'The Kerala story' को लेकर क्यों मचा है हंगामा, क्या है इसका केरल से कनेक्शन?
फिल्म The Kerala story को लेकर पिछले कुछ दिनों से हंगामा मचा हुआ है। इस फिल्म को बैन करने की भी मांग हो रही है। फिल्म में हिंदू और ईसाई लड़कियों को लेकर कई तरह के दावे किए गए हैं।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। पिछले कुछ दिनों से फिल्म 'The Kerala story' को लेकर काफी शोर सुनाई दे रहा है। इस फिल्म पर विवाद गहराता जा रहा है, राज्य सरकार ने कह दिया कि ये आंकड़ा सही नहीं है, सोशल मीडिया पर इसका ट्रेलर वायरल है, फिल्म पर रोक लगवाने के लिए कोर्ट में याचिकाएं दायर हो रही हैं। आपको बताते हैं कि क्यों इसका विरोध हो रहा है और केरल का इसे लेकर क्या इतिहास रहा है।
क्या है The Kerala Story में
फिल्म में दावा किया गया है कि करीब 32 हजार हिंदू और ईसाई लड़कियों का ब्रेनवॉश किया गया, उन्हें मुस्लिम लड़कों ने शादी के लिए फंसाया और उन्हें आतंकवादी संगठन ISIS में शामिल कराने के लिए इराक, सीरिया अफगानिस्तान भेज दिया गया। इसके आंकड़े को लेकर विरोध हो रहा है कि ये सही नहीं है, यहां तक कि केरल के मुख्यमंत्री को भी ये बयान देना पड़ा कि 32 हजार का आंकड़ा सही नहीं है, लेकिन फिल्म से दूर एक सवाल है कि केरल की ये कहानी कहां से शुरू हुई.. क्यों बार बार केरल का नाम आता है।
केरल का नाम क्यों जुड़ा?
1950 और 60 के दशक में केरल के बड़े वर्ग ने मध्य पूर्व की ओर पलायन किया। छोटी सी नाव में बिना किसी दस्तावेज के कुछ लोग वहां के देशों में गए। इनमें इराक, अफगानिस्तान और सीरिया जैसे देश भी थे जो धीरे-धीरे आतंकवाद के गढ़ बनते गए। इस यात्रा में कई दिन और महीने तक लगे, लेकिन इसके बाद जो मिला वो खजाना था। तेल कंपनियों से मिले पैसे.. केरल में अमीरी आने लगी .. माना जाता है कि सालों तक करीब 30 लाख लोग Middle east में काम करते रहे हैंय़ केरल की आबादी में जो काम करने वाले लोग हैं उनमें से 10 फीसदी या फिर उससे भी ज्यादा लोग अभी भी खाड़ी देशों में हैं और वहां से मिले पैसे केरल में लोगों की समृद्धि बढ़ाता है।
केरल की आबादी
2011 की जनगणना के मुताबिक केरल की आबादी में करीब 54 फीसदी हिंदू, 26 फीसदी मुस्लिम और 18 फीसदी ईसाई हैं। केरल की साक्षरता दर ज्यादा है और भाषा, खानपान की वजह से दिल्ली ज्यादा दूर लगती है। केरल की महिलाएं दिल्ली और मुंबई जैसी जगहों में अस्पतालों में ज्यादातर नर्स की भूमिका में दिखती हैं, लेकिन ये संख्या काफी कम हैं। राज्य में सभी साक्षर हैं इसलिए रोजगार मिलना एक मुश्किल काम है और यहीं से एंट्री होती है आतंकवाद और आईएस जैसी आतंकवादी संगठनों की। पिछले कुछ दशकों में केरल और आतंकवाद का नाम एक साथ लिया जाने लगा है।
केरल में बड़ी घटनाएं
इसे समझने के लिए पिछले 10 सालों में तीन बड़ी घटनाओं पर गौर करने की जरुरत है।
साल 2016 में एनआईए ने 21 लोगों की एक लिस्ट जारी की जिसमें बताया गया कि ऐसा संदेह है कि ये सारे लोग केरल से आईएस ज्वाइन करने के लिए गए हैं। इन 21 लोगों में से 6 महिलाएं भी थी। 14 लोग 26 साल से कम उम्र के थे।
दूसरी घटना है जब कुछ समय पहले की है, जब अफगानिस्तान में तालिबान ने दोबारा हुकूमत कायम की तो वहां की जेल में चार भारतीय महिलाएं कैद मिली। जांच में सामने आया कि इन चारों महिलाओं को आईएस में शामिल होने के लिए अफगानिस्तान भेजा गया था और ये चारों महिलाएं अपने-अपने पति के साथ खुरासान प्रांत (ISKP) गई थीं। हालांकि,उनके परिवार के लोगों ने भारत सरकार से मांग की थी कि उनकी बेटियों को आजाद कराकर भारत लाया जाए। भारत सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी, जिसके बाद उन्हें अफगानिस्तान की जेल में ही कैद छोड़ दिया गया।
तीसरी घटना, जनवरी 2023 की है जब मोहम्मद पोला कन्नी को एनआईए कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई। ये आईएस का सदस्य था और इसका प्लान केरल और तमिलनाडु के जजों, पुलिस अधिकारियों और बड़े राजनेताओं को मारने का था। ये सोशल मीडिया के जरिए आईएस से जुड़ा था और वो वहां जाकर ज्वाइन करने के लिए वो जॉर्जिया भी गया, वो जॉर्जिया तुर्की बॉर्डर से सीरिया जाना चाहता था।
हदिया केस
धर्म बदल कर शादी या निकाह या फिर जबरन धर्म परिवर्तन की बातें भारत में होती रही है और कुछ साल पहले एक चर्चित केस भी आया था। उस केस का नाम है हदिया केस। इसमें एक हिंदू लड़की की शादी मुस्लिम लड़के से हुई। लड़की के पिता ने आरोप लगाया कि लड़की का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया है और केरल हाईकोर्ट में केस दायर किया। केरल हाईकोर्ट ने इस शादी को अवैध करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बाद में हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया और शादी बहाल कर दी और कहा कि भारत में दो बालिग अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं।