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    DATA STORY: भारत में गेहूं की उपज प्रति हेक्टेयर 0.85 टन से 3.37 टन हो गई, जानें-60 साल में धान, काटन, दाल और मक्का की पैदावार में बदलाव

    रिपोर्ट के मुताबिक 1961 में अगर उत्पादन उपज जमीन और जनसंख्या को 100 माना जाए तो 2014 में दुनिया में कुल अनाज का उत्पादन 280 फीसद हो गया। वहीं इस बीच जनसंख्या में 136 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। यानी अनाज की उपज जनसंख्या से कहीं ज्यादा तेज बढ़ी है।

    By Vineet SharanEdited By: Updated: Wed, 16 Jun 2021 08:19 AM (IST)
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    1961 से 2014 के बीच 16 फीसद ज्यादा खेतों में उपज हो रही है। यह क्षेत्र जर्मनी से दोगुना है।

    नई दिल्ली, विनीत शरण। भारत में 1961 में गेहूं की उपज प्रति हेक्टेयर 0.85 टन थी। जो खाद और तकनीक के इस्तेमाल से 2018 में 3.37 टन प्रति हेक्टेयर हो गई। यानी इसमें 2.52 टन प्रति हेक्टेयर का भारी भरकम बदलाव आया। यह उछाल 296 प्रतिशत का है। इन्हीं सालों के बीच दुनिया में गेहूं की औसत उपज 1.09 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 3.42 हुई। यानी इसमें 214 प्रतिशत का उछाल है। ऑवर वर्ल्ड इन डाटा ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है। यह रिपोर्ट यूएन फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) के डाटा के रिपोर्ट के आधार पर तैयार हुई है।

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    रिपोर्ट के मुताबिक बाकी फसलों जैसे धान, मक्का, दाल, सोयाबीन और काटन की बात करें तो भारत में इनकी उपज में क्रमश: 253 प्रतिशत, 216 प्रतिशत, 39 प्रतिशत, 35 प्रतिशत और 232 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों ने 1960 से 2018 तक के उपज, जमीन, खाद और टैक्टर के डाटा के जरिए बताने की कोशिश की है कि देश-दुनिया में फसलों की उपज कैसे बढ़ी है।

    जनसंख्या से तेज बढ़ी उपज

    रिपोर्ट के मुताबिक 1961 में अगर उत्पादन, उपज, जमीन और जनसंख्या को 100 माना जाए तो 2014 में दुनिया में कुल अनाज का उत्पादन 280 फीसद हो गया। वहीं इस बीच जनसंख्या में 136 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। यानी अनाज की उपज जनसंख्या से कहीं ज्यादा तेज बढ़ी है।

    कितने बढ़े खेत

    1961 से 2014 के बीच 16 फीसद ज्यादा खेतों में उपज हो रही है। यह क्षेत्र जर्मनी से दोगुना विशाल है। इससे यह भी पता चलता है कि पहले हम प्रति व्यक्ति जितने खेत का इस्तेमाल कर रहे थे, उसमें भी काफी कमी आई है।

    खाद का इस्तेमाल और ट्रैक्टर बढ़े

    1961 से 2017 के बीच खाद का इस्तेमाल 1.35 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 2.76 टन हो गया है। यानी इसमें 2.76 टन (204 फीसद) की वृद्धि हुई है। वहीं टैक्टर की बात करें तो 1961 में जहां 96.56 (प्रति 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में) ट्रैक्टर इस्तेमाल हो रहे थे, वह 2009 तक 190.77 हो गए। यानी प्रति 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 94.21 टैक्टर बढ़ गए जो करीब 98 फीसद है।