विनोद चौधरी ने नाक से टाइपिंग कर बनाया रिकॉर्ड
मैं अपने दोनों हाथों से टाइपिंग करने के साथ नाक से टाइपिंग का रिकॉर्ड बनाना चाहता हूं। इस प्रतिभा को उन लोगों को भी सिखाना चाहता हूं, जिनके पास हाथ नहीं है। दिल्ली निवासी विनोद कुमार चौधरी इस ख्वाइश के साथ अपनी खुशी जाहिर करते हैं। विनोद जेएनयू में संविदा पर टाइपिस्ट की नौकरी करते हैं।
नई दिल्ली [अभिनव उपाध्याय]। मैं अपने दोनों हाथों से टाइपिंग करने के साथ नाक से टाइपिंग का रिकॉर्ड बनाना चाहता हूं। इस प्रतिभा को उन लोगों को भी सिखाना चाहता हूं, जिनके पास हाथ नहीं है। दिल्ली निवासी विनोद कुमार चौधरी इस ख्वाइश के साथ अपनी खुशी जाहिर करते हैं। विनोद जेएनयू में संविदा पर टाइपिस्ट की नौकरी करते हैं। निम्न मध्यम वर्गीय परिवार के विनोद को नाक से टाइपिंग की प्रेरणा हैदराबाद के मुहम्मद खुर्शीद हुसैन को देखकर मिली।
विनोद बताते हैं कि मैंने जब खुर्शीद हुसैन को देखा कि यह नाक से अंग्रेजी के 103 अक्षर 47 सेकेंड की दर से टाइप कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड बना सकते हैं तो सोचा कि ऐसा मैं भी करता हूं। मैंने अभ्यास शुरू किया और आज अंग्रेजी के 103 अक्षर 45.8 सेकेंड में कर सकता हूं। इसके लिए मेरा नाम इंडिया बुक रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया। हालांकि मैंने खुर्शीद के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है, लेकिन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने के लिए और अभ्यास कर रहा हूं। साथ ही इसके लिए मैंने आवेदन भी कर दिया है।
विनोद बताते हैं कि मैं प्रतिदिन रात में इसका अभ्यास करता हूं। शुरू में लोग मेरा मजाक बनाते थे, लेकिन अब यही मेरी खूबी बन गई है। नाक से टाइपिंग करते समय दोनों हाथ पीछे बांध लेते हैं और की-बोर्ड को नाक से चलाते हैं। इस कामयाबी के प्रोत्साहन के लिए परिवार और जेएनयू के प्राध्यापकों ने सहयोग किया है। मेरी कोशिश है कि इस विधा को अक्षम लोगों को सिखाकर उनके जीवन को संवार सकूं।