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    जानिए, कौन है हिममानव; नया नहीं है इसके वजूद का दावा, रहस्यों से उठा पर्दा

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Wed, 01 May 2019 11:49 AM (IST)

    तिब्बत और नेपाल की लोकप्रिय काल्पनिक कथाओं के मुताबिक एशिया के सुदूर हिमालयी पर्वतीय इलाकों में दैत्याकार बंदर जैसे जीव रहते हैं जिन्हें यति या हिममानव कहा जाता है।

    जानिए, कौन है हिममानव; नया नहीं है इसके वजूद का दावा, रहस्यों से उठा पर्दा

    नई दिल्‍ली [जागरण स्पेशल]। हिमालय पर हिममानव या येती की मौजूदगी का सालों पुराना सवाल एक बार फिर चर्चा में है। भारतीय सेना ने कुछ तस्वीरें ट्वीट की हैं, जिनमें विशालकाय पैरों के निशान दिखाई दे रहे हैं। इसके माध्यम से भारतीय सेना ने हिमालय में हिममानव की मौजूदगी के संकेत दिए हैं। हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब बर्फ पर बने इन निशानों ने हिमालय पर हिममानव के वजूद के संकेत दिए हैं। आइए आपको बताते हैं कि इस मिथकीय जीव को लेकर क्या-क्या परिकल्पनाएं मौजूद हैं और कब-कब और कहां इस तरह के पैरों के निशान पाए जा चुके हैं।

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    कौन है हिममानव

    तिब्बत और नेपाल की लोकप्रिय काल्पनिक कथाओं के मुताबिक एशिया के सुदूर हिमालयी पर्वतीय इलाकों में दैत्याकार बंदर जैसे जीव रहते हैं, जिन्हें यति या हिममानव कहा जाता है।

    सबसे पहले किया देखने का दावा

    सबसे पहले 1921 में हिममानव को देखने का दावा किया गया था। हेनरी न्यूमैन नाम के एक पत्रकार ने ब्रिटेन के खोजकर्ताओं के एक दल का इंटरव्यू लिया था। खोजकर्ताओं ने दावा किया था कि उनको पहाड़ पर पैरों के विशालकाय निशान दिखाई पड़े थे। उनके गाइड ने बताया था कि वे निशान मेतोह-कांगमी के हैं। मेतोह का मतलब होता है आदमी जैसा दिखने वाला भालू और कांगमी का मतलब बर्फों पर पाया जाने वाला इंसान।

    सामने आया सुबूत

    1951 में ब्रिटिश पर्वतरोही एरिक शिप्टन ने हिमालय की चढ़ाई के दौरान मेनलुंग ग्लेशियर पर विशालकाय पैरों के निशान की तस्वीर अपने कैमरे में कैद की थी। हिममानव के होने का यह पहला सुबूत था।

    दावों की लगी झड़ी

    1953 में सर एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नोर्गे ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करते समय बड़े पैरों के निशान देखे थे। 2008 में साहसी जापानी लोगों ने तिब्बत स्थित हिमालयी क्षेत्र में लगभग आठ इंच लंबे पैरों के निशान देखने का दावा किया था।

    पहली बार सामने आई कहानी

    1925 में एक जर्मन फोटोग्राफर ने हिममानव पर पहली रिपोर्ट प्रकाशित की थी। उन्होंने बताया था उसकी आकृति बिल्कुल इंसान के जैसी थी। वह सीधा खड़ा होकर चल रहा था। बर्फ के बीच उसका डार्क कलर नजर आ रहा था। जहां तक मैं देख पाया, उसने कोई कपड़ा नहीं पहन रखा था।

    रहस्यों से उठाया पर्दा

    2017 में अमेरिकी जीवविज्ञानी शॉर्लट लिंडक्विस्ट के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने दावा किया कि उन्होंने हिममानव और उसके अंत से जुड़े रहस्यों को ढूंढ निकाला है। उन्होंने हिममानव के अवशेषों का डीएनए टेस्ट के ज़रिये विश्लेषण किया। इन अवशेषों के नमूनों में हाथ, दांत, हाथ की त्वचा, बाल और मल मिले, जो तिब्बत और हिमालयी इलाकों में मिले थे।

    जांच के दौरान उपलब्ध नौ नमूनों में से एक कुत्ते का निकला जबकि अन्य उस इलाके में रहने वाले आठ अलग-अलग प्रजातियों के भालू के थे। जैसे एशियाई काले भालू, हिमालय और तिब्बत के भूरे भालू। शोध की शुरुआती अवधारणा यह थी कि ये नमूने भालूओं की उस प्रजाति से मिलते हैं, जिनकी अभी तक खोज नहीं हो सकी है।

    हिममानव के अन्य नाम

    कई देशों में हिममानव को अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

    येती (तिब्बत और नेपाल)

    अल्मास (मंगोलिया)

    बटुटुट (वियतनाम)

    बिगफुट (उत्तर अमेरिका)

    योवी (ऑस्ट्रेलिया)

    फियर लीथ (स्कॉटलैंड)