बंगाल में वोटर लिस्ट पर बड़ा खुलासा, 47 लाख ऐसे लोगों के नाम शामिल जो अब इस दुनिया में नहीं रहे
पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। आरटीआई से पता चला है कि 47 लाख ऐसे लोगों के नाम शामिल हैं जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। इस खुलासे के बाद राज्य की चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट को अपडेट करने का आदेश दिया है और गड़बड़ी में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।

बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण।
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता : बंगाल की सूची में 47 लाख ऐसे मतदाता हैं, जोकि अब इस दुनिया में ही नहीं हैं। इनमें 34 लाख ऐसे थे, जिनके आधार कार्ड भी बने हुए थे। ये आंकड़े जनवरी, 2009 से लेकर वर्तमान तक के हैं। इसके अलावा 13 लाख ऐसे मृत मतदाता भी हैं, जिनके आधार कार्ड नहीं बने थे।
ये जानकारियां बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) मनोज कुमार अग्रवाल व भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) के अधिकारियों के बीच गत बुधवार को हुई बैठक में साझा की गईं।
बंगाल में कुल 7.6 करोड़ मतदाता
2025 की मतदाता सूची के अनुसार बंगाल में कुल 7.6 करोड़ मतदाता हैं। राज्य में इस समय मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की प्रक्रिया चल रही है। चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के सीईओ को निर्देश दिया था कि वे यूआइडीएआइ के साथ समन्वय स्थापित करें ताकि मतदाता आंकड़ों का सत्यापन किया जा सके और किसी भी तरह की विसंगति की पहचान की जा सके।
सीईओ कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चुनाव आयोग को फर्जी, मृत व अनुपस्थित मतदाताओं और मतदाता सूची में दोहराए गए नामों को लेकर कई शिकायतें मिली हैं। मृत नागरिकों से जुड़ा यूआइडीएआइ का आंकड़ा ऐसी प्रविष्टियों को चिह्नित कर उन्हें मतदाता सूची से हटाने में मदद करेगा।
आवेदक को सत्यापन के लिए बुला सकते हैं अधिकारी
नौ दिसंबर को प्रारूप मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद यदि यह पाया जाता है कि किसी आवेदक ने ऐसे नाम के साथ फार्म भरा है, जो आधार डाटाबेस से हटाया जा चुका है, तो संबंधित चुनाव पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) आवेदक को सत्यापन के लिए बुला सकता है। चुनाव अधिकारियों ने बताया कि आधार कार्ड के ज्यादातर बैंक खातों से जुड़े होने के कारण वे बैंकों से भी जानकारी एकत्र कर रहे हैं। बैंकों ने उन खातों का विवरण साझा किया है, जिनमें वर्षों से केवाइसी अपडेट नहीं किया गया है।
इससे मृत लोगों की पहचान में मदद मिल रही है, जिनके नाम अब भी मतदाता सूची में दर्ज हैं। दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस ने प्रश्न उठाते हुए कहा कि यूआइडीएआइ ने कहा था कि वह आधार निष्कि्रय होने का कोई आंकड़ा अपने पास नहीं रखती है, फिर वह किस तरह से चुनाव आयोग को ऐसे तथ्य दे रही है? यह दरअसल पिछले दरवाजे से वैध मतदाताओं के नाम काटने की साजिश है।
एसआइआर संबंधी मामलों पर सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति के घर पहुंचा गणना प्रपत्र इस बीच सुप्रीम कोर्ट में एसआइआर संबंधी मामलों पर सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची के घर भी गणना प्रपत्र पहुंचा है। न्यायमूर्ति बागची का घर कोलकाता के गोल पार्क इलाके में है।

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