Ahmedabad Plane Crash: जानिए- क्या है 3 बार Mayday बोलने का अर्थ, कब-कहां और कौन कर सकता है इसका इस्तेमाल
ahmedabad plane crash Mayday Mayday Mayday तब बोला जाता है जब कोई विमान और उसमें बैठे यात्री खतरे में होते हैं। अहमदाबाद में जो विमान क्रैश हुआ उसने इस तरह की इमरजेंसी कॉल की थी। इस हादसे की सूचना मिलते ही गृह मंत्री अमित शाह अहमदाबाद के लिए रवाना हो गए हैं।

नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। गुजरात के अहमदाबाद में एयर इंडिया का एक यात्री विमान उड़ान भरते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। ये खबर हर तरह की मीडिया में छाई हुई है। ये विमान अहमदाबाद से लंदन जा रहा था। इस विमान में 242 लोग सवार थे।
अब होगी हादसे की जांच
इस हादसे की अब जांच की जाएगी और पता लगाया जाएगा कि आखिर इस विमान के साथ इस तरह का हादसा क्यों और कैसे हुआ। ये भी देखा जाएगा कि क्या विमान के पायलट की तरफ से Mayday की काल आई थी या नहीं। क्या आपको पता है कि इस शब्द का क्या अर्थ है और कब इसका इस्तेमाल किया जाता है। यदि नहीं तो हम आपको इसके बारे में बता देते हैं।
Mayday Mayday Mayday का अर्थ
Mayday एक ऐसा शब्द है जो एयर ट्रेफिक और मरीन ट्रेफिक द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। इसका इस्तेमाल केवल तभी किया जाता है जब किसी तरह की भयंकर समस्या उत्पन्न हो जाती है जिससे इंसानी जीवन पर संकट आता है। उस वक्त इस शब्द का इस्तेमाल तीन किया जाता है। तीन बार इसलिए इसका उपयोग किया जाता है जिससे दूसरे छोर पर बैठा अधिकारी इमरजेंसी काल को सुन सके। इसका अर्थ होता है कि विमान और यात्रियों की जान संकट में है और आपातकालीन मदद की जरूरत है।
इसको लेकर अलग-अलग नियम
इस शब्द को लेकर अलग-अलग देशों में कुछ नियम भी तय किए गए हैं। जैसे कुछ देशों में इसका इस्तेमाल फायर फाइटर्स, पुलिस फोर्स और ट्रांसपोर्ट आर्गेनाइजेशंस द्वारा किए जाने की अनुमति है। इस शब्द की शुरुआत 1920 में हुई थी। फ्रेंच भाषा में m'aidez शब्द का अर्थ होता है मेरी मदद करो या आकर मेरी मदद करो।
ऐसे हुई शुरुआत
इंग्लैंड के Frederick Stanley Mockford जो उस वक्त Croydon Airport के आफिसर इंचार्ज आफ रेडियो थे को इस तरह की काल मिली थी। शुरुआत में इसको पायलट की परेशानी से जोड़ा गया था लेकिन बाद में इसके अर्थ में बदलाव किया गया और इमरजेंसी काल के रूप में इसको स्थापित किया गया। शुरुआत में इसको केवल एक प्रयोग तक ही सीमित रखा गया था। 1923 में इसको क्रास चैनल के दौरान इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई।
पहले भेजा जाता है एसओएस का सिग्नल
इससे पहले पायलट को इमरजेंसी के वक्त एसओएस का सिग्नल भेजना पड़ता था। फोन पर ये काफी मुश्किल भी था। 1927 में वाशिंगटन में हुई इंटरनेशनल रेडियोटेलिग्राफ कंवेंशन में इसको एक इमरजेंसी वायस काल के रूप में मान्यता दी गई। बाद में अमेरिका ने अपने एयरस्पेस में इसका उपयोग करने के लिए फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन को प्रोत्साहित किया। आपको बता दें कि कई देशों में इस तरह की झूठी काल करने वालों के खिलाफ सजा का प्रावधान भी है।
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