Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम आयु सीमा पर क्‍यों पड़ी पुनर्विचार की जरूरत, क्या करेगी समिति

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Sat, 17 Oct 2020 07:17 AM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम आयु सीमा पर पुनर्विचार करने के लिए एक समिति गठित करने की घोषणा की थी। जानें कानून होने के बावजूद देश में क्‍यों हो रहे बड़ी संख्‍या में बाल विवाह...

    Hero Image
    लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम आयु का मुद्दा काफी समय से विवाद में है।

    नई दिल्ली [आनलाइन डेस्क]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2020 को 74वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम आयु सीमा पर पुनर्विचार करने के उद्देश्य से एक समिति गठित किए जाने की घोषणा की थी। यह मुद्दा काफी समय से विवाद में है। भारतीय दंड संहिता 1860 में यह न्यूनतम उम्र 10 साल थी। बाद में समय-समय पर हुए संशोधनों के बाद फिलहाल यह 18 वर्ष है। लड़कों के मामले में यह 21 वर्ष है। हालांकि कुछ लोग इसे भी भेदभाव मानते हैं और इसे लड़के और लड़कियों दोनों के लिए एक बराबर करने की दलील देते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कानून की एक खामी के चलते हो रहा दुरुपयोग

    लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र तय किए जाने के बावजूद अलग-अलग धर्मों में अपने-अपने रीति-रिवाज और कानून हैं। हिंदू विवाह कानून, 1955 की धारा 5(3) के अनुसार शादी के समय लड़की की उम्र 18 वर्ष और लड़के की 21 वर्ष होनी चाहिए। इसके बावजूद कानून की एक खामी का फायदा उठाकर इस देश में लाखों बाल विवाह होते हैं। दरअसल, शादी की न्यूनतम उम्र तो तय कर दी गई है लेकिन बाल विवाह तब तक अवैध नहीं है, जब तक कि दोनों में से कोई एक उसे खत्म करने के लिए कानून का सहारा न ले।

    बाल विवाह के मामले में भारत पहले नंबर पर

    मुस्लिम पर्सनल ला के मुताबिक लड़की के रजस्वला होते ही उसकी शादी की जा सकती है। यूनीसेफ के मुताबिक भारत में लगभग 15 लाख लड़कियों की 18 साल की उम्र से पहले ही शादी कर दी जाती है। पूरी दुनिया में जितने भी बाल विवाह होते हैं उनमें से एक तिहाई योगदान हमारा है। इस तरह से बाल विवाह के मामले में भारत पहले नंबर पर है। एक अनुमान के मुताबिक 15-19 साल की 16 फीसदी लड़कियों की शादी हो जाती है।

    क्या करेगी समिति

    बाल विवाह को रोकने के अलावा लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाए जाने के पीछे कई और मजबूत तर्क दिए जाते हैं। कम उम्र में गर्भधारण से जच्चा-बच्चा दोनों की जिंदगी खतरे में पड़ती है। मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के अलावा प्रधानमंत्री द्वारा गठित समिति कई और मुद्दों पर विचार करेगी। समिति सेहतमंद मातृत्व और शादी की उम्र के बीच सहसंबंध का परीक्षण करेगी। इसमें गर्भधारण से लेकर बच्चे के जन्म और उसके बाद जच्चा-बच्चा के पोषण पर खास जोर दिया जाएगा। इसके लिए शादी की उम्र को 18 से 21 किए जाने की संभावना पर भी विचार करेगी।