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    Waqf Law: 'सैकड़ों साल पुरानी मस्जिदों...' सिब्बल-सिंघवी की दलीलों पर क्या बोले CJI? पढ़ें सुनवाई डे-1 में क्या-क्या हुआ

    Updated: Wed, 16 Apr 2025 06:57 PM (IST)

    वक्फ कानून (Waqf Law) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई।वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या किसी हिंदू ट्रस्ट के बोर्ड में भी गैर-मुस्लिम सदस्य हैं. कोर्ट ने तिरुमाला तिरुपति बाला जी का भी जिक्र किया। वहीं कपिल सिब्बल और अभिषेक मनुसिंघवी की दलीलों पर भी केंद्र ने जवाब दिया।

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    वक्फ कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई।(फोटो सोर्स: जागरण)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ कानून (Waqf Law) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज (16 अप्रैल) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है। बता दें कि वक्फ कानून के खिलाफ करीब 70 याचिकाओं पर अदालत सुनवाई कर रही है।

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    एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, सहित अन्य याचिकाकर्ता के वकील कोर्ट में उपस्थित थे। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता पैरवी कर रहे हैं। कोर्ट अब अगली सुनवाई गुरुवार दोपहर 2 बजे करेगा।

    वक्फ कानून के मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने क्या-क्या बड़ी बातें कही?

    सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा, "केवल मुस्लिम ही बोर्ड का हिस्सा हो सकते थे। अब हिंदू भी इसका हिस्सा होंगे। यह अधिकारों का हनन है। आर्टिकल 26 कहता है कि सभी मेंबर्स मुस्लिम होंगे। यहां 22 में से 10 मुस्लिम हैं। अब कानून लागू होने के बाद से बिना वक्फ डीड के कोई वक्फ नहीं बनाया जा सकता है।

    सिब्बल की इस टिप्पणी पर CJI जस्टिस खन्ना ने कहा,"इसमें क्या समस्या है? जस्टिस कुमार ने कहा, 'हमें उदाहरण दीजिए। क्या तिरुपति बोर्ड में भी गैर-हिंदू हैं।

    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा," क्या वह मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है। हिंदुओं के दान कानून के मुताबिक, कोई भी बाहरी बोर्ड का हिस्सा नहीं हो सकता है। वक्फ प्रॉपर्टी है या नहीं है, इसका फैसला अदालत को क्यों नहीं करने देते।"

    14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिद कहां से दिखाएंगे दस्तावेज: कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बाई यूजर के प्रावधान पर भी सवाल किया। CJI खन्ना ने कहा कि कई पुरानी मस्जिदें हैं। 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें है, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। सीजेआई ने केंद्र से पूछा कि ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर किया जाएगा? उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? ऐसे वक्फ को खारिज कर देने पर विवाद ज्यादा लंबा चलेगा।

    हम यह जानते हैं कि पुराने कानून का कुछ गलत इस्तेमाल हुआ, लेकिन कुछ वास्तविक वक्फ संपत्तियां हैं, जिनकी इस्तेमाल के दौरान लंबे समय से वक्फ संपत्ति के तौर पर पहचान हुई। वक्फ बाई यूजर मान्य किया गया है, अगर आप इसे खत्म करते हैं तो समस्या होगी।

    आर्टिकल 26 सभी धर्मों पर लागू होता है: कोर्ट

    सुनवाई के दौरान जब कपिल सिब्बल ने आर्टिकल 26 यानी धर्मनिरपेक्ष की बात कही तो सीजेआई ने कहा कि आर्टिकल 26 धर्मनिरपेक्ष, यह सभी कम्युनिटी पर लागू होता है। हिंदुओं के मामले में भी सरकार ने कानून बनाया है। संसद ने मुस्लिमों के लिए भी कानून बनाया है। आर्टिकल 26 धर्मनिरपेक्ष है। यह सभी कम्युनिटी पर लागू होता है।

    सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा, हम उस प्रावधान को चुनौती देते हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं।

    सरकार कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ बना सकते हैं जो पिछले 5 सालों से इस्लाम को मान रहे हैं? इतना ही नहीं राज्य कैसे तय कर सकता है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने के योग्य हूं?' वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है। अब ये 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेंगे। यह एक परेशानी है।

    सिब्बल की टिप्पणियों पर क्या बोले सॉलिसिटर जनरल?

    सिब्बल के इन सवालों पर केंद्र की ओर से SG तुषार मेहता ने कहा,"वक्फ का रजिस्ट्रेशन हमेशा अनिवार्य रहेगा। 1995 के कानून में भी ये जरूरी था। सिब्बल साहब कह रहे हैं कि मुतवल्ली को जेल जाना पड़ेगा। अगर वक्फ का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो वह जेल जाएगा। यह  नियम 1995 से लागू है।

    अदालत ने वक्फ बाई यूजर के प्रावधान पर भी सवाल किया। CJI खन्ना ने कहा कि कई पुरानी मस्जिदें हैं। 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिद है, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। सीजेआई ने केंद्र से पूछा कि ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर करेंगे? उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? ऐसे वक्फ को खारिज कर देने पर विवाद ज्यादा लंबा चलेगा।

    सीजेआई ने आगे कहा,"हम यह जानते हैं कि पुराने कानून का कुछ गलत इस्तेमाल हुआ, लेकिन कुछ वास्तविक वक्फ संपत्तियां हैं, जिनकी इस्तेमाल के दौरान लंबे समय से वक्फ संपत्ति के तौर पर पहचान हुई। वक्फ बाई यूजर मान्य किया गया है, अगर आप इसे खत्म करते हैं तो समस्या होगी।"

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