जब गांधी ने बूढ़ी औरत के हाथ की ज्वार की रोटी खाने के बाद की थी सभा, पढ़िए पूरी कहानी
गांधी जी को रास्ते में रीठा वाली बूढ़ी दिखी, जो ज्वार की रोटी बना रही थी। गांधी जी ने बूढ़ी के हाथ से बनी ज्वार की रोटी खाई।
सागर, नईदुनिया। अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसावादी तरीके से लड़ाई लड़ते हुए देश भर के जनमानस को एकजुट करने महात्मा गांधी ने पूरे देश में कई यात्राएं की थीं। 1933 में दमोह यात्रा के दौरान महात्मा गांधी सागर भी आए हुए थे। यहां उन्होंने आमसभा को भी संबोधित किया था। गांधी जी देवरी से होते हुए रहली के पास गांव अनंतपुरा पहुंचे थे। यहां उन्हें रास्ते में रीठा वाली बूढ़ी दिखी, जो ज्वार की रोटी बना रही थी। गांधी जी ने बूढ़ी के हाथ से बनी ज्वार की रोटी खाई, फिर गढ़ाकोटा से होते हुए शाम करीब 4 बजे सागर पहुंचे।
उन्होंने तिलकगंज के पास एक सभा को संबोधित किया। गांधी जी के आने की तैयारी सागर में काफी पहले से की जा रही थी। इसके लिए पूरे शहर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी केदारनाथ रोहण ने पम्पलेट बंटवाए थे। नवदुनिया के पास गांधी जी के कार्यक्रम को लेकर बांटे गए पम्पलेट की कॉपी भी मौजूद है।
चरखा से सिखाया था सूत बनाना
महात्मा गांधी ने अपनी यात्रा के दौरान अनंतपुरा गांव में लोगों को चरखे से सूत बनाना भी सिखाया था। गांव के ज्ञानचंद जैन ने बताया कि उस समय गांव के बाहर से निकली नदी पर पुल नहीं बना था। तब गांधी जी नदी के पानी में से चल कर आए थे और गांव के पास ही एक घर में चरखे से सूत बनाना लोगों को सिखाया था। इसके बाद रीठा वाली बूढ़ी के यहां ज्वार की रोटी का भोजन कर गांधी जी आगे की यात्रा के लिए निकल पड़े थे।
अनंतपुरा में बना है गांधी स्मारक
रहली के पास स्थित गांव अनंतपुरा में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का स्मारक बना है। स्मारक काफी पुराना होने की वजह से जर्जर अवस्था में है। जहां गांव के लोग गांधी जी का मंदिर बनवाने की मांग काफी समय से कर रहे है। गांव में कुछ साल पहले गांधी जी की स्मृति में एक चबूतरा का निर्माण और विधायक निधि से किया गया है। अब लोग मंदिर बनाने की मांग देवरी विधायक हर्ष यादव से कर रहे है। जिसको लेकर प्रक्रिया चल रही है।