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    आखिर किन नियमों के तहत किसी को युद्ध अपराधी किया जा सकता है घोषित, जानें- क्‍या हैं नियम

    War Crime यूएन द्वारा गठित जांच आयोग की रिपोर्ट में रूस की सेना पर युद्ध अपराध होने की पुष्टि की गई है। इसकी सीधी जिम्‍मेदारी रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन की है। इस तरह से इस रिपोर्ट में अंगुली उनकी तरफ उठाई गई है।

    By JagranEdited By: Kamal VermaUpdated: Sun, 25 Sep 2022 10:59 AM (IST)
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    जिनेवा कंवेंशन में बने थे युद्ध लड़ने के नियम

    नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। रूस के राष्‍ट्रपति को यूक्रेन और अमेरिका भले ही युद्ध अपराधी कहते आ रहे हैं लेकिन महज कहने भर से ही वो युद्ध अपराधी बन जाएंगे ऐसा नहीं है। हालांकि संयुक्‍त राष्‍ट्र द्वारा गठित स्‍वतंत्र आयोग की जांच रिपोर्ट में रूसी सेना युद्ध अपराध करने की पुष्टि काफी हद तक हो चुकी है। इस रिपोर्ट के केंद्र में राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन हैं। इसके बाद भी ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर इसके लिए अंतरराष्‍ट्रीय नियम क्‍या कहते हैं।

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    जिनेवा कंवेशन 

    बता दें कि जिनेवा में 1949 में कुछ नियम बनाए गए थे जो जंग से संबंधित थे, इन्‍हें आज हम जिनेवा कंवेंशन के नाम से जानते हैं। जिनेवा कंवेंशन में बनाए गए करीब 161 नियमों को इंटरनेशनल ह्यूमैनेटिरियन ला या ला आफ वार (Law Of War) भी कहा जाता है। इनमें जंग लड़ने के तरीकों के बारे में विस्‍तार से इस बारे में बताया गया है। इनमें इस बात का भी जिक्र किया गया है कि यदि कोई इन नियमों को तोड़ता है या उल्‍लंघन करता है तो वो युद्ध अपराधी कहलाया जाएगा। इन नियमों को बनाने के पीछे जापान पर अमेरिका द्वारा गिराए गए दो परमाणु बम थे, जिनसे करीब 3 लाख लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद ही ये नियम बने थे।

    जिनेवा कंवेंशन का चैप्‍टर 44

    जिनमेवा कंवेशन में बने ला आफ वार का चैप्टर 44 खासतौर पर युद्ध अपराध की परिभाषा को ही व्‍यक्‍त करता है। चैप्‍टर 44 में कहा गया है कि युद्ध के दौरान बंदियों के साथ अमानवीय बर्ताव करना या उन्‍हें टार्चर करना, नृशंस हत्या करना, युद्धबंदियों को ट्रायल से रोकना, आम नागरिकों को निशाना बनाना और उन्‍हें अपनी ढाल के रूप में इस्‍तेमाल कर उनको बंधक बनाना, उनकी संपत्ति पर कब्‍जा करना, रिहायशी इलाकों, इमारतों, स्कूल, कालेज, घर, मेडिकल वर्कर्स, पत्रकारों,अस्पतालों, यूएन की राहत यूनिटों, ऐतिहासिक धरोहरों, धार्मिक स्थलों, सांस्कृतिक धरोहरों, आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए बनाए गए शेल्टरों, और डिमिलिटराइज्ड जोन को निशाना बनाना जैसे अपराध युद्ध अपराध की श्रेणी में आते हैं। नियमों के मुताबिक यदि कोई नियमों का उल्‍लंघन करता है जो उस व्‍यक्ति के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में मुकदमा चलाया जा सकता है।

    हमला करने से पहले चेतावनी देना जरूरी

    इन नियमों के एक नियम और खास है। इन नियम के तहत हमला करने से पहले दूसरे देश को चेतावनी देना जरूरी होता है। इसका सीधा सा अर्थ है कि कोई भी देश बिना बताए या अचानक दूसरे देश की सीमा में हमला नहीं कर सकता है। ये नियम इसलिए बनाया गया था जिससे समय रहते उन इलाकों को लोगों से खाली करवा लिया जाए जहां पर हमला होने की आशंका सबसे अधिक होती है। रूस और यूक्रेन की जंग में बूचा नरसंहार समेत कई ऐसी घटना सामने आई हैं, जिनमें रूस की तरफ युद्ध अपराधी होने को लेकर अंगुली उठी है। वहीं दूसरी तरफ रूस ने यूक्रेन पर अचानक हमला किया था।

    और भी हैं कुछ नियम

    • विषैले या प्रतिबंधित हथियारों का उपयोग करना।
    • रोगी या घायलों या निहत्‍थे शरणार्थियों की हत्‍या करना।
    • चोरी छिपे किसी की हत्‍या करना या करवाना
    • शरण देने के बाद किसी की हत्‍या करना
    • लूटपाट करना।
    • आम नागरिकों को बाहर निकलने के लिए सुरक्षित मार्ग न देना।
    • आम नागरिकों पर हवाई हमले करना।
    • आत्‍मसमर्पण करने वाले सैनिकों की हत्‍या करना।
    • शत्र के कार्गो शिप को हमला कर डुबो देना।
    • युद्धविराम के संकेतों के ऊपर हमला करना।
    • शांति संधि की शर्तो का उल्लंघन करना।

    इंंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस 

    इन सभी नियमों के तहत यदि किसी को दोषी करार दे भी दिया जाता है तो भी उसको सजा देने का अधिकार इंटरनेशनल कोर्ट के पास नहीं है। वो केवल निर्देशा देने तक का ही अधिकारी है। इसलिए ऐसे अपराधों में उक्‍त व्‍यक्ति या देश के खिलाफ सामूहिक रूप से प्रतिबंध लगाना ही एकमात्र विकल्‍प माना जाता है। इन नियमों की ही यदि बात करें तो ये नियम कई बार तोड़े गए हैं। भारत पाकिस्‍तान के बीच हुए कारगिल वार के दौरान पाकिस्‍तान द्वारा भारतीय जवानों की नृशंस हत्‍या करना इन नियमों का उल्‍लंघन ही था।

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