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Kurdish–Turkish conflict: कुर्द लड़ाकों को लेकर आया अमेरिकी राष्ट्रपति का अहम बयान

Kurdish–Turkish conflict तुर्की में दो नस्लीय पहचानें हैं- तुर्क और कुर्द। ज्यादातर कुर्द सुन्नी मुस्लिम हैं। कुर्द आबादी लगभग 20 फीसद है। वे कुर्दिस्तान बनाना चाहते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 11 Oct 2019 08:56 AM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 02:34 PM (IST)
Kurdish–Turkish conflict: कुर्द लड़ाकों को लेकर आया अमेरिकी राष्ट्रपति का अहम बयान
Kurdish–Turkish conflict: कुर्द लड़ाकों को लेकर आया अमेरिकी राष्ट्रपति का अहम बयान

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। Kurdish–Turkish conflict: उत्तरी-पूर्वी सीरिया और तुर्की की सीमा वाले इलाके से अमेरिकी सैनिकों को हटाने के फैसले के बाद से तुर्की की सेना ने कुर्द नेतृत्व वाले सैन्य बलों के खिलाफ हवाई हमला शुरू कर दिया है। वहीं, इसको लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि तुर्क और कुर्द सदियों से एक-दूसरे के लिए लड़ते आए हैं। कुर्द लड़ाकों ने दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका की मदद नहीं की थी।

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अब अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान को वैश्विक कूटनीति के जानकार और अमेरिकी विपक्ष तुर्की को हरी झंडी देने के संकेत के तौर पर देख रहा है। हालांकि ये वही कुर्द लड़ाके हैं, जो सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका का साथ देते रहे हैं।

कौन हैं कुर्द

तुर्की में दो नस्लीय पहचान है- तुर्क और कुर्द। ज्यादातर कुर्द सुन्नी मुस्लिम हैं। कुर्द आबादी लगभग 20 फीसद है। पहले वे सांस्कृतिक स्वतंत्रता की मांग कर रहे थे। मगर अब कई सालों से वे आजादी की मांग कर रहे हैं। वे कुर्दिस्तान बनाना चाहते हैं। कुर्द मांग करते हैं कि संयुक्त राष्ट्र के आत्मनिर्णय के अधिकार पर उन्हें भी अलग कुर्दिस्तान बनाने का हक मिले। अमेरिका ने 2003 में इराक पर हमला किया था। तभी से उत्तरी इराक में कुर्दिस्तान लगभग स्वतंत्र राष्ट्र की तरह काम कर रहा है।

कहां है बसेरा

मध्य-पूर्व के नक्शे में नजर डालें तो तुर्की के दक्षिण-पूर्व, सीरिया के उत्तर- पूर्व, इराक के उत्तर-पश्चिम और ईरान के उत्तर पश्चिम में ऐसा हिस्सा है, जहां कुर्द बसते हैं।

कुर्द अमेरिका के प्रमुख सहयोगी

सीरिया में इस्लामिक स्टेट को हराने में कुर्द लड़ाके अमेरिका के प्रमुख सहयोगी रहे हैं। कुर्द लड़ाके अपने नियंत्रण वाले इलाकों मे बनी जेलों में बंद हजारों इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों और उनके रिश्तेदारों की निगरानी करते हैं।

तुर्की की चिंता

तुर्की की चिंता है कि उसके बगल में कुर्द राष्ट्र बना तो उसके लिए अपने यहां रह रही कुर्द आबादी को संभालना मुश्किल हो जाएगा। यही कारण है कि अमेरिका ने सीरिया में तथाकथित इस्लामिक स्टेट से लड़ने के लिए जिस कुर्द संगठन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (एसडीएफ) की सहायता ली, आज वह उसी को खत्म कर देने पर तुला हुआ है।

तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगान ने कहा कि उनकी सेना कुर्द लड़ाकों को निशाना बनाकर एक सेफ-ज़ोन तैयार कर रही है। कुर्द लड़ाकों को लेकर तुर्की की चिंताएं उस समय चरम पर पहुंच गईं, जब उन्होंने सीरिया में आइएस से छुड़ाए इलाके को अलग देश बनाने की कोशिश की। तुर्की में इस बात को लेकर भी बेचैनी है कि तुर्की के दक्षिणी हिस्से में कुर्द लड़ाके जिस अलग कुर्द देश का गठन करना चाहते हैं, उसे लेकर यूरोपीय संघ और अमेरिका स्पष्ट रुख नहीं जता रहे।

आइएस के लौटने का खतरा

कुर्द समर्थित सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेज (एसडीएफ) का कहना है वो अपनी सात जेलों में आइएस के 12,000 से ज्यादा संदिग्ध सदस्यों को हिरासत में रखे हुए है। वहीं कई हजार तुर्की से लगी सीमा के करीब छिपे हुए हैं। ऐसे में यदि युद्ध बढ़ा तो तुर्की इन आतंकियों का इस्तेमाल कुर्द लड़ाकों के खिलाफ कर सकता है।

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