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    जानिए, कारोबारी विजय माल्या केस में कब-कब क्या हुआ

    By Mohit TanwarEdited By:
    Updated: Tue, 18 Apr 2017 09:38 PM (IST)

    इंटरपोल की मदद से स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया है। बताया गया है कि उन्हें वेस्टमिंस्टर कोर्ट में पेश किया जाएगा।

    जानिए, कारोबारी विजय माल्या केस में कब-कब क्या हुआ

    नई दिल्ली, जेएनएन। शराब किंग विजय माल्या को लंंदन में गिरफ्तार कर लिया गया है। माल्या पर बैंकों के साथ धोखा-धड़ी करने का आरोप है। सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एसबीआई सहित 17 बैंकों के करीब 9,000 करोड़ रुपए का शराब किंग पर बकाया है।

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    बताया जा रहा है कि इंटरपोल की मदद से स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया है। बताया गया है कि उन्हें वेस्टमिंस्टर कोर्ट में पेश किया जाएगा।
     

     जानें विजय माल्या केस में कब क्या हुआ
    - 2 मार्च, 2016- 9400 करोड़ के देनदार विजय माल्या ने देश छोड़ा
    -18 अप्रैल, 2016- माल्या के खिलाफ गैर जमानती वारंट
    - 24 अप्रैल, 2016 विजय माल्या का पासपोर्ट रद्द हुआ
    -29 अप्रैल, 2016 भारत ने ब्रिटेन से माल्या को लौटाने के लिए कहा
     -9 मई, ईडी ने इंटरपोल से नोटिस की मांग की
    -18 अप्रैल, 2017- विजय माल्या लंदन में गिरफ्तार 

    भारत ने इस साल आठ फरवरी को औपचारिक तौर पर ब्रिटेन सरकार को भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि के तहत माल्या के प्रत्यर्पण का औपचारिक आग्रह किया था।

    यह भी पढ़ें: नौ हजार करोड़ का कर्जदार कारोबारी विजय माल्या लंदन में गिरफ्तार

    बैंकों का माल्या पर कितना बकाया?
    (पैसा करोड़ रुपए में)
    एसबीआई-1600
    पीएनबी-800
    आईडीबीआई-800
    बैंक ऑफ इंडिया- 650
    यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया-430
    सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया-410
    यूको बैंक- 320
    कॉर्पोरेशन बैंक-310
    स्टेट बैंक ऑफ मैसूर-150
    इंडियन ओवरसीज बैंक-140
    फेडरल बैंक- 90
    पंजाब एंड सिंध बैंक-60
    एक्सिस बैंक-50

    कठिन है प्रत्यारोपण की राह

    ब्रिटेन से प्रत्यर्पण प्रक्रिया में कई चरण हैं, जिसमें न्यायाधीश द्वारा अरेस्ट वॉरेंट जारी करना भी शामिल है। वॉरेंट के मामले में संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है और शुरुआती पूछताछ के लिए कोर्ट के समक्ष पेश किया जाता है। प्रत्यर्पण सुनवाई के बाद अंतिम फैसला विदेश मंत्रालय द्वारा लिया जाता है।

    ब्रिटेन की जटिल कानूनी प्रणाली है। सबसे पहले जज को इस बात से संतुष्ट होना होगा कि माल्या पर भारत में जो आरोप लगाए गए हैं वह ब्रिटेन में भी आपराधिक श्रेणी में आते हैं या नहीं। लंदन कोर्ट के न्यायाधीश यह भी तय करेंगे कि क्या माल्या का प्रत्यर्पण उनके मानव अधिकारों के अनुरूप या असंगत तो नहीं है। यदि जज संतुष्ट हो जाते हैं तो इस मामले को अंतिम निर्णय के लिए विदेश मंत्रालय के पास भेजा जाएगा। माल्या के पास फैसले को हाई कोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का भी अधिकार है।

    क्या है एमएलएटी संधि?

    1992 में भारत और ब्रिटेन ने भारत-यूके परस्पर कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) पर हस्‍ताक्षर किए थे। भारत-यूके एमएलएटी में एक ऐसा प्रावधान है जहां आपराधिक जांच मामले में किसी व्यक्ति के स्थानांतरण की मांग की जा सकती है।