विवादित ढांचा विध्वंस केस: आडवाणी, जोशी, उमा और कल्याण के लिए क्या होगी आगे की राह?
विवादित ढांचा विध्वंस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। इस मामले में आडवाणी, जोशी और उमा भारती समेत 13 लोगों पर केस चलेगा, इनके भविष्य का क्या होगा जानिए
नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित ढांचा विध्वंस मामले में भाजपा के बड़े नेताओं पर साजिश का मुकदमा चलाने का आदेश देने के बाद भाजपा के चार बड़े नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, केंद्रीय मंत्री उमा भारती और राजस्थान के गवर्नर कल्याण सिंह का राजीतिक भविष्य दांव पर लग गया है। किस पर क्या असर हो सकता है इस पर एक नजर...
लालकृष्ण आडवाणी
सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद जुलाई में राष्ट्रपति चुनाव की रेस में लालकृष्ण आडवाणी का नाम अब शामिल हो पाना मुश्किल लग रहा है। इससे पहले जब 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तब आडवाणी का नाम जैन हावाला कांड में आने के कारण उनको कैबिनेट का सदस्य रहना गवारा नहीं किया।
ऐसे में अब सवाल है कि क्या राष्ट्रपति की रेस के लिए आडवाणी के नाम पर विचार होगा। नैतिक दबाव के साथ ही आडवाणी पर कानून का दबाव भी है।
मुरली मनोहर जोशी
कानपुर से सासंद चुने गए मुरली मनोहर जोशी का नाम राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार के तौर पर आगे चल रहा है। वह भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और विवादित ढांचे के विध्वंस में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। मगर, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब विपक्ष उन पर नैतिक दबाव बन सकता है कि वह पद छोड़कर केस का सामना करें। इससे उनके राष्ट्रपति बनने की मंशा पर पानी फिर सकता है।
उमा भारती
उमा भारती इस समय मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं और इस केस में वो भी नामजद हैं। ऐसे में उनपर भी नैतिक दबाव बनता है कि वो अपने मंत्री पद से इस्तीफा दें। इससे पहले जब 2004 में उमा भारती का नाम हुबली दंगे में आया तो उन्होंने मध्यप्रदेश के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।
मामला हुबली में एक विवादित ईदगाह में कर्फ्यू के बावजूद जाकर तिरंगा झंडा फहराने का था और उनके खिलाफ साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाने से लेकर हत्या के प्रयास तक के कई मामले दर्ज हुए थे। ऐसे में अब उनके सामने सवाल है कि क्या अब वो मोदी सरकार से इस्तीफा देंगीं?
कल्याण सिंह
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह वर्तमान में राजस्थान के गवर्नर हैं। इसके साथ ही उन्हें हिमाचल प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। राज्यपाल के पद पर होने के कारण उन पर मुकदमा नहीं चल सकता। ऐसे में उन पर नैतिक दबाव बनाया जा सकता है कि वह इस्तीफा दें और केस का सामना करें।
यह भी पढ़ें: विवादित ढांचा विध्वंस मामले में आडवाणी समेत 13 नेताओं पर चलेगा केस
यह भी पढ़ें: विवादित ढांचा विध्वंस मामला- सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खास बातें