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    Justice PB Varale: कौन हैं जस्टिस पीबी वराले? जिनके शपथ लेते ही सुप्रीम कोर्ट में बनेगा यह रिकॉर्ड

    Updated: Wed, 24 Jan 2024 11:38 PM (IST)

    कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पीबी वराले को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। उनके शपथ लेते ही शीर्ष अदालत भारत के मुख्य न्यायाधीश सहित 34 न्यायाधीशों की अपनी पूर्ण क्षमता के साथ काम करेगी। वह अनुसूचित जाति से शीर्ष अदालत के तीसरे मौजूदा न्यायाधीश होंगे। पिछले महीने जस्टिस एसके कौल के सेवानिवृत्त होने के बाद एक पद खाली चल रहा था।

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    कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पीबी वराले बने सुप्रीम कोर्ट के जज। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पीबी वराले को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। उनके शपथ लेते ही शीर्ष अदालत भारत के मुख्य न्यायाधीश सहित 34 न्यायाधीशों की अपनी पूर्ण क्षमता के साथ काम करेगी। वह अनुसूचित जाति से शीर्ष अदालत के तीसरे मौजूदा न्यायाधीश होंगे।

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    सुप्रीम कोर्ट में एक पद था खाली

    वर्तमान में शीर्ष अदालत के जस्टिस बीआर गवई और सीटी रविकुमार भी अनुसूचित जाति से हैं। सुप्रीम कोर्ट में गत माह जस्टिस एसके कौल के सेवानिवृत्त होने के बाद एक पद खाली चल रहा था। इस माह की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने जस्टिस वराले के नाम की सिफारिश की थी और सिफारिश के एक सप्ताह के भीतर ही उनकी नियुक्ति कर दी गई।

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    कौन हैं जस्टिस वराले?

    जस्टिस वराले कर्नाटक के रहने वाले हैं। उनका जन्म कर्नाटक के निपानी में 1961 में हुआ था। उन्होंने लॉ की पढ़ाई के बाद 1985 में वकालत की शुरुआत की। विभिन्न जगहों पर काम करने के बाद उन्हें 2008 में बॉम्बे हाई कोर्ट में नियुक्ति मिली थी। इसके बाद अक्टूबर 2022 में वह कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे।

    कलेजियम ने वराले के नाम की सिफारिश की थी

    जस्टिस वराले के नाम की सिफारिश करते हुए सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने कहा था कि वह हाई कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीशों में से एक हैं और हाई कोर्ट में अनुसूचित जाति से एकमात्र मुख्य न्यायाधीश हैं।

    नाम की सिफारिश करते समय कलेजियम ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष 34 न्यायाधीशों की पूरी ताकत के साथ काम किया है और इस कारण कैलेंडर वर्ष 2023 में 52,191 मामलों का निपटारा किया। कलेजियम ने सिफारिश में न्यायाधीशों का कार्यभार बढ़ने का हवाला भी दिया था।

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