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    बीजेपी के कौनसे फॉर्मूले ने तीन राज्यों में दिलाई सफलता? आगामी चुनावों में भी अपनाएगी वही रणनीति

    Updated: Tue, 18 Feb 2025 09:30 PM (IST)

    हरियाणा महाराष्ट्र और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में मिली सफलता के फॉर्मूले को भाजपा आगामी विधानसभा चुनावों में भी आजमाने की तैयारी में जुट गई है। इस साल के अंत में बिहार के बाद अगले साल के शुरू में पश्चिम बंगाल असम तमिलनाडु केरल और पुडुचेरी में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इनमें बिहार और पुडुचेरी में राजग और असम में भाजपा सत्ता में है।

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    बीजेपी आगामी चुनावों के लिए उसी रणनीति का अपनाएगी, जिससे सफलता मिली।

    नीलू रंजन, जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में मिली सफलता के फार्मूले को भाजपा आगामी विधानसभा चुनावों में भी आजमाने की तैयारी में जुट गई है। लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के बाद सबसे कठिन माने जाने वाले इन तीनों राज्यों में भाजपा ने राष्ट्रीय मुद्दों के बजाय अति स्थानीय मुद्दों को चुनाव प्रचार में तरजीह दी और अप्रत्याशित जीत हासिल की।

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    इस साल के अंत में बिहार के बाद अगले साल के शुरू में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इनमें बिहार और पुडुचेरी में राजग और असम में भाजपा सत्ता में है।

    स्थानीय मुद्दों की पहचान कर सूची बनाने के के निर्देश

    • भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार आगामी विधानसभा चुनाव वाले सभी राज्यों के पार्टी पदाधिकारियों को राज्य स्तर के साथ-साथ अति स्थानीय मुद्दों की पहचान कर उनकी सूची बनाने का निर्देश दिया गया है ताकि चुनाव की घोषणा के पहले ही इन मुद्दों पर स्थानीय लोगों को गोलबंद करने का काम शुरू हो सके।
    • स्थानीय मुद्दों की पहचान के लिए विशेष रूप से नवगठित बूथ कमेटियों को जिम्मेदारी दी गई है और राज्य इकाई को इन बूथ कमेटियों के साथ मिलकर कार्यक्रम तैयार करने को कहा गया है।स्थानीय मुद्दों की पहचान और जनता के बीच उन्हें ले जाने का तरीका राजग व भाजपा शासित राज्यों व विपक्ष शासित राज्यों में अलग-अलग होगा।

    पेश किया जाएगा रोडमैप

    बिहार, पुडुचेरी और असम जैसे राजग व भाजपा शासित राज्यों में राज्य सरकार की उपलब्धियां गिनाने के साथ-साथ बाकी बची समस्याओं के दूर करने के रोडमैप पेश किया जाएगा। वहीं विपक्ष शासित राज्यों में राज्य सरकार की विफलता गिनाते हुए समस्याओं को दूर करने का भरोसा दिया जाएगा।

    डिब्रूगढ़ को दूसरी राजधानी बनाने की मांग

    दिल्ली की तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद इन समस्याओं को दूर करने की गारंटी देंगे। असम में हिमंत बिस्व सरमा की सरकार ने इन पर काम शुरू भी कर दिया है। डिब्रूगढ़ को दूसरी राजधानी की लंबे समय से चली आ रही मांग को जल्द ही पूरा करने का उन्होंने भरोसा दिया है। इसके साथ ही बोडोलैंड आंदोलन के दौरान हिंसाग्रस्त रहे कोकराझार में कैबिनेट की बैठक कर सरमा ने इलाके के विकास और बोडो अस्मिता के सम्मान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी जता दी है।

    बिहार और पुडुचेरी में भी बीजेपी की वही रणनीति

    बिहार और पुडुचेरी में भी भाजपा आगे इसी रणनीति के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है। पश्चिम बंगाल में भाजपा ममता बनर्जी सरकार के मुस्लिम तुष्टीकरण और भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बनाती रही है और उसमें उसे काफी सफलता भी मिली है। 2019 के पहले 10-15 फीसद वोटों तक सिमटी भाजपा उसके बाद सभी चुनावों में 40 फीसद के आसपास वोट हासिल करने में सफल रही है।

    लेकिन इस बार पश्चिम बंगाल के विभिन्न इलाकों के क्षेत्रीय मुद्दों के साथ-साथ सीट-दर-सीट स्थानीय मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रीय करेगी। लोकसभा चुनाव के दौरान तमिलनाडु में तीसरी ताकत बनने की कोशिश की विफलता के बाद भाजपा अब एआइडीएमके के साथ फिर से समझौता करने के विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रही है।

    स्थानीय मुद्दों से जमीनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश

    इसी तरह से केरल में कांग्रेस और वामपंथी गठबंधन के बीच सीधी लड़ाई के बीच भाजपा स्थानीय मुद्दों के सहारे अपनी जमीनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश करेगी। ऐसा नहीं है कि भाजपा अब तक विधानसभा चुनावों में राज्य स्तरीय मुद्दा नहीं उठाती थी। लेकिन राज्य मुद्दों के साथ-साथ उसके प्रचार में राष्ट्रीय मुद्दों की भी भरमार होती थी।

    स्थानीय मुद्दे उठाने की रणनीति तीन राज्यों में सफल

    अति स्थानीय मुद्दों को उठाने की रणनीति हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र के बाद दिल्ली में आजमाया गया, जिनमें तीन में सफलता मिली। नई रणनीति के तहत भाजपा के चुनाव प्रचार में राष्ट्रीय मुद्दे और मोदी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र होगा, लेकिन ज्यादा तरजीह राज्य स्तरीय और अति स्थानीय मु्द्दों को ही देने का फैसला किया गया है।