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    Bengal SIR: गणना फॉर्म नहीं लेने वालों की संख्या 20 लाख, कोलकाता में 1 लाख वोटरों का एक से ज्यादा जगहों पर नाम 

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 06:31 PM (IST)

    केंद्रीय चुनाव आयोग बंगाल में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर गंभीर है। आयोग ने तीन अधिकारियों को सीईओ दफ्तर में तैनात किया है। राज्य में 'अनकलेक्टेबल फॉर्म' की संख्या 20 लाख तक पहुंच गई है, और कोलकाता में एक लाख डबल एंट्री मिली हैं। आयोग पहली बार नकली और मृत वोटर्स की पहचान के लिए एआई का इस्तेमाल कर रहा है।

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    बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया। (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। केंद्रीय चुनाव आयोग शुरू से ही बंगाल में मतदाता सूची से विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर गंभीर औ सतर्क है। इसीलिए आयोग ने बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया के सभी पहलुओं पर बारीकी से नजर रख रही है ताकि कहीं किसी तरह की कोई गड़बड़ी या लापरवाही न हो। गणना फॉर्म भरने से लेकर ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के प्रकाशन तक पैनी नजर रखी जा रही है।

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    चुनाव आयोग बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया पर पूरी निगरानी रख रही है और इसलिए एक अहम फैसला लिया है। चुनाव आयोग के तीन बड़े अधिकारियों का कोलकाता में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) दफ्तर में तैनात कर दिया है। फिलहाल वे कोलकाता सीईओ दफ्तर में ही बैठेंगे और जब तक बंगाल में एसआइआर जारी रहेगा, वे यहीं से काम करेंगे।

    कौन हैं वो तीन बड़े अधिकारी?

    आयोग के ये तीन बड़े अधिकारी बीसी पात्रा, सौम्यजीत घोष और वीभोर अग्रवाल हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि आयोग ने मंगलवार को साफ किया था कि गणना फार्म भरने की अंतिम तिथि में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह अभी भी चार दिसंबर ही है। ड्राफ्ट वोटर लिस्ट नौ दिसंबर को पब्लिश होगी।

    अनकलेक्टेबल फॉर्म को लेकर उठ रहे सवाल

    अब राज्य में 'अनकलेक्टेबल फॉर्म' यानी फॉर्म नहीं लेने वालों की संख्या को लेकर सवाल उठ रहे हैं। आयोग सूत्रों के मुताबिक, राज्य में 'अनकलेक्टेबल फॉर्म' या बिना कलेक्ट किए गए फॉर्म की संख्या अब तक 20 लाख तक पहुच गई है। एसआईआर प्रक्रिया खत्म होने के बाद यह संख्या और बढ़ सकती है। इन फॉर्म के जरिए वोटरों की जानकारी वेरिफाई नहीं हो पाई है। इसके अलावा, एक अधिक स्थानों पर एक ही व्यक्ति के नाम यानी डबल एंट्री भी मिली है। अकेले कोलकाता में एक लाख डबल एंट्री मिली हैं।

    नकली और मृत वोटर की एआई से हो रहा सत्यापन 

    अब मतदाता सूची के नाम हटाने को लेकर चार बातों का सत्यापन किया जा रहा है। एक, मृत: वे वोटर जिनकी मौत हो चुकी है। दूसरा, अनट्रेसेबल: वे जो पते पर जाने के बाद भी नहीं मिल रहे हैं। तीसरा, शिफ्टेड: वे जो दूसरी जगह चले गए हैं और चौथा, डुप्लिकेट: एक ही वोटर का नाम मतदाता सूची एक से अधिक बार है।

    नौ दिसंबर को पब्लिश होने वाली ड्राफ्ट लिस्ट में इन चार कैटेगरी के मतदाताओं के नाम नहीं होंगे। वैसे, इस बार आयोग पहली बार नकली और मृत वोटर्स की पहचान  के लिए एआई सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा है। भारत में ऐसा पहली बार हो रहा है।

    बंगाल में एसआईआर के मामले में इस बार चुनाव आयोग नकली और मृत वोटर्स की पहचान करने के लिए एसआई(आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का इस्तेमाल कर रहा है। वोटर लिस्ट इमेज में चेहरे की समानता का एनालिसिस करके, एसआई सिस्टम एक ही व्यक्ति की पहचान करने में मदद कर रहा है जिसका नाम कई जगहों पर है।

    यह एसआई-बेस्ड सिस्टम वोटर डेटाबेस को स्कैन कर रहा है। फिर अलग-अलग फोटो के बीच चेहरे की समानता का एनालिसिस करके यह उन लोगों की पहचान करता है जिनके नाम या फोटो कई जगहों पर हैं।

    यह भी पढ़ें: बंगाल में अब तक 14 लाख वोटरों के नाम कटने का अनुमान, ड्राफ्ट सूची नौ दिसंबर को की जाएगी प्रकाशित