देशभर में सड़कों पर दाएं की जगह बाएं तरफ क्यों चलते हैं पैदल, कोर्ट पहुंचा मामला?
इंटरनेशनल कंवेंशन ऑफ रोड ट्रैफिक पर 1968 में भारत ने साइन किए थे। इसके मुताबिक, पैदल राहगीरों के लिए दुनियाभर में दाएं तरफ से चलने का नियम निर्धारित किया गया था।
जबलपुर, नईदुनिया। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका के जरिए सवाल उठाया गया है कि भारत की सड़कों पर पैदल राहगीर दाएं की जगह बाएं तरफ से क्यों चलते हैं? न्यायमूर्ति एसके गंगेले की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने इस सिलसिले में केन्द्र शासन को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया है। इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।
मंगलवार को मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित यचिकाकर्ता फोरम फॉर ट्रेफिक सेफ्टी एंड एनवायरमेंट सेनीटेशन के चेयरमैन ज्ञानप्रकाश ने अपना पक्ष स्वयं रखा। उन्होंने दलील दी कि भारत में दाएं के बदले बाएं तरफ से पैदल राहगीरों का चलना सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक है। कायदे से बाएं तरफ से चलने का नियम मोटर वाहनों के लिए है न कि राहगीरों के लिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इंटरनेशनल कंवेंशन ऑफ रोड ट्रैफिक पर 1968 में भारत ने साइन किए थे। इसके मुताबिक, पैदल राहगीरों के लिए दुनियाभर में दाएं तरफ से चलने का नियम निर्धारित किया गया था। इसके बावजूद अब तक भारत में विधिवत कानून न बनना चिंताजनक है। इसी वजह से मोटर वाहनों के साथ-साथ पैदल राहगीर भी बाएं तरफ से चलने के आदी हो गए हैं, जो दुर्घटनाओं को आमंत्रित करता है।
भारत सरकार से मांगा जाए जवाब
जनहित याचिकाकर्ता ने दलील दी कि कंट्रोल ऑफ नेशनल हाईवे लैंड एंड ट्रैफिक एक्ट-2002 के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग भारत सरकार की संपत्ति हैं। लिहाजा, भारत सरकार से हाईवे पर यातायात नियंत्रण, कार्ययोजना और मनीशनरी के अलावा बजट आदि के सिलसिले में जवाब मांगा जाना चाहिए। वहीं एनएचएआई से स्पीड, लोड एक्सल लोड आदि के संबंध में साइन बोर्ड को लेकर जानकारी तलब की जानी चाहिए।
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