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    जून में पूरी तरह चालू हो सकता है वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे

    By Mohit TanwarEdited By:
    Updated: Sun, 05 Mar 2017 06:51 PM (IST)

    पलवल-मानेसर का हिस्सा पिछले साल पूरा हो गया था जिसे 5 अप्रैल को यातायात के लिए खोल दिया गया था। जबकि मानेसर-कुंडली हिस्से पर काम जारी है। ...और पढ़ें

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    जून में पूरी तरह चालू हो सकता है वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे के जून अंत तक पूरी तरह चालू होने की उम्मीद है। परियोजना का सत्तर फीसद हिस्सा पूरा हो चुका है। जबकि शेष तीस फीसद हिस्से के अगले तीन माह में पूर्ण होने की संभावना है।

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    एनएच-2 को दिल्ली से बाहर-बाहर होते हुए एनएच-1 से जोड़ने वाली 136 किलोमीटर लंबे छह लेन के पश्चिमी एक्सप्रेसवे का कार्यान्वयन हरियाणा स्टेट इंडस्टि्रयल डेवलपमेंट कारपोरेशन (एचआइडीसी) की ओर से दो हिस्सों में बांट कर कराया जा रहा है। पलवल-मानेसर (53 किमी) का कांट्रैक्ट एचएलएस लिमिटेड को, जबकि मानेसर-कंुडली (83 किमी) हिस्सा एस्सेल इंफ्रा को दिया गया है।

    पलवल-मानेसर का हिस्सा पिछले साल पूरा हो गया था जिसे 5 अप्रैल को यातायात के लिए खोल दिया गया था। जबकि मानेसर-कुंडली हिस्से पर काम जारी है। इस तरह कुल मिलाकर परियोजना का लगभग सत्तर फीसद काम पूरा हो गया है। शेष तीस फीसद हिस्से में मिट्टी की परतें बिछाने, कंक्रीट की सतह डालने तथा पुलों के निर्माण के कार्य साथ-साथ जारी हैं। विलंबित होने से इस परियोजना पर अंतत: लगभग 9000 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।

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    एचएसआइआइडीसी के एक अधिकारी ने कहा, 'कुंडली में गे्रड सेपरेटर बनाने के लिए हमें जमीन के अधिग्रहण में किसी अड़चन का सामना नहीं करना पड़ा। लिहाजा परियोजना का बाकी काम अगले 75 दिनों में पूरा हो जाएगा। पंचगांव से पटौदी रोड क्रासिंग के बीच के सात किलोमीटर के हिस्से में, जहां फ्लाईओवर का निर्माण चल रहा है, वहां कंक्रीट की निचली सतह डालने का काम पूरा हो चुका है। ऐसे में अगले तीन महीने में सड़क और फ्लाईओवर दोनो का निर्माण कार्य समाप्त होने की आशा है। पटौदी रोड क्रासिंग से फारुखनगर के बीच कंक्रीट बिछाने का कार्य पहले ही पूरा हो चुका है, जबकि फ्लाईओवर का कार्य जारी है।'

    परियोजना के पूरा होने पर जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा से आने वाले वाहन एनएच-8 होते हुए राजस्थान और गुजरात की ओर जा सकेंगे। जबकि एनएच-2 की ओर जाने के इच्छुक वाहन मध्य एवं दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों की ओर रुख कर सकेंगे। दोनो ही दशाओं में वाहनों का दिल्ली के बीच से होकर नहीं गुजरना पड़ेगा।

    केएमपी अथवा वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे परियोजना पर 2007 में कार्य प्रारंभ हुआ था। उस समय इसे तीन साल में पूरा करने की समय सीमा तय की गई थी। परंतु तत्कालीन कंसेशनेयर डीएस कांस्ट्रक्शन के साथ बैंकों तथा तत्कालीन हरियाणा सरकार के बीच विवाद के कारण इसमें सात साल का विलंब हो गया। वर्ष 2014 में जब केंद्र में भाजपा ने सत्ता संभाली और फिर हरियाणा की कमान भी भाजपा को मिली तो जुलाई, 2015 में परियोजना को डीएस कांस्ट्रक्शन से लेकर एचएलएस लिमिटेड तथा एस्सेल इंफ्रा लिमिटेड को सौंप दिया गया। इसी के साथ परियोजना ने रफ्तार पकड़ ली और अब यह पूर्णता की कगार पर है।

    वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे के अलावा दिल्ली को बाहरी ट्रकों के प्रदूषण व जाम से निजात दिलाने के लिए केंद्र सरकार पूर्व की ओर 135 किलोमीटर लंबे ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे का निर्माण भी कर रही है। यह कंुडली (एनएच-1) से बागपत, गाजियाबाद व ग्रेटर नोएडा होते हुए पलवल (एनएच-2) को जोड़ेगा। एनएचएआइ ने इसे तीन हिस्सों में बांट कर कांट्रैक्ट अवार्ड किए हैं। करीब 5673 करोड़ लागत वाले इस प्रोजेक्ट को भी इसी साल को अगस्त तक पूरा करने को कहा गया है।