रूस, यूक्रेन, मिडिल ईस्ट से लेकर चीन तक, दुनिया के लिए ट्रंप की जीत के क्या हैं मायने?
Donald Trump अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद अब चर्चा शुरू हो गई है कि दुनियाभर में इसका क्या असर होने वाला है। माना जा रहा है कि ट्रंप अपने पहले कार्यकाल के मुकाबले इस बार और कड़े फैसले ले सकते हैं और इससे भू-राजनीति में उथल-पुथल भी मच सकती है। पढ़ें यूक्रेन पश्चिम एशिया चीन और बाकी दुनिया में क्या होगा इसका असर।

जेएनएन, नई दिल्ली। अमेरिका में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति चुनाव में जीत के साथ ही सत्ता परिवर्तन का मंच तैयार हो चुका है। जनवरी 2025 में व्हाइट हाउस में ट्रंप की वापसी हो जाएगी।
सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी स्पष्ट बहुमत हासिल कर चुकी है तो दूसरी तरफ प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि ट्रंप की जीत का यूक्रेन संघर्ष, पश्चिम एशिया, चीन और बाकी दुनिया के लिए क्या मतलब है।
यूक्रेन में युद्ध विराम की कर सकते हैं कोशिश
डोनाल्ड ट्रंप कीव और मॉस्को को मौजूदा मोर्चे पर युद्ध विराम के लिए मजबूर करने की कोशिश कर सकते हैं। इसमें एक स्थायी समझौता शामिल हो सकता है, जो रूस द्वारा जीते गए क्षेत्रों पर मॉस्को के दावों को स्वीकार करेगा। इसमें 2014 में क्रीमिया का विलय और फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से कब्जा किए गए क्षेत्र शामिल हैं।
यह भी संभावना है कि ट्रंप भविष्य में यूक्रेन को नाटो का सदस्य बनने से रोकने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मांगों को स्वीकार कर लेंगे। ट्रंप एक बार फिर यूरोपीय देशों को यूक्रेन के मुद्दे पर पुतिन के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए गठबंधन छोड़ने की धमकी दे सकते हैं।
पश्चिम एशिया पर क्या होगी नीति
पश्चिम एशिया की बात करें तो ट्रंप पहले भी इजरायल और सऊदी अरब के कट्टर समर्थक रहे हैं। उनके ईरान के खिलाफ और भी सख्त रुख अपनाने की संभावना है, जो इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मौजूदा प्राथमिकताओं के साथ मेल खाता है। नेतन्याहू ईरान समर्थक संगठनों हमास, हिजबुल्ला और हाउती को नष्ट करने तथा ईरानी क्षमताओं को पूरी तरह कमजोर करने के लिए कृतसंकल्प प्रतीत होते हैं।
ट्रंप का राष्ट्रपति चुना जाना नेतन्याहू को कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। यह पुतिन के प्रति ट्रंप की स्थिति को भी मजबूत करेगा, जो यूक्रेन में अपने युद्ध के लिए ईरानी समर्थन पर निर्भर हो गए हैं।
चीन के साथ संबंधों पर प्रभाव
अमेरिका के लिए विदेश नीति की एक प्रमुख रणनीतिक चुनौती होने के कारण बाइडन प्रशासन ने चीन के मामले में ट्रंप द्वारा अपने पहले कार्यकाल में अपनाई गई कई नीतियों को जारी रखा है। ट्रंप द्वारा अपने दूसरे कार्यकाल में उन पर दोगुना जोर देने की संभावना है। ट्रंप द्वारा आयात शुल्क बढ़ाने की संभावना है और उन्होंने चीन को निशाना बनाने के लिए इस कदम का उपयोग करने के बारे में बहुत कुछ कहा है। दूसरी तरफ ट्रंप के चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ व्यावहारिक, लेन-देन संबंधी सौदों के लिए भी खुले रहने की संभावना है।
दुनिया के अन्य हिस्सों पर प्रभाव
नाटो में अपने यूरोपीय सहयोगियों के साथ संबंधों की तरह ही ताइवान, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया और जापान सहित अन्य सहयोगियों की रक्षा के लिए ट्रंप की प्रतिबद्धता पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न बना हुआ है। ट्रंप अमेरिकी सुरक्षा गारंटी के मामले में सबसे ज्यादा उदासीन हैं, लेकिन जैसा कि ट्रंप के पहले कार्यकाल में उत्तर कोरिया के साथ उनके उतार-चढ़ाव भरे संबंधों से पता चलता है, वह कई बार खतरनाक तरीके से युद्ध की स्थिति तक पहुंचने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसा 2017 में उत्तर कोरिया द्वारा अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण की प्रतिक्रिया में हो चुका है।
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