LPG Cylinder के लाल रंग के होने का क्या है कारण? विस्तार से जानें
साल 2016 में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की भी शुरुआत की थी जिसके तहत लोगों को एलपीजी के नए कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया था और घर-घर एलपीजी सिलेंडर पहुंचना शुरू किया। ( जागरण - फोटो )

नई दिल्ली, जेएनएन। आपने अपने घर में लाल रंग का एलपीजी सिलेंडर तो देखा ही होगा। इसकी वजह से ही आपको पका-पकाया गर्मागर्म भोजन करने को मिलता हैं। लेकिन, क्या कभी आपने इस बात पर गौर किया है कि आखिर इसे लाल रंग से ही क्यों रंगा जाता है। वहीं, कुछ सिलेंडर अलग रंग के भी होते हैं। इस लेख के माध्यम से इस बारे में विस्तार से जानें।
भारत में एलपीजी की शुरुआत
भारत में एलपीजी की शुरुआत साल 1955 में मुंबई से की गई थी। इसके बाद यह पूरे देश में धीरे-धीरे फैल गई। वहीं, साल 2016 में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरुआत की थी, जिसके तहत गरीब लोगों को एलपीजी के नए कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया था और इसी योजना की वजह से जो लोग अपने घरों में एलपीजी रखने में सक्षम नहीं थे, उनके घर भी एलपीजी सिलेंडर पहुंचना शुरू हुए।
क्या है लाल रंग के इस्तेमाल के पीछे का कारण
घरों में इस्तेमाल होने वाले लिक्विड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) सिलेंडरों के लाल रंग का होने के पीछे दो प्रमुख कारण हैं। पहला कारण है, एलपीजी गैस अत्याधिक ज्वल्नशील होती है। ऐसे में खतरे को भांपते हुए इसे लाल रंग दिया गया है, जो कि खतरे का भी संकेत देता है। इसके अलावा, यह सावधानीपूर्वक इस्तेमाल की भी सलाह देता है।
क्या है दूसरा कारण
एलपीजी सिलेंडर के अलावा भी मार्केट में अलग-अलग सिलेंडर आते हैं, जिनके रंग अलग- अलग होते हैं। उदाहरण के तौर पर, कार्बन डाइक्साइड वाले सिलेंडर ग्रे रंग के होते हैं। वहीं, नाट्रस ऑक्साइड नीले रंगे के सिलेंडर में आती है। ऐसे में अलग-अलग गैस की पहचान के लिए अलग-अलग रंग का इस्तेमाल किया जाता है।
भारत में कितने एलपीजी प्लांट्स हैं
भारत में अलग-अलग जगहों पर एलपीजी प्लांट्स हैं। अकेले उत्तर भारत की बात करें, तो यहां पर 63 बॉटलिंग प्लांट हैं। वहीं, पूरे भारत में 202 बॉटलिंग प्लांट्स हैं। इन प्लांट पर सिलेंडर में गैस को रिफिल कर देश के अलग-अलग हिस्सों तक पहुंचाया जाता है।
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