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    Jagran Trending | आखिर दर-दर क्‍यों भटक रहे हैं शरणार्थी? इनकी समस्‍या के लिए कौन है जिम्‍मेदार, क्‍या है कानून

    By Ramesh MishraEdited By:
    Updated: Wed, 29 Jun 2022 11:22 AM (IST)

    World Refugee day 2022 आज इस कड़ी में हम आपको बताएंगे कि दुनिया के मुल्‍कों ने और अंतरराष्‍ट्रीय एजेंस‍ियों ने इन शरणार्थियों के हक के लिए क्‍या-क्‍या किया। शरणार्थी समस्‍या को लेकर क्‍या है संयुक्‍त राष्‍ट्र की बड़ी चिंता। इसने ग्‍लोबल राजनीति को किस तरह से प्रभावित किया है।

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    आखिर दर-दर क्‍यों भटक रहे हैं शरणार्थी? इनकी समस्‍या के लिए कौन है जिम्‍मेदार। फाइल फोटो।

    नई दिल्‍ली, जेएनएन। World Refugee day 2022: शरणार्थियों की इस दुर्दशा के लिए कौन जिम्‍मेदार है। क्‍या दुनिया भर के शरणार्थी अपने अधिकारों के लिए दर-दर भटकते रहेंगे। क्‍या इस वैश्विक समस्‍या से अंतरराष्‍ट्रीय एजेंसियां अनजान हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बताएंगे कि दुनिया के मुल्‍कों ने और अंतरराष्‍ट्रीय एजेंस‍ियों ने इन शरणार्थियों के हक के लिए क्‍या-क्‍या किया। शरणार्थी समस्‍या को लेकर क्‍या है संयुक्‍त राष्‍ट्र की बड़ी चिंता। इसके अलावा यह भी जानेंगे कि शरणार्थी समस्‍या ने न केवल किसी देश की आंतरिक राजनीति को बल्कि ग्‍लोबल राजनीति को किस तरह से प्रभावित किया है।

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    1- प्रो अभिषेक प्रताप सिंह का कहना है कि आज के समय में शरणार्थियों की समस्या काफी विषम और जटिल हो गई है। उन्‍होंने कहा कि दुनिया में अलग-अलग देशों में रह रहे शरणार्थी रोजी रोजगार के लिए कोशिश कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि ऐसा नहीं कि देश दुनिया में शरणार्थियों के लिए कोई नियम कानून नहीं है। प्रो अभिषेक का कहना है कि शरणार्थियों के लिए भी नियम कानून बनाए गए है, लेकिन इसका सही रूप से पालन नहीं होता है। उन्‍होंने कहा कि इसके लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार भी बनाए गए हैं। परंतु अक्सर देखा जाता है कि इसकी सुनवाई नहीं की जाती है एवं इस समस्या को नजरअंदाज कर दिया जाता है। यहां तक कि सरकार की बात की जाए तो सरकार के साथ-साथ विभिन्न राजनीतिक पार्टी भी इस बात के लिए कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाते। कोई भी शरणार्थियों की समस्या सुनने के लिए तैयार नहीं है।

    2- प्रो अभिषेक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट के मुताबिक शरणार्थियों की स्थिति वैश्विक स्तर पर लगातार बड़ी होती जा रही है। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इस समस्या का हल निकालने की बात रखी है। शरणार्थियों की समस्या को लेकर संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी चाहती है कि सभी देशों को उनके यहां रह रहे शरणार्थियों की समस्या को गंभीरता से लेनी होगा। इसके साथ ही उन्हें देश की नागरिकता दिलाने के साथ-साथ रोजगार एवं अन्य अधिकार भी उपलब्ध कराने होंगे। कई बार शरणार्थियों के साथ शरणार्थी बनने के लिए जबरदस्ती की जाती है और उन्हें अपने देश से दूसरे देश में विस्थापित कराया जाता है। हालांकि, उन्हें इस प्रकार से कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें इस दौर से गुजरना पड़ता है। यूएनएचसीआर की वार्षिक ग्लोबल ट्रेंड्स की रिपोर्ट में शरणार्थियों की समस्‍या पर चिंता जाहिर की गई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि करोड़ो लोगों को बलपूर्वक स्थापित किया गया। इस प्रकार आंकड़ों के मुताबिक यह भी देखा गया है कि विशेष रूप से विकासशील देशों में यह समस्याएं अधिक होती है।

    3- उन्‍होंने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि प्रत्येक देश की सरकार शरणार्थियों को अपने देश में आश्रय दें। इसके अलावा उन्हें उन अधिकारों से भी वंचित नहीं होने दें जो अधिकार उस देश के नागरिकों को मिलते हैं। केवल सरकार ही नहीं बल्कि शरणार्थियों के क्षेत्र विशेष में जिन राजनीतिक पार्टियों की सत्ता है। उन्हें भी शरणार्थियों से जुड़े इन समस्याओं को लेकर आपस में विचार करने चाहिए एवं इस समस्या को खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बाद ही शरणार्थियों की यह समस्या पूर्ण रूप से खत्म हो सकती है। सरकार के साथ-साथ हमारा भी कर्तव्य होना चाहिए कि शरणार्थियों के प्रति हम भावनात्मक रूप से जुड़ सकें, ताकि उन्हें भी अनुकूल वातावरण उपलब्ध हो सके।

    4- हाल के वर्षों में जर्मनी के साथ अन्य यूरोपीय देशों में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की दर बहुत ही धीमी रही है। ऐसे में बड़ी संख्या में शरणार्थियों को आश्रय दे पाना इन देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है। फ्रांस और कई अन्य देशों में वर्तमान में चल रहे सरकार विरोधी प्रदर्शन के कारण देश अन्य समस्याओं पर विशेष ध्यान नहीं दे पा रहें हैं। इसके अतिरिक्त हाल के वर्षों में यूरोप के देशों में पहुंचे अफ्रीकी शरणार्थियों और स्थानीय नागरिकों के बीच भाषा, संस्कृति आदि को लेकर समन्वय स्थापित कर पाना सरकारों के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा हाल के वर्षों में यूरोप के कई देशों में शरणार्थी विरोधी मुद्दों को लेकर कई विपक्षी पार्टियों ने मजबूत जन समर्थन जुटाया है, ऐसे में इन देशों में शरणार्थियों को आश्रय देने पर सरकारों को भारी नागरिक विरोध का सामना करना पड़ सकता है।

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