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26 जनवरी को ही क्‍यों लागू किया गया हमारा संविधान, जानें इसकी वजह, कैसे है यह बेहद खास और अलग

26 जनवरी को हम हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में क्‍यों मनाते हैं। गणतंत्र से 26 जनवरी का क्‍या रिश्‍ता है। ऐसे में जब हम लोकतंत्र का यह पर्व मनाने जा रहे हैं हमें यह भी जानना चाहिए कि हमारा संविधान बाकी मुल्‍कों से बेहद खास क्‍यों है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 04:28 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 10:25 PM (IST)
26 जनवरी को ही क्‍यों लागू किया गया हमारा संविधान, जानें इसकी वजह, कैसे है यह बेहद खास और अलग
हमारा सविंधान 26 जनवरी सन 1950 को लागू हुआ था।

नई दिल्‍ली [ऑनलाइन डेस्‍क]। हम 26 जनवरी को हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। देश के इतिहास में जिस तरह 15 अगस्‍त देश को आजादी मिलने की एक अविस्‍मरणीय तारीख के तौर पर दर्ज है... ठीक उसी तरह 26 जनवरी का दिन भी बेहद खास है। ये दोनों तिथियां राष्‍ट्रीय पर्व के तौर पर हर साल धूमधाम से मनाई जाती हैं। असल में 26 जनवरी की तारीख का एक स्‍वर्णिम रिश्‍ता देश के संविधान से तो दूसरा गणतंत्र से जुड़ा हुआ है। आइए जानें कि 26 जनवरी को हम हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में क्‍यों मनाते हैं और गणतंत्र से इसका क्‍या रिश्‍ता है। साथ ही यह भी कि हमारा संविधान दुनिया के बाकी मुल्‍कों से बेहद खास क्‍यों है...

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देश में लागू हुआ था अपना संविधान

दरअसल अंग्रेजों के शासन से 15 अगस्त सन 1947 को आजादी मिलने के बाद देश के पास अपना कोई संविधान नहीं था। भारत की शासन व्‍यवस्‍था गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 पर आधारित थी। इसके बाद 29 अगस्त सन 1947 को डॉ. बीआर आंबेडकर के नेतृत्व में प्रारूप समिति का गठन किया गया। इसके बाद 26 नवंबर सन 1949 को प्रारूप समिति ने एक वृहद लिखित सविंधान सभापति डॉ. राजेद्र प्रसाद को सौंपा। सविंधान लिखने में कुल दो साल 11 महीने 18 दिन लग गए थे। हालांकि आधिकारिक तौर पर सविंधान 26 जनवरी सन 1950 को लागू हुआ था। इसके साथ ही 26 जनवरी का दिन इतिहास में राष्‍ट्रीय पर्व के तौर पर दर्ज हो गया।

क्‍या है गणतंत्र

यहां एक सवाल वाजिब है कि आखिरकार 26 जनवरी के दिन ही सविंधान को क्‍यों लागू किया गया। इसका एक खास रिश्‍ता गणतंत्र से है। गणतंत्र यानी रिपब्लिक शासन की ऐसी प्रणाली है जिसमें राष्ट्र किसी एक व्‍यक्ति विशेष का राज्‍य नहीं होता... यह लोक (गण) यानी सर्व जन (नागरिकों) का होता है। इसे ऐसे भी समझें कि यह किसी शासक की निजी संपत्ति नहीं होता है। राष्ट्र का मुखिया वंशानुगत नहीं होता है। सरल वाक्‍य में कहें तो गणतंत्र यानी रिपब्लिक का मतलब व्‍यवस्‍था का वह रूप है जहां राष्ट्र का मुखिया राजा नहीं होता है। इसमें जनता अपना नेतृत्‍व चुनती है। संविधान के मुताबिक यह जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन है।

...इसलिए चुना गया 26 जनवरी का दिन

अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई के दौरान ही गणतंत्र की परिकल्‍पना कर ली गई थी... लेकिन अंग्रेजों के रहते इसे लागू करना इतना आसान नहीं था। यही वजह थी कि देश के लोगों ने एकजुट होकर सबसे पहले आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। तिथियों के लिहाज से देखें तो भारत को पूर्ण गणराज्य का दर्जा दिलाने की मुहीम देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में हुई थी। जब 26 जनवरी 1929 को लाहौर में कांग्रेस अधिवेशन हुआ जिसमें पहली बार भारत को पूर्ण गणराज्य बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया। हालांकि ब्र‍ितानी हुकूमत ने कांग्रेस के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। यही वजह है कि आजा‍दी मिलने के बाद सविंधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी के दिन को ही चुना गया।

संविधान : लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था का महान दस्तावेज

भारत का संविधान लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था का महान दस्तावेज है। आइए जानें हमारा संविधान बाकी मुल्‍कों से सबसे अलग और बेहद खास क्‍यों है। दरअसल इसको संपूर्ण बनाने के लिए दुनिया के दूसरे मुल्‍कों के कानूनी दस्‍तावेजों और संविधानों से बहुत कुछ लिया गया। यह कहा जा सकता है कि हमारा संविधान दुनिया की बेहतरीन शासन प्रणाणियों का निचोड़ और सर्वोत्‍तम सार भी है। संविधान में ब्रिटेन से संसदीय सरकार, कानून, संसदीय प्रणाली, एकल नागरिकता, कैबिनेट व्यवस्था समेत कई बातों को शामिल किया गया है। हमारे संविधान में राष्ट्रपति चुनने के लिए अप्रत्यक्ष मतदान की व्‍यवस्‍था है जो आयरलैंड से लिया है।

दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान

भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित दस्‍तावेज भी है। करीब 2000 संशोधन के बाद संविधान का वास्‍तविक स्‍वरूप हमारे सामने आया। संविधान की प्रस्तावना 'हम भारत के लोग' से शुरू होती है। संविधान में नागरिकों के मौलिक यानी मूलभूत अधिकार, राष्ट्रपति पर महाभियोग जैसे कई महत्‍वपूर्ण प्रावधान हैं। ये सभी अमेरिकी संविधान से लिए गए हैं। संविधान में आम नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को भी रखा गया है। इन्‍हें रूस से लिया गया है। संविधान संशोधन की क्‍या व्‍यवस्‍था होगी और राज्य सभा सदस्यों का निर्वाचन कैसे होगा उक्‍त प्रावधान दक्षिण अफ्रीका से लिए गए हैं।

इस वजह से ही हार जाती हैं देश विरोधी ताकतें

बेहतर जीवन और समावेशी विकास तभी सुनिश्चित होगा जब नागरिक भी अपने कर्तव्‍यों का समुचित निर्वहन करें। संसद ने सन 1976 में पाया कि नागरिक संविधान में प्रदत्त सभी स्वतंत्रताओं लाभ ले रहे हैं लेकिन राष्ट्र के प्रति उनके क्‍या कर्तव्यों होने चाहिए इसकी जानकारी उन्‍हें नहीं थी। ऐसे में संविधान संशोधन के जरिए एक नए अनुच्छेद 51ए को संविधान में जोड़ा गया। यह अनुच्छेद 51ए नागरिक के मौलिक कर्तव्यों की बात करता है। नागरिकों के कर्तव्‍यों में देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना और उसे बनाए रखना भी शामिल है। इसमें राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज का सम्मान करना भी शामिल है। यही कारण है कि लाख कोशिशों के बावजूद देश विरोधी ताकतें हार जाती हैं।  


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