Hezbollah: इजरायल-हमास युद्ध में क्यों आ रहा 'पार्टी ऑफ गॉड' का नाम, क्या है हिजबुल्लाह का इतिहास और ईरान से कनेक्शन
What is Hezbollah इजरायल-हमास जंग के बीच एक नाम की खूब चर्चा हो रही है। बात कर रहे हैं लेबनान स्थित आतंकी संगठन हिजबुल्लाह की। हिजबुल्ला भी इजरायल पर हमले कर रहा है और हमास का साथ देने की बात कह रहा है। आखिर हिजबुल्लाह इस युद्ध में क्यों आया और इसका पूरा इतिहास क्या है आइए जानते हैं...

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजरायल-हमास युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। फलस्तीन के आतंकी संगठन हमास के हमले के बाद से इजरायल उसको नष्ट करने की कसम खाकर बैठा है और फलस्तीन पर लगातार मिसाइल अटैक कर रहा है। गाजा पट्टी में हुई बमबारी में हमास के कई लड़ाके मारे गए हैं और अब इजरायल जमीनी ऑपरेशन शुरू कर रहा है।
हमले के बीच एक और नाम की खूब चर्चा हो रही है, जो इजरायल-हमास युद्ध में चर्चा का विषय बना है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं लेबनान स्थित आतंकी संगठन हिजबुल्लाह की। हिजबुल्ला भी इजरायल पर हमले कर रहा है और हमास का साथ देने की बात कह रहा है।
आखिर हिजबुल्लाह इस युद्ध में क्यों आया और इसका पूरा इतिहास क्या है, आइए जानते हैं...
हिजबुल्लाह (History of Hezbollah) का गाजा पट्टी को नियंत्रित करने वाले आतंकी संगठन हमास और ईरान समर्थित गुट इस्लामिक जिहाद से गहरा नाता है। 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए हमले के बाद हिजबुल्लाह ने कहा कि वो इसको लेकर हमास के संपर्क में था। हमास के बाद हिजबुल्लाह ने भी इजरायल पर कई बार सीमा पार हमले किए हैं, जिसका जवाब इजरायल दे रहा है।
क्या है हिजबुल्लाह का इतिहास और ईरानी कनेक्शन?
हिजबुल्लाह (What is Hezbollah) लेबनान में बसा एक शिया मुस्मिल राजनीतिक दल और आतंकवादी संगठन हैं। दरअसल, लेबनान में इजरायल के हमलों का जवाब देने और इस्लाम को बढ़ावा देने के लिए ईरान के इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) ने 1982 में इसकी स्थापना की थी। ईरान की शिया इस्लामी विचारधारा से संबंध होने के चलते हिजबुल्लाह ने शिया मुसलमानों की भर्ती की है और उनमें इस्लाम को बढ़ावा देने का जुनून डाला है।
एक छोटे से समूह के बाद अब हिजबुल्लाह एक बड़ा संगठन बन गया है, जिसका लेबनान पर बड़ा प्रभाव है। अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने इसे आतंकी संगठन भी घोषित कर दिया है।
ऐसे हुई हिजबुल्लाह की स्थापना
हिजबुल्लाह की इजरायल से पुरानी दुश्मनी है और वर्ष 2000 में गोरिल्ला वार और 2006 में भी जंग लड़ चुका है। दरअसल, 1943 में एक राजनीतिक समझौते के तहत लेबनान में राजनीतिक सत्ता धार्मिक समूहों में बंटी हुई थी। यहां सत्ता सुन्नी मुस्लिम पीएम, ईसाई राष्ट्रपति और शिया मुस्लिम संसद अध्यक्ष के बीच बांटी गई थी।
इसके बाद तीनों धार्मिक समूहों में तनाव के चलते गृहयुद्ध छिड़ गया और इजरायल ने भी उसपर हमला कर दिया। इसके बाद से लेबनान और इजरायल में तकरार है। कुछ सालों बाद 1979 में लेबनान के कई हिस्सों में शिया सरकार बनी और इजरायल के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी। दूसरी तरफ ईरान ने अरब देशों में शियाओं का प्रभाव बढ़ाने के लिए इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के साथ हिजबुल्लाह की स्थापना की।
हिजबुल्लाह का अर्थ पार्टी ऑफ गॉड 'ईश्वर/अल्लाह की पार्टी' है।
हिजबुल्लाह को कौन चलाता है?
हिजबुल्लाह का नेतृत्व हसन नसरल्लाह करता है। इजरायल द्वारा हिजबुल्लाह के सह संस्थापक की हत्या के बाद अब्बास अल-मुसावी नसरल्लाह को इसका नेता बनाया गया है।
ईरान क्यों करता है हिजबुल्लाह की मदद
ईरान हिजबुल्लाह को फंडिंग के साथ बड़े स्तर पर मदद करता है। इसकी वजह है, दुश्मन का दुश्मन दोस्त। दरअसल, इजरायल से ईरान और हिजबुल्लाह दोनों की दुश्मनी है, इसलिए ईरान मदद करता है।
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