Move to Jagran APP

What is Sengol: नए संसद भवन में स्थापित हुआ 'सेंगोल', नेहरू से जुड़ा है इतिहास; तमिलनाडु से खास कनेक्शन

Sengol in New Parliament Building राजदंड सेंगोल भारत की स्वतंत्रता से जुड़ा एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रतीक है। जब अंग्रेजों ने भारत की आजादी का एलान किया था तो सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल का इस्तेमाल किया गया था।

By Mohd FaisalEdited By: Mohd FaisalPublished: Wed, 24 May 2023 01:44 PM (IST)Updated: Sun, 28 May 2023 10:36 AM (IST)
What is Sengol: नए संसद भवन में स्थापित हुआ 'सेंगोल', नेहरू से जुड़ा है इतिहास; तमिलनाडु से खास कनेक्शन
Sengol in New Parliament Building: नई संसद में रखा गया 'सेंगोल', नेहरू से जुड़ा है इतिहास (फोटो जागरण ग्राफिक्स)

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। What is Sengol: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के नए संसद भवन में राजदंड 'सेंगोल' की स्थापना की। तमिलनाडु के सदियों पुराने मठ के आधीनम महंतों की मौजूदगी में 'सेंगोल' की नए संसद भवन के लोकसभा में स्थापना की गई। दरअसल, 'सेंगोल' राजदंड सिर्फ सत्ता का प्रतीक नहीं, बल्कि राजा के सामने हमेशा न्यायशील बने रहने और जनता के प्रति समर्पित रहने का भी प्रतीक रहा है।

loksabha election banner

ऐसे में भारत के 'राजदंड' सेंगोल का अचानक नाम सामने आने के बाद इसे लेकर चर्चाएं होने लगी है कि आखिर सेंगोल क्या है, जिसे नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा।

नेहरू से जुड़ा क्या इतिहास है

'राजदंड' सेंगोल भारत की स्वतंत्रता से जुड़ा एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रतीक है। जब अंग्रेजों ने भारत की आजादी का एलान किया था तो सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल का इस्तेमाल किया गया था। लॉर्ड माउंटबेटन ने 1947 में सत्ता के हस्तांतरण को लेकर नेहरू से सवाल पूछा कि सत्ता का हस्तांतरण कैसे किया जाए।

इसके बाद नेहरू ने सी राजा गोपालचारी से राय ली। उन्होंने सेंगोल के बारे में जवाहर लाल नेहरू को जानकारी दी। इसके बाद सेंगोल को तमिलनाडु से मंगाया गया और 'राजदंड' सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था।

नए संसद भवन में कहां लगा सेंगोल?

बता दें कि नए संसद भवन में सेंगोल को स्पीकर के आसन के पास लगाया जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह ने बताया था कि इस पवित्र सेंगोल को किसी संग्रहालय में रखना अनुचित है। सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से अधिक उपयुक्त, पवित्र और उचित स्थान कोई हो ही नहीं सकता। इसलिए जब संसद भवन देश को समर्पण होगा, उसी दिन प्रधानमंत्री मोदी बड़ी विनम्रता के साथ तमिलनाडु से आए सेंगोल को स्वीकार करेंगे और लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास इसे स्थापित करेंगे।

चोल वंश से क्या रिश्ता?

  • सेंगोल का इतिहास सदियों पुराना है, इसका रिश्ता चोल साम्राज्य से रहा है।
  • इतिहासकारों की मानें तो चोल साम्राज्य में राजदंड सेंगोल का इस्तेमाल सत्ता के हस्तांतरण के लिए किया जाता था।
  • उस दौर में जब सत्ता हस्तांतरित होती थी, तो मौजूदा राजा दूसरे राजा को सेंगोल सौंपता था। इस परंपरा की शुरूआत चोल साम्राज्य में हुई थी।
  • रामायण-महाभारत के दौर में भी राजदंड 'सेंगोल' को एक राजा से दूसरे राजा को सौंपे जाने का जिक्र भी मिलता रहा है।
  • 'सेंगोल' के सबसे ऊपर नंदी की प्रतिमा स्थापित है। हिंदू व शैव परंपरा में नंदी समर्पण का प्रतीक है।
  • दक्षिण भारत के राज्यों में इसको खास महत्व दिया जाता है।

'सेंगोल' का क्या है अर्थ?

तमिल में इसे सेंगोल कहा जाता है और इसका अर्थ संपदा से संपन्न और ऐतिहासिक है। सेंगोल संस्कृत शब्द 'संकु' से लिया गया है, जिसका मतलब शंख है। सनातन धर्म में शंख को बहुत ही पवित्र माना जाता है। मंदिरों और घरों में आरती के दौरान शंख का इस्तेमाल आज भी किया जाता है।

कहां रखा है सेंगोल?

बता दें कि सेंगोल को इलाहाबाद के एक संग्रहालय में रखा गया था और अब नए संसद भवन में ले जाया जाएगा। अमित शाह ने बताया कि यह सेंगोल वही है जो स्वतंत्रता के समय पूर्व पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू को दिया गया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947 की रात लगभग 10:45 बजे तमिलनाडु के अधिनाम के माध्यम से सेंगोल को स्वीकार किया। जिसके बाद इसका इस्तेमाल सत्ता हस्तांतरण के लिए किया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.