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    'एसआइआर कब कराना है, यह हमारा विशेष अधिकार', सुप्रीम कोर्ट से बोला चुनाव आयोग

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Sun, 14 Sep 2025 06:59 AM (IST)

    चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि पूरे देश में नियमित अंतराल पर मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) कराने का कोई भी निर्देश उसके विशेष अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण होगा। इसके साथ ही शीर्ष अदालत में दाखिल एक जवाबी हलफनामे में चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाता सूची का संशोधन उसके अधिकार क्षेत्र में आता है।

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    SIR कब कराना है, यह अदालत तय नहीं कर सकती; SC से बोला चुनाव आयोग (फाइल फोटो)

     पीटीआई, नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि पूरे देश में नियमित अंतराल पर मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) कराने का कोई भी निर्देश उसके विशेष अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण होगा।

    शीर्ष अदालत में दाखिल एक जवाबी हलफनामे में चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाता सूची का संशोधन उसके अधिकार क्षेत्र में आता है। इसमें किसी अन्य संस्था का कोई हस्तक्षेप नहीं है।

    आयोग ने कहा कि बिहार को छोड़कर सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को पांच जुलाई, 2025 को लिखे पत्र में मतदाता सूचियों के गहन पुनरीक्षण के लिए कार्य शुरू करने का निर्देश दिया गया है। इसमें एक जनवरी, 2026 को योग्यता तिथि मानने को कहा गया है।

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    चुनाव आयोग को मतदाता सूचियों की तैयारी और संशोधन की निगरानी के लिए संवैधानिक शक्ति मिली हुई है। यह हलफनामा अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर दाखिल किया गया है।

    उपाध्याय ने आयोग को पूरे देश में नियमित अंतराल पर एसआइआर कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल भारतीय नागरिक ही देश की राजनीति और नीति का निर्धारण कर सकें।

    आठ सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि बिहार में एसआइआर के तहत मतदाताओं के पहचान प्रमाण के रूप में आधार कार्ड को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए।

    न्यायालय ने आयोग को नौ सितंबर तक इस आदेश को लागू करने के लिए कहा था। अपने जवाबी हलफनामे में आयोग ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत संसद और प्रत्येक राज्य की विधानसभा के लिए चुनावों के सिलसिले में मतदाता सूची तैयार करने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग के पास है।