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Vidyanjali Scheme: जहां पढ़े, वहीं पढ़ाने और स्कूल बेहतर बनाने का मिलेगा अवसर, जानें- क्या है सरकार की योजना

कोई भी व्यक्ति स्कूलों को बेहतर बनाने की इस मुहिम से जुड़ सकता है। इनके जरिये वह अपने हिसाब से मदद कर सकता है। वह इन स्कूलों में कुछ समय के लिए पढ़ाना चाहता है या बच्चों को विशेष हुनर से प्रशिक्षित करना चाहता है तो भी कर सकता है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 09:55 PM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 07:17 AM (IST)
Vidyanjali Scheme: जहां पढ़े, वहीं पढ़ाने और स्कूल  बेहतर बनाने का मिलेगा अवसर, जानें- क्या है सरकार की योजना
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिश के बाद शिक्षा मंत्रालय ने इस दिशा में उठाया अहम कदम

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने में अब सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि हर कोई अपने तरीके से योगदान दे सकेगा। ये योगदान बच्चों को पढ़ाने-लिखाने से लेकर उनके खाने-पीने से जुड़ी सुविधाओं को जुटाने व स्कूल के इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि से जुड़े होंगे। इसके तहत सरकार और स्कूलों का सबसे ज्यादा फोकस इन्हीं स्कूलों से पढ़े पूर्व छात्रों और ऐसे स्थानीय लोगों को इस मुहिम से जोड़ने को लेकर है, जो सेवानिवृत्ति हो चुके हैं और खुद को सामाजिक विकास से जुड़ी गतिविधियों में सक्रिय रखते हैं।

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शिक्षा मंत्रालय ने यह पहल उस समय की है, जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) में सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए जनभागीदारी पर जोर दिया गया है। मंत्रालय ने इसे लेकर विद्यांजलि 2.0 नाम की एक नई योजना शुरू की है। जिसके तहत कोई भी व्यक्ति स्कूलों को बेहतर बनाने की इस मुहिम से जुड़ सकता है। इनके जरिये वह अपने हिसाब से मदद कर सकता है। जरूरी नहीं कि यह मदद आर्थिक ही हो। यदि वह इन स्कूलों में कुछ समय के लिए पढ़ाना चाहता है या बच्चों को किसी खेल या विशेष हुनर से प्रशिक्षित करना चाहता है, तो वह भी कर सकता है। इसके लिए उन्हें स्कूल को पहले बताना होगा। वहीं स्कूलों की ओर से भी समय-समय पर अपनी जरूरतों का ब्योरा आनलाइन मुहैया कराया जाएगा। जिसके आधार पर कोई भी उन्हें संबंधित योगदान दे सकेगा।

फिलहाल इस पूरी कवायद के पीछे शिक्षा मंत्रालय का जो मुख्य मकसद है, वह सरकारी स्कूलों के प्रति आम लोगों में भरोसा जगाना है। मौजूदा समय में ज्यादातर लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल की जगह निजी स्कूल में पढ़ाना पसंद कर रहे हैं। माना जा रहा है कि लोग जब इस पहल से जुड़ेंगे तो सरकारी स्कूलों की पैरवी करेंगे। स्कूलों की गुणवत्ता बेहतर रखने पर उनका फोकस होगा। मिड-डे मील की गुणवत्ता को लेकर भी सरकार ने स्थानीय जुड़ाव पर जोर दिया है जिसके बेहतर परिणाम भी मिले हैं।

इन क्षेत्रों में कर सकेंगे सहयोग

इस योजना के तहत पढ़ाई-लिखाई के साथ स्कूलों से जुड़े जिन प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग किया जा सकता है, उनमें स्कूलों के छोटे-मोटे निर्माण, इलेक्टि्रक इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे पंखा, वायरिंग व वाटर कूलर आदि के साथ डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर जिसमें कंप्यूटर, प्रिंटर व डिटिजल बोर्ड आदि शामिल हैं। इसके साथ ही खेलकूद, योगा, स्वास्थ्य व सुरक्षा और अतिरिक्त गतिविधियों जैसे जिम आदि से जुड़े उपकरण, टी¨चग लर्निंग मैटेरियल, आफिस स्टेशनरी, फर्नीचर, आदि शामिल है।

यह कर सकेंगे मदद

योजना के तहत जो लोग इसमें जनभागीदारी कर सकते हैं, उसमें पूर्व छात्र, सेवानिवृत्ति शिक्षक, वैज्ञानिक, बैंक कर्मी, सेना और अर्धसैनिक बलों से जुडे़ लोग, सेल्फ इम्प्लायड, सैलरीड प्रोफेशनल्स, स्किल से जुड़ा कोई भी व्यक्ति या कोई भी सामान्य व्यक्ति, कंपनी, संस्था आदि इसमें अपने तरीके से सहयोग दे सकेंगे।

कैसे संचालित होगी यह योजना

मंत्रालय ने फिलहाल जो योजना बनाई है, उसके तहत सभी स्कूलों को विद्यांजलि पोर्टल से यूडीआइएसई प्लस (यूनिफाइड डिस्टि्रक्ट इनफार्मेशन सिस्टम फार एजुकेशन) कोड के जरिए जोड़ा जाएगा। जहां स्कूल अपनी जरूरतों का ब्योरा दे सकेंगे। साथ ही जो लोग स्कूलों को मदद देना चाहते हैं, वे स्कूलों से सीधे संपर्क करने के साथ ही आनलाइन भी अपनी ओर से दिए जाने वाले सहयोग की जानकारी देंगे। जो उनके आसपास के स्कूलों को भेज दी जाएगी।


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