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कौन है भारतीय रेलवे का Mascot 'भोलू', जानें अपने उस साथी के बारे में जो हर रेल यात्रा में निभाता है आपका साथ

बेहद प्यारे से दिखने वाले शुभंकर भोलू द एलिफेंट को राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान ने भारतीय रेलवे के साथ मिलकर डिजाइन किया था। शुभंकर का 16 अप्रैल 2002 को अनावरण किया गया था। पहली बार बंगलुरू सिटी रेलवे स्टेशन पर शाम को कर्नाटक एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।

By Ashisha Singh RajputEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Tue, 17 Jan 2023 06:14 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jan 2023 06:19 PM (IST)
जब 'भोलू द एलिफेंट' रेलवे का शुभंकर बना, तो इसे खूब पसंद किया गया।

नई दिल्ली, जेएनएन। जब भी आपको ट्रेन से सफर करना होता है, आप जरूर तमाम चीजों का ध्यान रखते होंगे- जैसे टिकट, रस्ते में कौन-कौन से बड़े स्टेशन पड़ेंगे और खाने-पीने की चीजे आदि। ट्रेन की यात्रा तब और खूबसूरत लगती है, जब आप खिड़की के बाहर के नजरों का आनंद लेते हुए घूमते हैं। ऐसे में आपके मन में तमाम सवाल भी उठते होंगे। भारतीय रेलवे में सफर करने के दौरान आपने रेलवे स्टेशनों पर रेलवे के शुभंकर (Mascot) 'भोलू द एलिफेंट' के चित्रों पर यकीनन ध्यान दिया होगा।

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क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि क्यों स्टेशनों पर हाथी की तस्वीर लगी हुई है? या रेलवे को यह शुभंकर कब और कैसे मिला। आपके सभी सवालों का जवाब आपको इस खबर में पढ़ने मिलेगा। तो आइए जानतें हैं क्या है इसके पीछे की कहानी-

कब और क्यों मिला भोलू को जन्म

भारतीय रेलवे में प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग सफर करते हैं। गले में टाई, नीली कोट, स्टाइलिश टोपी और हाथों में ग्रीन लैंप पकड़े इस हाथी के चित्र रेलवे के कई स्टेशनों पर बना होता है। यह मास्कट बच्चों को खूब पसंद आता है। 2002-2003 में भारतीय रेलवे के 150 साल पूरा होने पर भारतीय रेलवे ने कई कार्यक्रमों की योजना बनाई थी। इसके लिए रेलवे को एक शुभंकर की जरूरत थी। ऐसे में तब 'भोलू द एलिफेंट' नाम के शुभंकर को जन्म दिया गया।

शुभंकर 'भोलू द एलिफेंट' को राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान ने किया तैयार

बेहद प्यारे और गोल-मटोल से दिखने वाले शुभंकर 'भोलू द एलिफेंट' को राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान ने भारतीय रेलवे के साथ मिलकर डिजाइन किया था। शुभंकर का 16 अप्रैल 2002 को अनावरण किया गया था। पहली बार उसी दौरान भोलू ने बंगलुरू सिटी रेलवे स्टेशन पर शाम को कर्नाटक एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।

2003 में रेलवे ने लिया यह फैसला

जब 'भोलू द एलिफेंट' रेलवे का शुभंकर बना, तो इसे खूब पसंद किया गया। इसके बाद 24 मार्च 2003 में रेलवे ने इसे अपना आधिकारिक शुभंकर बनाने का फैसला लिया, उसके बाद से यह भारतीय रेलवे की पहचान बन गया।

रेलवे अधिकारी भोलू को बताते हैं ईमानदार

रेलवे का यह शुभंकर रेलवे अधिकारियों के बीच में काफी लोकप्रिय हुआ। वे इसे बहुत मानते हैं। इस संबंध में भारतीय रेलवे ने साल 2003 में आधिकारिक रूप से बयान जारी कर भोलू को जिम्मेदार, ईमानदार, नैतिक और हंसमुख आइकन के रूप में वर्णित किया था। भोलू के हाथ में हरी बत्ती सुरक्षा और सकारात्मकता के साथ यात्रा करने के इरादे का प्रतीक है।

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