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    कौन होगा सीताराम येचुरी का उत्तराधिकारी? माकपा में चयन के लिए मंथन जारी

    Updated: Thu, 26 Sep 2024 08:23 PM (IST)

    Sitaram Yechury महासचिव का चुनाव प्रत्येक तीन वर्ष पर होने वाली पार्टी की सेंट्रल कमेटी की बैठक में पोलित ब्यूरो के सदस्यों के बीच से ही किया जाता है। अगली बैठक मदुरै में 2025 में दो से छह अप्रैल के बीच प्रस्तावित है। सीताराम समेत दो सदस्यों के निधन के बाद वर्तमान में पोलित ब्यूरो सदस्यों की संख्या 15 है।

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    CPI(M) महासचिव सीताराम येचुरी (File Photo )

    अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। सीताराम येचुरी के निधन के बाद मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) अपने अगले महासचिव की तलाश की प्रक्रिया से गुजर रही है। दिल्ली में शुक्रवार से चार दिनों तक पार्टी के पोलित ब्यूरो एवं केंद्रीय कमेटी की बैठक होनी है। इसी में तय हो जाएगा कि सीताराम का उत्तराधिकारी कौन होगा। अभी इतना तय है कि जिसके भी हाथ में पार्टी की कमान जाएगी, वह कार्यकारी व्यवस्था के तहत अगले छह महीने तक ही महासचिव रह सकेगा।

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    भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) से 1964 में अलग होकर अस्तित्व में आई माकपा के छह दशकों के इतिहास में यह पहला मौका है, जब पद पर रहते हुए किसी महासचिव का निधन हुआ है। माकपा में महासचिव ही सर्वोच्च पद होता है। पोलित ब्यूरो के सदस्य सलाहकार के रूप में काम करते हैं।

    क्या कहता है माकपा का संविधान

    माकपा पर 76 वर्षीय प्रकाश करात का व्यापक प्रभाव रहा है। वह तीन बार महासचिव रह चुके हैं। ज्यादा उम्र और व्यवस्थागत मजबूरी नहीं होती तो वह सबसे बड़े दावेदार हैं, किंतु माकपा के संविधान के अनुसार, कोई भी व्यक्ति तीन बार से अधिक महासचिव नहीं चुना जा सकता।

    सामूहिक नेतृत्व

    करात ने येचुरी की अनुपस्थिति में सामूहिक नेतृत्व की बात कही है, लेकिन छह महीने की अवधि छोटी नहीं होती। इसलिए कार्यकारी व्यवस्था तय है। व्यापकता और वरिष्ठता के लिहाज से दावेदारों में मो. सलीम, बृंदा करात और माणिक सरकार प्रमुख हैं, मगर दूसरा पक्ष है कि तीनों के साथ कुछ न कुछ किंतु-परंतु लगा हुआ है।

    इन पर टिकी निगाहें

    बृंदा करात की उम्र 76 वर्ष पार कर गई है। बंगाल में माकपा के सचिव मो. सलीम लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। वक्ता भी अच्छे हैं। बंगाल में अपने खोये जनाधार की वापसी के लिए संघर्ष में जुटे माकपा को मो. सलीम की अत्यंत जरूरत है। सामाजिक समीकरणों के लिहाज से तृणमूल पर माकपा को अगर कोई बढ़त दिला सकने में सक्षम हो सकता है तो वह सलीम हैं।

    • त्रिपुरा में माकपा के हाथ से सत्ता जाने के बाद पार्टी को वापसी के लिए माणिक सरकार से बड़े और प्रभावी संघर्ष की अपेक्षा है। साथ ही उनकी तबीयत भी ऐसी नहीं है कि पूरे देश को नेतृत्व दे सकें।
    • केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन के करीबी एमवी गोविंदन भी प्रमुख दावेदार हैं। केरल में माकपा के सचिव हैं, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होना है।
    • ऐसे में उनकी जरूरत केरल में ही ज्यादा होगी। ऐसे में नए नेताओं में महाराष्ट्र के अशोक धावले और केरल के एमए बेबी का नाम तेजी से ऊपर आया है।

    कौन-कौन हैं पोलित ब्यूरो के सदस्य

    पोलित ब्यूरो के सदस्यों में प्रकाश करात, पिनाराई विजयन, एमवी गोविंदन, बृंदा करात, माणिक सरकार, मोहम्मद सलीम, सूर्यकांत मिश्रा, बी.वी. राघवुलु, तपन कुमार सेन, नीलोत्पल बसु, जी. रामकृष्णन, सुभाषिनी अली एवं ए विजयराघवन पहले से शामिल हैं, जबकि एमए बेबी, रामचंद्र डोम, अशोक धवले को बाद में शामिल किया गया।

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