Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'ये इंसान के लिए प्रकृति की चेतावनी है', केरल हाईकोर्ट की टिप्पणी- Wayanad Landslide मानवीय उदासीनता और लालच का उदाहरण

    Wayanad Landslide केरल हाईकोर्ट ने कहा कि वायनाड भूस्खलन प्रकृति द्वारा मानवीय उदासीनता और लालच पर प्रतिक्रिया का एक उदाहरण है। न्यायालय ने आगे कहा कि ये चेतावनी संकेत है जो बहुत पहले ही दिखाई दे गए थे लेकिन हमने अनदेखा किया। कोर्ट ने प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम और विकास कार्यों के संबंध में राज्य की मौजूदा नीतियों का जायजा लेने की भी बात कही।

    By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Sat, 24 Aug 2024 12:04 PM (IST)
    Hero Image
    Wayanad Landslide केरल हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी।

    एजेंसी, कोच्चि। Wayanad Landslide केरल के वायनाड जिले में हाल ही में हुए भूस्खलन में 400 से अधिक लोगों की जान चली गई। इस हादसे में सैकड़ों लोग बेघर हो गए और कई घायल हो गए। इस बीच वायनाड भूस्खलन पर केरल हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी सामने आई है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मनुष्य के लालच पर प्रकृति की प्रतिक्रिया

    केरल हाईकोर्ट ने आज कहा कि वायनाड भूस्खलन मानव "उदासीनता और लालच" पर प्रकृति द्वारा प्रतिक्रिया का एक और उदाहरण है। न्यायालय ने आगे कहा कि ये 'चेतावनी संकेत' है जो बहुत पहले ही दिखाई दे गए थे, लेकिन "हमने विकास के एजेंडे की खोज में उन्हें अनदेखा किया।

    महामारी और भूस्खलन ने गलतियों से अवगत कराया

    कोर्ट ने कहा कि 2018 और 2019 में प्राकृतिक आपदाएं, लगभग दो वर्षों तक चली महामारी और हाल ही में हुए भूस्खलन ने हमें हमारी गलतियों से अवगत कराया है।

    तो बहुत देर हो जाएगी...

    न्यायमूर्ति ए के जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति श्याम कुमार वी एम की पीठ ने 30 जुलाई को हुए भूस्खलन के बाद न्यायालय द्वारा स्वयं शुरू की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि हम अपने तौर-तरीके नहीं सुधारते और अभी सकारात्मक सुधारात्मक कार्रवाई नहीं करते, तो शायद बहुत देर हो जाएगी।

    सरकार की मौजूदा नीतियों का जायजा लेगा कोर्ट

    कोर्ट ने कहा कि इस भूस्खलन में वायनाड के तीन गांव पूरी तरह से नष्ट हो गए थे और 119 लोग अभी भी लापता हैं। न्यायालय ने 23 अगस्त के अपने आदेश में कहा, "राज्य सरकार को केरल राज्य में सतत विकास के लिए अपनी वर्तमान धारणाओं पर आत्मनिरीक्षण करने और इस संबंध में अपनी नीति पर फिर से विचार करने के लिए राजी करने के लिए" स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका शुरू की।

    पीठ ने कहा कि न्यायालय प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, पर्यावरण, वन और वन्यजीवों के संरक्षण, प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम, प्रबंधन और शमन तथा सतत विकास लक्ष्यों के संबंध में राज्य की मौजूदा नीतियों का जायजा लेगा।