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    आखिर बांह में ही क्यों लगवाते हैं वैक्सीन? समझिए इसके पीछे का वैज्ञानिक तर्क

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Mon, 24 May 2021 09:03 AM (IST)

    ये प्रतिरक्षा कोशिकाएं एंटीजन को पहचानती हैं। बता दें कि एंटीजन वायरस या बैक्टीरिया का एक छोटा सा टुकड़ा होता है जिसे वैक्सीन के माध्यम से शरीर के अंदर डाला जाता है। यह इम्यून सिस्टम को काम करने के लिए उत्तेजित करता है।

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    अधिकांश टीके मांसपेशियों में लगाए जाते हैं। इसे इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन के तौर पर जाना जाता है।

    नई दिल्‍ली, जेएनएन। कोरोना वैक्सीन लगवाने के दौरान आपने लाखों लोगों को शर्ट की आस्तीन चढ़ाते देखा होगा। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि वैक्सीन पैर में क्यों नहीं लगाते हैं। जब इसकी वजह जानने की कोशिश की गई तो पता चला कि इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क हैं। यही वजह है कि सबसे अधिक वैक्सीन बांह में ही लगाई जाती हैं।

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    मांसपेशियों में लगाए जाते हैं अधिकांश टीके

    • अधिकांश टीके मांसपेशियों में लगाए जाते हैं। इसे इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन के तौर पर जाना जाता है।
    • रोटावायरस जैसी वैक्सीन मुंह के रास्ते दी जाती है।
    • खसरा, कंठमाला और रूबेला की वैक्सीन त्वचा में लगाई जाती हैं।

    वैक्सीन लगाने की सबसे अच्छी जगह होती है मांसपेशी

    • आखिर मांसपेशियां इतनी महत्वपूर्ण क्यों हैं। खासतौर पर हाथ की मांसपेशियां, जिन्हें डेलटायड (ये कंधे के शीर्ष पर होती हैं) कहते हैं।
    • वैक्सीन लगाने की सबसे अच्छी जगह मांसपेशियां होती हैं, क्योंकि मांसपेशियों के ऊतकों में महत्वपूर्ण प्रतिरक्षा कोशिकाएं होती हैं।
    • ये प्रतिरक्षा कोशिकाएं एंटीजन को पहचानती हैं। बता दें कि एंटीजन वायरस या बैक्टीरिया का एक छोटा सा टुकड़ा होता है, जिसे वैक्सीन के माध्यम से शरीर के अंदर डाला जाता है। यह इम्यून सिस्टम को काम करने के लिए उत्तेजित करता है।
    • हालांकि कोरोना वायरस के मामले में एंटीजन शरीर के अंदर नहीं डाला जाता है बल्कि वैक्सीन एंटीजन को बनाने का खाका तैयार करती है।

    मांसपेशी का आकार रखता है मायने

    • वैक्सीन लगाने से पहले एक और बात का ध्यान रखा जाता है। वह है मांसपेशी का आकार। वयस्कों के साथ-साथ तीन वर्ष और उससे बड़े बच्चों की बांह के ऊपरी हिस्से में टीका लगाया जाता है।
    • जबकि तीन वर्ष से छोटे बच्चों को कूल्हे में टीका लगाया जाता है, क्योंकि उनकी बांह की मांसपेशियां बहुत छोटी होने के साथ ही पूरी तरह विकसित भी नहीं होती हैं।

    वसा ऊतक में टीके से सूजन का खतरा

    • मांसपेशी के ऊतक वैक्सीन के रिएक्शन को शरीर के दूसरे हिस्से में नहीं पहुंचने देते हैं। जैसे कि अगर बांह में टीका लगवाते हैं तो सूजन या दर्द सिर्फ उसी जगह या फिर बांह में ही होता है।
    • अगर टीका वसा ऊतक में लगाया जाता है तो जलन और सूजन की संभावना बढ़ जाती है। इसकी वजह यह है कि वसा ऊतक में रक्त का संचार ठीक तरह से नहीं होता है।
    • ऐसे टीके, जिनमें एंटीजन के इम्यून रिस्पांस को बढ़ाने के लिए घटकों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें मांसपेशियों में दिया जाना चाहिए।

    मांसपेशी के ऊतक टीके के लिए महत्वपूर्ण

    • मांसपेशियों के ऊतक में मौजूद प्रतिरक्षा कोशिकाएं इन एंटीजन को पकड़ती हैं और उन्हें लिम्फ नोड्स (लसिका ग्रंथियां) के सामने पेश करती हैं।
    • मांसपेशियों के ऊतकों में वैक्सीन लगाने से ना केवल टीका अपनी जगह रहता है बल्कि प्रतिरक्षा कोशिकाएं दूसरी अन्य प्रतिरक्षा कोशिकाओं को काम करने के लिए आगाह करती हैं।
    • एक बार जब टीके को मांसपेशियों की प्रतिरक्षा कोशिकाएं पहचान लेती हैं तो ये कोशिकाएं एंटीजन को लसिका वाहिकाओं (लिम्फ वैसेल) तक ले जाती हैं। जो प्रतिरक्षा कोशिका वाले एंटीजन को लिम्फ नोड्स तक ले जाते हैं।

    सुविधा और स्वीकार्यता भी अहम पहलू

    • टीका देने के स्थान का चुनाव करने में एक और पहलू का ध्यान रखा जाता है। वह है सुविधा और मरीज की स्वीकार्यता।
    • क्या आप किसी सार्वजनिक टीकाकरण केंद्र में शरीर के निचले हिस्से में वैक्सीन लगवाने की कल्पना कर सकते हैं।
    • कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी के दौरान कम से कम समय में अधिक से अधिक लोगों का टीकाकरण किए जाने की जरूरत है। यही वजह है कि बांह पर वैक्सीन लगाई जाती है, क्योंकि बांह के ऊपरी हिस्से तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।

    वैक्सीन के निकट ही मौजूद होता है लिम्फ नोड्स का झुंड

    • लिम्फ नोड्स, हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली के प्रमुख घटक हैं। इसमें बहुत अधिक प्रतिरक्षा कोशिकाएं होती हैं जो ना केवल टीकों में एंटीजन को पहचानती हैं बल्कि एंटीबाडी बनाने की प्रक्रिया शुरू करती हैं।
    • जिस जगह पर वैक्सीन लगाई जाती है, उसके करीब ही लिम्फ नोड्स का झुंड मौजूद होता है। उदाहरण के तौर पर कई वैक्सीन डेलटायड में लगाई जाती हैं, क्योंकि बांह के ठीक नीचे लिम्फ नोड्स
    • होते हैं। जब टीका कूल्हे में लगाया जाता है तो लसिका वाहिकाओं को पेट और कूल्हे के बीच स्थित (ग्रोइन) लिम्फ नोड्स तक पहुंचने के लिए बहुत अधिक दूरी नहीं तय करनी पड़ती है।