जल संकट से लड़ने में नवाचार का 'रोल मॉडल' बना राजनांदगांव
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले ने जल संरक्षण में अनूठी मिसाल पेश की है। यहाँ जिला पंचायत ने ग्रामीणों के सहयोग से 25000 से अधिक जल संरचनाएँ बनाई हैं जिनमें सोख्ता गड्ढा इंजेक्शन वेल पर्कोलेशन टैंक और रिचार्ज शाफ्ट शामिल हैं। मनरेगा के तहत बने इन ढांचों से भूजल स्तर में सुधार हुआ है। मध्यप्रदेश सहित कई राज्य इस मॉडल को अपनाने में रुचि दिखा रहे हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पानी की किल्लत से जूझते देश के लिए छत्तीसगढ़ का राजनांदगांव जिला एक उदाहरण बन गया है। जब केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट ने जिले में गिरते भूजल स्तर के खतरे से आगाह किया, तो प्रशासन ने पारंपरिक तरीकों से हटकर 'नवाचार की क्रांति' छेड़ी। इस अनोखे और बड़े अभियान ने न केवल जल संरक्षण का एक नया माडल पेश किया है, बल्कि इसे देश का पहला ऐसा जिला भी बना दिया है, जिसने जल संचयन के लिए इतनी बड़ी संख्या में अत्याधुनिक संरचनाएं तैयार की हैं।
2022 से जारी इस अभियान में जिला पंचायत ने ग्रामीणों के साथ मिलकर 25,000 से अधिक जल संरचनाएं बनाई हैं। इनमें 22 हजार से अधिक सोख्ता गड्ढा यानी रिचार्ज पिट, सोक पिट शामिल है। साथ ही 400 इंजेक्शन वेल, 1200 से ज्यादा पर्कोलेशन टैंक और 273 से अधिक रिचार्ज शाफ्ट हैं। इन अधोसंरचनाओं को न्यूनतम लागत और श्रमदान से तैयार किया गया है। मनरेगा के तहत इसमें काम किया गया है। महिला समूहों की ओर जनजागरूकता और लोगों को श्रमदान के लिए प्रेरित करने का कार्य किया गया है।
जिला पंचायत सीईओ सुरुचि सिंह ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में आधुनिक उपायों का उपयोग पूरे देश में कहीं नहीं हुआ है। इन संरचनाओं के लिए उपयुक्त स्थानों का चयन जीआइएस और राजस्व नक्शों की मदद से किया गया, जिससे अधिकतम प्रभाव सुनिश्चित हो सके। इस पूरी योजना में सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के विशेषज्ञों ने भी काफी मदद की है।
मध्यप्रदेश सहित तीन राज्यों ने दिखाई रुचि
राजनांदगांव की इस मुहिम की सफलता पर पूरे देश की नजर है। नेशनल वाटर मिशन में इसे दो बार प्रस्तुत किया गया है। कई प्रदेश सरकारों ने सीधे जिले में संपर्क कर जल संरक्षण के इस अभियान की पूरी जानकारी मांगी है, ताकि वे भी इसे अपने राज्यों में शुरू कर सकें। इनमें मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, तेलंगाना जैसे दूसरे अन्य राज्य शामिल हैं। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे कई राज्यों ने इस माडल को अपनाने में रुचि दिखाई है।
गांव बरगा में रिचार्ज शाफ्ट से बोर में भरपूर पानी
ग्राम पंचायत बरगा में भी इंजेक्शन वेल, पर्कोलेशन टैंक और रिचार्ज साफ्ट का स्ट्रक्चर बनाया गया है। सरपंच विनोद कंवर ने बताया कि भूजल का स्तर गिर जाने से बोर से पानी कम आने लगा था, लेकिन रिचार्ज शाफ्ट का प्रयोग किए जाने के बाद बोर से भरपूर पानी मिल रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इससे और भी बड़े फायदे होने की उम्मीद हैं। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी इस प्रोजेक्ट का जायजा लेने आ चुके हैं।
ऐसे काम करते हैं आधुनिक तरीके
इंजेक्शन वेल: बारिश का पानी फिल्टर टैंक से गुजरने के बाद सीधे गहरे बोरवेल या कुएं में पहुंचाया जाता है।
पर्कोलेशन टैंक: वर्षा जल को बड़े टैंक में जमा किया जाता है, जो धीरे-धीरे रिसकर भूजल स्तर को रिचार्ज करता है।
रिचार्ज शाफ्ट: ये शाफ्ट फिल्टरिंग लेयर के जरिए गंदगी हटाकर शुद्ध पानी को सीधे जमीन के नीचे पहुंचाते हैं।
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