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    Wayanad Landslide: 'हमने लोगों को कीचड़ में बहते देखा, लेकिन असहाय थे', पुलिस अधिकारी ने बताया कितना भयावह था वायनाड हादसा

    Wayanad Landslide वायनाड भूस्खलन के बाद 10वें दिन भी बचाव अभियान चल रहा है। हादसे में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। घटना के उस भयावह दिन की यादें अभी भी मेप्पाडी पुलिस स्टेशन के एक सिविल पुलिस अधिकारी को सता रही हैं। ये अधिकारी आज भी विनाशकारी आपदा के बीच लोगों की जान बचाने के अपने बेताब प्रयास को याद करते ही सहम रहा है।

    By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Thu, 08 Aug 2024 01:03 PM (IST)
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    Wayanad Landslide वायनाड में बचाव अभियान आज भी जारी।

    पीटीआई, वायनाड। Wayanad Landslide वायनाड में भूस्खलन के बाद अब तक मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। घटना के बाद 10वें दिन भी बचाव अभियान चल रहा है। हादसे में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 

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    पुलिस अधिकारी बोला- काफी भयावह था मंजर

    घटना को एक सप्ताह हो गया है, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और कई लोग लापता हो गए, लेकिन उस भयावह दिन की यादें अभी भी मेप्पाडी पुलिस स्टेशन के एक सिविल पुलिस अधिकारी को सता रही हैं। 

    दरअसल, ये अधिकारी आज भी चूरलमाला क्षेत्र में आई विनाशकारी आपदा के बीच लोगों की जान बचाने के अपने बेताब प्रयास को याद करके ही सहम रहा है।

    लोगों के टूटे हुए थे हाथ पैर

    मेप्पाडी पुलिस स्टेशन के सिविल पुलिस अधिकारी जिबलू रहमान ने पहले भूस्खलन के बाद तुरंत कार्रवाई की और ओडिशा के दो पर्यटकों को मलबे से बचाया। जब रहमान मौके पर पहुंचे, तो बचे हुए लोगों में से एक के हाथ-पैर टूटे हुए थे और दूसरे के कपड़े फटे हुए थे और वे मदद के लिए चिल्ला रहे थे।

    देखते ही देखते आ गया दूसरा भूस्खलन

    पीटीआई से बात करते हुए रहमान ने कहा, "उन्होंने मुझे बताया कि ऊपर की ओर दो और लोग थे। मैंने उन्हें अपनी टी-शर्ट और कोट दिया और उन्हें स्थानीय युवकों को सौंप दिया, जो मौके पर पहुंच गए थे। फिर, मैं अन्य दो की तलाश में ऊपर की ओर चला गया। जैसे ही रहमान ऊपर की ओर दो व्यक्तियों की ओर बढ़ा, उसने एक बहुत बड़ी आवाज सुनी और महसूस किया कि एक और भूस्खलन हुआ है।

    लोगों को कीचड़ में बहते देखा

    कोई और विकल्प न होने के कारण, वह सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के लिए ऊपर की ओर भागा। फिर, उसने देखा कि पानी नीचे की ओर बह रहा है, जिसमें कीचड़, पत्थर और पेड़ बह रहे हैं। उसने लोगों को मलबे के साथ बहते हुए देखा, वह कुछ भी करने में असमर्थ होने के कारण असहाय महसूस कर रहा था।