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संसद के मौजूदा भवन को लेकर सरकार की कई योजनाएं; लोगों के मन में उठ रहे सवाल, आखिर इमारत का होगा क्या?

28 मई को पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसी बीच लोगों के मन में सवाल है कि आखिर पुराने संसद भवन का क्या होगा। कुछ लोगों को कहना था कि इसकी इमारत को ढाह दिया जाएगा लेकिन सरकार ने लोगों की शंकाओं को दूर किया है।

By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariPublished: Sat, 27 May 2023 04:46 PM (IST)Updated: Sat, 27 May 2023 04:46 PM (IST)
संसद के मौजूदा भवन को लेकर सरकार की कई योजनाएं; लोगों के मन में उठ रहे सवाल, आखिर इमारत का होगा क्या?
नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद पुराने भवन की इमारत का क्या होगा

नई दिल्ली, शालिनी कुमारी। 28 मई को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं। इस पल का साक्षी बनने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं। इस बीच लोगों के मन में सवाल है कि आखिर नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद पुराने यानी मौजूदा संसद भवन का क्या होगा। उस संसद भवन का क्या होगा, जहां से एक नए राष्ट्र का निर्माण किया गया, जहां से देश को कई ऐतिहासिक पल मिले हैं। लोगों के मन में सवाल है कि क्या मौजूदा संसद भवन की इमारत को ढाह दिया जाएगा।

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इसको लेकर सरकार की ओर से जवाब दिया गया है। सरकार की ओर से बताया गया है कि इस मौजूदा इमारत को किस चीज के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि मौजूदा संसद का इतिहास क्या है, इस भवन का अब क्या होगा और आखिर नए संसद भवन की जरूरत क्यों पड़ी थी।

मौजूदा संसद भवन का इतिहास

भारत की मौजूदा संसद भवन को ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था। उस इमारत को तैयार होने में छह साल का समय लगा था, जिसके बाद यह 1927 में बनकर तैयार हो गई। इसके बाद इसमें और भी कई बदलाव किए गए, जैसे कि साल 1956 में इसके दो और फ्लोर बनाए गए और साल 2006 में इसमें संसद संग्रहालय भी तैयार कर दिया गया था।

मौजूदा संसद भवन की इमारत बनाने में 83 लाख रुपये का खर्च आया था और यह छह साल में बनकर तैयार हुआ है। इसी संसद भवन से देश का संविधान अस्तित्व में आया था।

क्या वाकई ढह जाएगी पुरानी इमारत?

नई संसद के उद्घाटन के बाद पुराने संसद भवन की इमारत को नहीं ढाया जाएगा। उसे संरक्षित करने की योजना बनाई गई है। मार्च 2021 में केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा को बताया था कि जब नए संसद भवन बनकर तैयार हो जाएगा और इसका उद्घाटन कर दिया जाएगा, तो पुराने संसद भवन की भी मरम्मत की जाएगी। हालांकि, उस दौरान इस बात की जानकारी नहीं दी गई थी कि इस इमारत को किस तरह इस्तेमाल किया जाएगा।

मिली जानकारी के मुताबिक, जिस 'सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट' के तहत नए संसद भवन का निर्माण हुआ है, इस प्रोजेक्ट के तहत ही पुराने संसद भवन का रिनोवेशन करने का जिम्मा भी सौंपा गया है।

संग्रहालय में तब्दील होगा पुराना संसद भवन

सरकार के मुताबिक, पुराना संसद भवन एक संग्रहालय के रूप में तब्दील किया जा सकता है। जब इस भवन को संग्रहालय में तब्दील कर दिया जाएगा तो, विजिटर्स लोकसभा चैंबर में भी बैठ सकते हैं। इस इमारत को संसद से जुड़े कार्यक्रमों के आयोजन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

क्यों बनाया गया नया संसद भवन?

  • केन्द्र सरकार के मुताबिक, पुरानी संसद भवन की इमारत अब पर्याप्त नहीं है। इस भवन का निर्माण आज से 97 साल पहले हुआ था। सरकार का कहना है कि इस भवन में आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था नहीं है।
  • इसमें सांसदों के बैठने की व्यवस्था नहीं है। दरअसल, मौजूदा भवन में लोकसभा सीटों की संख्या 545 है, जो आने वाले समय में बढ़ सकती है। ऐसे में नए सांसदों के लिए पर्याप्त स्थान नहीं होगा।
  • संसद भवन में सैकड़ों कर्मचारी काम करते हैं, जिनके रहने के लिए संसद में जगह कम है। इसके अलावा, लगातार कर्मचारियों और अन्य लोगों की संख्या बढ़ सकती है।
  • सुरक्षा के मद्देनजर भी पुरानी संसद भवन की इमारत मजबूत नहीं है। दरअसल, जिस दौरान पुराने संसद भवन की इमारत बनाई गई थी, उस दौरान दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र-2 में आता है, लेकिन इस समय दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र-4 में पहुंच गया है। आम भाषा में कहे तो, इसकी नींव की मजबूती को लेकर केन्द्र सरकार को संदेह है।
  • इसकी इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर भी संदेह बना हुआ है। दरअसल, जिस दौरान इस भवन का निर्माण किया गया था, उस दौरान तकनीकी क्षेत्र में देश का विकास नहीं हो पाया था, लेकिन आज के समय में देश काफी विकसित हो चुका है।
  • उस समय सीवर लाइन, एयर कंडीशनिंग, फायर इंस्ट्रूमेंट, सीसीटीवी कैमरा, डेवलप ऑडियो- वीडियो सिस्टम उपलब्ध नहीं थे। जब इमारत में कुछ चीजों को जोड़ा गया तो, इसको लेकर खतरा बढ़ गया है।

करोड़ों की लागत से बनाई गई नई इमारत

अब बात करें नए संसद भवन की, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को इसकी आधारशिला रखी। नए संसद भवन को करीब 862 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। यह 64,500 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। जानकारी के मुताबिक, नए संसद में सभी सांसदों के लिए अलग से दफ्तर बनाया जाएगा और उसमें काफी आधुनिक सुविधाएं रहेंगी, जिसके जरिए पेपरलेस वर्क का लक्ष्य आसानी से पूरा किया जा सके।

नए भवन में 1200 से अधिक सांसदों के बैठने की व्यवस्था

इसके अलावा, नई संसद भवन में एक हॉल होगा, जिसे संविधान हॉल के नाम से जाना जाएगा। यहीं पर भारत के संविधान की मूल प्रति रखी जाएगी। साथ ही, सांसदों के बैठने के लिए हॉल, लाइब्रेरी, समितियों के लिए अलग से कक्ष और भोजन कक्ष भी होगा। संसद में लोकसभा भवन को राष्ट्रीय पक्षी मयूर और राज्यसभा को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर डिजाइन किया गया है। इसमें एक साथ 1272 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है।

किसे मिला नए संसद भवन का प्रोजेक्ट?

नए संसद भवन की डिजाइनिंग गुजरात की एक आर्किटेक्चर फर्म 'एचसीपी डिजाइंस' ने तैयार की है। वहीं, इसका निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने किया है। एचसीपी डिजाइन के पास गुजरात के गांधीनगर में सेंट्रल विस्टा और राज्य सचिवालय, अहमदाबाद में साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट, मुंबई पोर्ट कॉम्प्लेक्स, वाराणसी में मंदिर कॉम्प्लेक्स के री-डेवलपमेंट, आईआईएम अहमदाबाद के नए कैंपस के डेवलपमेंट जैसे कामों का पहले से अनुभव है।


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