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    ईरान और कुवैत के बीच हुए युद्ध में जब एयर इंडिया ने कुवैत से भारतीयों को किया था एयरलिफ्ट, जानिए पूरी कहानी

    1990 में जब सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर हमला किया था तो एयर इंडिया के विमान वहां से एक लाख सत्तर हज़ार लोगों को सुरक्षित भारत लाए थे। जानिए क्या थी पूरी कहानी और कैसे भारत ने उस समय 1 लाख 70 हजार लोगों को कुुवैत से बाहर निकाला था।

    By Versha SinghEdited By: Versha SinghUpdated: Sun, 08 Jan 2023 02:29 PM (IST)
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    ईरान और कुवैत के बीच हुए युद्ध में जब एयर इंडिया ने कुवैत से भारतीयों को किया था एयरलिफ्ट

    नई दिल्ली। 2 अगस्त 1990 को अचानक कुवैत में रह रहे भारतीयों को पता चला कि इराक ने इस मुल्क पर हमला कर दिया है। अपने देश से हजारों मील दूर इस खाड़ी मुल्क में रह रहे भारतीयों पर तो जैसे एक पल में ही पहाड़ टूट पड़ा था। इराक से कुवैत की दूरी कुछ ज्यादा नहीं थी और उसकी हैसियत भी इतनी नहीं थी कि वह सद्दाम की सेना के सामने खड़े होने की हिम्मत कर सके।

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    अमीरों ने जनता को छोड़ दिया था उनके हाल पर

    नतीजतन कुछ घंटों में ही कुवैत के सुरक्षाबल भाग खड़े हुए और वहां के शासक रहे अमीर भी जनता को उनके हाल पर छोड़कर सुरक्षित ठिकानों की ओर निकल गए। शाम होते-होते कुवैत की सड़कों पर इराकी रिपब्लिकन गार्ड दिखाई देने लगे। हर तरफ हथियारबंद इराकी गार्डों को देख कुवैत के स्थानीय लोगों में दशहत भर गई। इनमें भारतीय समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में शामिल थे। एक अनुमान के मुताबिक उस समय कुवैत में पौने दो लाख के करीब भारतीय रह रहे थे।

    भारतीय करते थे कुवैत में काम

    इनमें से ज्यादातर लोग वहां नौकरीपेशा थे जो कुवैत के उद्योगों में काम करते थे। हालांकि इराकी गार्डों ने किसी को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचाया लेकिन उनकी दहशत हर तरफ थी। वो आने जाने वालों को टोक रहे थे, नतीजतन युद्ध के इस माहौल में लोग घरों और दफ्तरों में ही कैद होकर हर गए। कुवैत के अमीरों के देश छोड़ने के बाद इस बात की संभावना भी कम ही थी कि यहां हालात जल्दी सुधरेंगे क्योंकि सद्दाम हुसैन ने कुवैत को अपने देश का हिस्सा मानते हुए यहां पर इराकी शासन की घोषणा कर दी थी।

    इसके लिए उसने अपने चचेरे भाई अली हसन अल-माजिद जिसे केमिकल अली भी कहा जाता था उसे कुवैत का नया गर्वनर नियुक्त कर दिया। इसी बीच कुवैत में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए तत्कालीन चंद्रशेखर सरकार ने कदम उठाया। इस काम की जिम्मेदारी सौंपी गई तत्कालीन विदेश मंत्री इंद्र कुमार गुजराल को, जो तुरंत इस मुद्दे पर सक्रिय हुए और इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन से जेद्दा में मुलाकात की। हालांकि यहां एक गुमनाम भारतीय अरबपति की भूमिका का भी जिक्र किया जाता है जो कुवैत में रह रहा था।

    कहा जाता है कि उसी ने दोनों नेताओं की मुलाकात कराई और इसके बाद ही कुवैत से 1.70 लाख भारतीयों को निकालने के अभियान की शुरूआत हुई। इसी व्यक्ति के ऊपर ही कुछ दिन पहले अक्षय कुमार की फिल्म 'एयरलिफ्ट' आई थी जिसमें उन्होंने रंजीत कात्याल की भूमिका निभाई। फिल्म में दावा किया गया कि रंजीत कात्याल ने ही अकेले दम प्रयास कर 1.70 लाख भारतीयों को एयर इंडिया की मदद से एयर लिफ्ट किया था।

    1990 में कुवैत पर ईरान ने किया था हमला

    एक वक्त था जब इराक ने कुवैत पर हमला कर दिया था और वहां पर रहने वाले भारतीय अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे। हर तरफ दहशत का माहौल था। हर कोई किसी भी सूरत में वहां से वापस अपने देश आना चाहता था। भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि अपने लोगों को वहां से कैसे वापस लाया जाए। इराक कुवैत पर ताबड़तोड़ हमले कर रहा था। हर तरफ इराकी लड़ाके पहुंचे हुए थे।

    उस वक्त भारतीयों को सकुशल निकालने में जिन लोगों ने अहम भूमिका निभाई थी उसमें केरल के मथूनी मैथ्यूश्‍ हरभजन सिंह बेदी, अबे वेरिकाड, वीके वैरियर और अली हुसैन का नाम प्रमुख है। इन सभी ने वहां कुवैत में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए जी-जान एक कर दी थी। इन्होंने लगातार भारत सरकार से संपर्क बनाए रखा और केंद्र से मिले निर्देश पर काम करते रहे। बसों और गाडि़यों के जरिए पहले इन लोगों को अम्मान ले जाया गया था।

    1 लाख 70 हजार लोगों को किया गया था एयरलिफ्ट

    भारत के सामने समस्या थी अमेरिका के ऑपरेशन डेजर्ट स्ट्राम से पहले इन सभी को वहां से निकालना। भारत ने पहले वहां फंसे 1.70 लाख लोगों को निकालने के लिए सैन्य विमान भेजने का विचार किया था। लेकिन इसकी इजाजत न तो यूएन से मिली और न ही कुवैत ने दी। इसके बाद भारत सरकार ने एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस की मदद से जार्डन के अम्मान के रास्ते इन सभी लोगों को एयरलिफ्ट किया।

    भारतीयों को लाने के लिए 8 अगस्त को भरी थी पहली उड़ान

    8 अगस्त को एयर इंडिया ने इन भारतीयों को लाने के लिए पहली उ़ड़ान भरी थी। इसके बाद लगातार 488 फ्लाइट्स के जरिए इन लोगों को वहां से निकाला गया था। वहां से एयरलिफ्ट किए लोगों को लेकर आखिरी फ्लाइट 20 अक्टूबर 1990 को भारत आई थी। 63 दिनों के अंदर भारत सरकार ने 1 लाख 70 हजार लोगों को वहां से सुरक्षित बाहर निकाला था। भारत का किया गया ये ऑपरेशन आज तक के इतिहास में सबसे बड़ा एयरलिफ्ट ऑपरेशन था। इस ऑपरेशन को गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल किया गया है। इस घटना पर वर्ष 2016 में एयरलिफ्ट नाम से एक फिल्म भी बनी थी, जिसमें अक्षय कुमार ने मुख्य किरदार निभाया था।