देश में महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण कब तक बनेगा? SC ने केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब
पूरे देश में महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल तैयार करने की मांग वाली जनहित याचिका पर देश के सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र एवं राज्य सरकारों से जवाब मांगा है। इस याचिका में इंटरनेट पर उपलब्ध गलत सामग्री पर प्रतिबंध लगाने और यौन अपराध के दोषियों को नपुंसक बनाने की भी मांग की गई है। ये याचिका सुप्रीम कोर्ट वोमेन लायर्स एसोसिएशन ने दायर की है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पूरे देश में महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल तैयार करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने ये नोटिस सुप्रीम कोर्ट वोमेन लायर्स एसोसिएशन की याचिका पर जारी किया है।
हालांकि कोर्ट ने याचिका में की गई कुछ मांगों को कठोर और बर्बर बताया लेकिन साथ ही कहा कि याचिका में सार्वजनिक परिवहन में सामाजिक व्यवहार को लेकर उठाया गया मुद्दा सही और विचारणीय है। सार्वजनिक परिवहन पर यात्रा के दौरान क्या ठीक है और क्या अनुचित है इसका प्रचार होना चाहिए। सार्वजनिक परिवहन में अच्छा व्यवहार न सिर्फ सिखाने की चीज है बल्कि उसका सख्ती से पालन भी होना चाहिए क्योंकि अब तो विमान में भी अनुचित व्यवहार की घटनाएं रिपोर्ट हो रही हैं।
याचिका में की गईं हैं ये मांगे
ये टिप्पणियां और आदेश न्यायमूर्ति सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की पीठ ने जनहित याचिका पर वरिष्ठ वकील महालक्ष्मी पवनी की दलीलें सुनने के बाद दिये। याचिका में देश व्यापी दिशा निर्देश जारी करने की मांग के साथ ही ऑनलाइन पोर्नोग्राफी सामग्री पर प्रतिबंध लगाने और यौन अपराध के दोषियों को नपुंसक बनाने की भी मांग की गई है। हालांकि कोर्ट ने याचिका में की गई सभी मांगों पर विचार करने से मना किया कोर्ट ने कहा कि कुछ मांगे कठोर और बर्बर हैं।
इससे पहले महालक्ष्मी पवनी ने देश भर में महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों का जिक्र करते हुए कहा कि आज 16 दिसंबर निर्भया कांड की बरसी है। ज्ञात हो कि इस दिन 2012 में दिल्ली में 23 वर्षीय युवती से चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म और दरिंदगी हुई थी जिसकी चोटों के कारण बाद में उसकी मौत हो गई थी।
पवनी ने कहा कि कानून तो कड़ा है पर उसको कड़ाई से लागू करने का मुद्दा है। इस याचिका में उनकी मांग है कि देश भर में महिलाओँ के लिए सुरक्षित माहौल बनाया जाए और उसके लिए दिशा निर्देश जारी होने चाहिए। याचिका में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध की देश भर में घटी विभिन्न घटनाओं का उल्लेख किया गया है।
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