंधेरे में रखा और अपनी तैयारियों की सही तस्वीर नहीं पेश की, जिससे केंद्र और डीजीसीए अचानक पैदा हुए संकट के लिए तैयार नहीं थे।

    हालांकि यहां डीजीसीए के सुस्त रवैये पर भी सवाल उठता है कि उसने एफडीटीएल नियमों को लेकर इंडिगो ने जो कहा, उस पर भरोसा किया। अपनी तरफ से उनके पालन की प्रक्रिया का अवलोकन नहीं किया।विपक्ष ने मंत्री के बयान पर असंतोष जताया और सदन से वॉकआउट किया।

    नायडू ने जब यह कहा कि भारत को नागरिक उड्डयन सेक्टर में वैश्विक स्तर पर ले जाने का विजन है तो विपक्ष ने उस पर शोर मचा कर अपना प्रतिरोध जाहिर किया। उन्होंने कहा कि, “मंत्रालय स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। भारत की हवाई यात्रा मांग को देखते हुए कम से कम 5 बड़ी एयरलाइंस की जरूरत है। नए खिलाडि़यों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार सहयोग देगी, ताकि ऐसी एकाधिकार वाली स्थितियां न हों।''

    उन्होंने इस बात को दोहराया कि किसी की भी सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा, ना तो यात्रियों की, ना पायलटों की और ना ही क्रू की। नायडू ने एफडीटीएल को लेकर डीजीसीए के नए नियमों की तारीफ की और कहा कि ये दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देशों पर बने हैं। सभी एयरलाइंस को इनका सख्ती से पालन करना होगा।सनद रहे कि इंडिगो पहले से ही सरकार और आम जनता के निशाने पर है।

    DGCA ने भेजा कारण बताओ नोटिस

    नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) की तरफ से कंपनी के सीईओ पीटर एलबर्स और सीओओ इसिद्रो पोरक्वायरास को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा चुका है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सोमवार (दोपहर) को जो जानकारी अलग से उपलब्ध कराई है उसके मुताबिक इंडिगो की तकरीबन 500 उड़ानें इस दिन भी रद्द की गई हैं।

    कंपनी सोमवार को 1802 उड़ानों को संचालित कर रही है। वैसे यह बता रहा है कि हालात सामान्य हो रहे हैं। इंडिगो की तरफ दो दिन पहले ही बताया गया था कि पांच-सात दिनों में ही हालात सामान्य हो पाएगा। यह जानकारी भी दी गई है कि कुल 9,000 सामान अव्यवस्था के शिकार हुए हैं और इनमें से 4500 सामान ही ग्राहकों तक पहुंच पाया है।

    कंपनी को बाकी सामान अगले 36 घंटों में सही ग्राहकों तक पहुंचाने को कहा गया है। एक से पांच दिसंबर तक कुल 5,86,705 पीएनआर रद्द कराये गये हैं जिसमें 569.65 करोड़ रुपये ग्राहकों को लौटाए जा चुके हैं।

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