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    साढ़े चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची थोक महंगाई दर

    By Vikas JangraEdited By:
    Updated: Mon, 16 Jul 2018 11:53 PM (IST)

    महंगाई दर में उछाल से सरकार पर जहां आपूर्ति सुधारने का दबाव होगा, वहीं भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने के इरादे से आने वाले समय में ब्याज दरें बढ़ा सकता है।

    साढ़े चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची थोक महंगाई दर

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आलू, प्याज और अन्य सब्जियों तथा ईंधन वर्ग में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ने से जून में थोक महंगाई दर बढ़कर 5.77 प्रतिशत हो गयी है जो मोदी सरकार के कार्यकाल में अब तक का सर्वोच्च स्तर है। महंगाई दर में उछाल से सरकार पर जहां आपूर्ति सुधारने का दबाव होगा, वहीं भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने के इरादे से आने वाले समय में ब्याज दरें बढ़ा सकता है।

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    थोक महंगाई दर इस साल मई में 4.43 प्रतिशत तथा पिछले साल जून में 0.90 प्रतिशत थी। इससे पहले थोक महंगाई दर का उच्चतम स्तर दिसंबर 2013 में 5.9 प्रतिशत था। इस बीच सरकार ने अप्रैल 2018 के थोक महंगाई दर का आंकड़ा 3.18 प्रतिशत से संशोधित कर 3.62 प्रतिशत कर दिया है।

    थोक महंगाई में ताजा वृद्धि ऐसे समय दर्ज की गयी है, जब खुदरा महंगाई भी जून में पांच माह के उच्चतम स्तर पर पहुंचकर पांच प्रतिशत हो गयी है। वैसे तो रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति तय करते समय खुदरा महंगाई को ही संज्ञान में लेता है लेकिन थोक व खुदरा दोनों प्रकार की महंगाई दरों के ऊपर चढ़ने से रिजर्व बैंक पर महंगाई पर अंकुश लेने का दवाब बढ़ जाएगा। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने थोक महंगाई दर चार प्रतिशत (दो प्रतिशत कम या ज्यादा) रखने का लक्ष्य रखा है।

    सरकार की ओर से जारी थोक महंगाई दर के ताजा आंकड़ों के मुताबिक जून में खाद्य वस्तुओं की थोक महंगाई दर 1.80 प्रतिशत रही जबकि मई में यह 1.60 प्रतिशत थी। हालांकि जून में सब्जियों की महंगाई दर 8.12 प्रतिशत थी जबकि मई में यह 2.51 प्रतिशत थी। जून में सब्जियों में सबसे ज्यादा महंगाई दर आलू की 99.02 प्रतिशत थी जबकि मई में यह 81.93 प्रतिशत थी। इसी तरह प्याज की महंगाई दर भी मई में 13.20 प्रतिशत के स्तर से बढ़कर जून में 18.25 प्रतिशत हो गयी। हालांकि दालों की कीमतों में गिरावट का दौर जारी है। दालों की महंगाई दर में जून में 20.23 प्रतिशत की कमी आई।

    वहीं ईंधन वर्ग श्रेणी में शामिल वस्तुओं की महंगाई दर बढ़कर जून में 16.18 प्रतिशत हो गयी जबकि मई में यह 11.22 प्रतिशत थी। इसके बढ़ने की वजह हाल के महीनों में वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आना है। इस बीच, विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई दर में उछाल आने के बाद रिजर्व बैंक अगस्त में ब्याज दरें बढ़ा सकती है। आरबीआइ की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक इस महीने के अंत में होगी।

     

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