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    खराब खाना, दूषित पानी से बीमार हुए छात्र; सीहोर के VIT विश्वविद्यालय में बवाल के बाद जांच समिति ने दी रिपोर्ट

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 11:45 PM (IST)

    मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में वीआईटी विश्वविद्यालय में छात्रों द्वारा की गई तोड़फोड़ की जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रबंधन अनुशासन के नाम पर छात्रों के जीवन से खिलवाड़ कर रहा था। दूषित भोजन और पानी के कारण छात्र बीमार हो रहे थे, और शिकायतों को अनसुना किया जा रहा था। विश्वविद्यालय में तानाशाही रवैया अपनाया जा रहा था, और छात्रों को फेल करने की धमकी दी जा रही थी।

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    वीआईटी में खराब खाना, दूषित पानी से बीमार हुए छात्र। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में स्थित वेल्लोर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (वीआइटी) विश्वविद्यालय में पिछले दिनों छात्रों की ओर से की गई तोड़फोड़ और आगजनी की जांच के लिए बनी निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग की तीन सदस्यीय समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।

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    इसमें सामने आया है कि वीआइटी प्रबंधन अनुशासन के नाम पर विद्यार्थियों की जान से खिलवाड़ कर रहा था। दूषित भोजन और पानी की वजह से बच्चे बीमार होते रहे। प्रबंधन धमकियां देकर शिकायतों की अनदेखी करता रहा। बात मारपीट तक आई तो विद्यार्थियों का आक्रोश बेकाबू हो गया।

    शिक्षा मंत्री ने सार्वजनिक की रिपोर्ट

    प्रदेश के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने यह पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक की है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि विश्वविद्यालय परिसर में तानाशाह रवैया अपनाया जाता है। अधिकार उच्च स्तर पर केवल दो-तीन अधिकारियों तक ही केंद्रित है। शेष अधिकारी दिखावटी हैं। किसी तरह की शिकायत या प्रबंधन के खिलाफ बात करने पर विद्यार्थियों को फेल करने की धमकी दी जाती थी। आइकार्ड जब्त कर उन्हें परीक्षा में शामिल होने से रोकने, प्रायोगिक परीक्षा में कम अंक देने जैसे बातें भी सामने आई हैं। भोजन व्यवस्था की शिकायत करने पर विद्यार्थियों की सुनवाई नहीं होती है। यह कहा जाता है कि जो बना है, वो ही खाना पड़ेगा।

    15 हजार से अधिक छात्र विश्वविद्यालय में अध्ययनरत

    विश्वविद्यालय में करीब 15 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, जो छात्रावासों में रहते हैं। छात्रावासों में मेस की सेवाएं अत्यंत असंतोषजनक है। भोजन व जलपान की गुणवत्ता बेहद खराब है। छात्राओं द्वारा पेयजल में दुर्गंध आने की बात सामने आई है। पेयजल एवं अन्य जल संसाधनों का नियमित माइक्रोबायोलाजिकल आडिट का भी पालन नहीं किया जा रहा है। 10 दिन के अंदर 35 विद्यार्थियों को पीलिया से ग्रस्त होने की बात को प्रबंधन ने खुद ही स्वीकार किया है।

    हालांकि समिति की जांच में किसी विद्यार्थी की मौत का तथ्य सामने नहीं आया है। जांच में यह बात भी सामने आई कि विवि परिसर स्थित स्वास्थ्य केंद्र में कोई सुविधा नहीं है। वहां विद्यार्थियों के इलाज का कोई रिकार्ड तक नहीं मिला। स्वास्थ्य केंद्र का पंजीयन भी नहीं पाया गया। उच्च शिक्षा विभाग ने इस रिपोर्ट के आधार पर वीआइटी के कुलाधिपति को नोटिस जारी कर सात दिन में स्पष्टीकरण मांगा है।

    बीमारी छिपाने में लगा रहा संस्थान

    जांच समिति ने साफ किया है कि पीलिया फैलने की जानकारी होने के बावजूद प्रबंधन उसे छिपाता रहा। उसके नियंत्रण का कोई उपाय नहीं किया गया। बीमारों को अस्पताल ले जाने के स्थान पर अपने घर जाने की सलाह दी गई। शिकायत करने पर उनके साथियों के साथ मारपीट हुई तो विद्यार्थी आक्रोशित हुए।