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    जानिए कौन हैं जस्टिस एनवी रमना, जो बने भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश

    By Shashank PandeyEdited By:
    Updated: Sun, 25 Apr 2021 11:01 AM (IST)

    भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस एनवी रमना। 26 अगस्त 2022 तक पद पर रहेंगे। एक साल चार माह का होगा कार्यकाल। फरवरी 2014 में सुप्रीम कोर्ट का जज बनाए जाने से पहले जस्टिस रमना दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे।

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    भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस रमना। (फोटो: दैनिक जागरण/फाइल)

    नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश एनवी रमना ने 24 अप्रैल को भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ ली है। न्यायमूर्ति नूतलपति वेंकट(एनवी) रमना भारत के नये प्रधान न्यायाधीश बन गए हैं। जस्टिस एनवी रमना 26 अगस्त 2022 तक पद पर रहेंगे। इस तरह इस पद पर उनका कार्यकाल करीब एक साल और चार महीने का होगा। जस्टिस एनवी रमना ने मुख्य न्यायाधीश के तौर पर सीजेआई एसए बोबडे की जगह ली है जो अब रिटायर हो गए हैं। शनिवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में जस्टिस रमना ने भारत के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली। 

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    कौन हैं जस्टिस एनवी रमना ?

    जस्टिस रमना का जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पुन्नावरम गांव में 27 अगस्त 1957 को हुआ था। एलएलबी करने के बाद 10 फरवरी 1983 को वह एडवोकेट पंजीकृत हुए। 27 जून 2000 को जस्टिस रमना आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में स्थाई न्यायाधीश नियुक्त हुए। उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में 10 मार्च 2013 से लेकर 20 मई 2013 तक एक्टिंग चीफ जस्टिस के तौर पर काम किया। जस्टिस रमना 2 सितंबर 2013 को दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने और बाद में 17 फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने। 

    जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के मामले की सुनवाई भी की

    सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में जस्टिस रमना ने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की और फैसले सुनाए जिसमें पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ की अगुवाई करते हुए जस्टिस रमना ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाले मामले को सात न्यायाधीशों की पीठ को सुनवाई के लिए भेजने की मांग ठुकरा दी थी।

    कई अन्य अहम मामलों की भी सुनवाई की

    इसके अलावा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के दफ्तर को सूचना के अधिकार कानून के तहत पब्लिक अथारिटी घोषित करने वाले पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के फैसले की पीठ में जस्टिस रमना भी शामिल थे। जस्टिस रमना 2016 में अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार को बहाल करने वाला फैसला देने वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का भी हिस्सा थे। नवंबर 2019 में महाराष्ट्र की देवेंद्र फड़नवीस सरकार को फ्लोर टेस्ट का आदेश देने वाले फैसले की पीठ का भी जस्टिस रमना हिस्सा थे। वह सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों की सुनवाई में देरी का मुद्दा उठाने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही पीठ में भी थे।

    कई अहम मामलों में रहेगी नज़र

    वैसे तो सुप्रीम कोर्ट हमेशा ही लोगों से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई कर फैसला देता है लेकिन कोर्ट में इस वक्त कुछ ऐसे महत्वपूर्ण मामले लंबित हैं जिन पर देश भर की नजर है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को चुनौती देने का मामला, सीएए कानून की वैधानिकता का मसला और तीन नये कृषि कानूनों की वैधानिकता का मुद्दा लंबित है। चीफ जस्टिस होने के चलते जस्टिस रमना ही इन मामलों की सुनवाई की पीठ और समय तय करेंगे।