Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Video: सड़क कि‍नारे महिला ने CPR देकर बचाई मासूम की जान, बिजली का झटका लगने के बाद थम रही थी सांसे

    Updated: Sun, 19 May 2024 02:31 PM (IST)

    आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में 6 वर्षीय बच्‍चे को बिजली का जोरदार झटका लग गया और वह बेहोश हो गया। इसके बाद सड़क पर बच्‍चे का पिता उसे अस्‍पताल ले जाने के लिए परेशान दिखा। तभी वहां से गुजर रही एक महिला डॉक्‍टर की नजर बच्‍चे पर पड़ी। डॉक्‍टर बिना समय बर्बाद कि‍ए स्थिति का आकलन करते हुए तुरंत रुक गईं और सीपीआर दिया जिससे उसकी सांसे फिर चलने लगी।

    Hero Image
    मासूम को सीपीआर देते हुए महिला डॉक्‍टर। (वीडियो का स्‍क्रीनग्रैब) क्रेडिट- X@@sudhakarudumula

    डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में 6 वर्षीय बच्‍चे को बिजली का जोरदार झटका लग गया और वह बेहोश हो गया। इसके बाद सड़क पर बच्‍चे का पिता उसे अस्‍पताल ले जाने के लिए परेशान और बिलखता दिखा। तभी वहां से गुजर रही एक महिला डॉक्‍टर की नजर बच्‍चे पर पड़ी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    डॉक्‍टर बिना समय बर्बाद कि‍ए स्थिति का आकलन करते हुए तुरंत रुक गईं और लड़के की स्थिति की गंभीर (सांस नहीं लेना और कमजोर नाड़ी) महसूस करते हुए सड़क के किनारे ही कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) देना शुरु कर दिया। पांच मिनट बाद ही लड़के की सांसें फिर से चलने लगीं।

    फिर लड़के को नजदीकी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। 24 घंटे की निगरानी अवधि के बाद लड़के को छुट्टी भी मिल गई। इस घटना का वीडियो पत्रकार सुधाकर उडुमुला ने अपने एक्‍स हैंडल पर साझा किया है, जिसे अबतक लाखों लोग देख चुके हैं। वहीं, सैकड़ों प्रतिक्रियाएं भी आई हैं। 

    क्‍या होता है सीपीआर?

    सीपीआर यानी कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन एक तरह की प्राथमिक चिकित्सा (फर्स्ट एड) है। यह तब दिया जाता है जब किसी पीड़ित व्‍यक्ति को सांस लेने में तकलीफ हो या उसकी सांसे बंद हो रही हों और वह बेहोश जो जाए। ऐसा कर उसकी जान बचाई जा सकती है।

    कि‍न मौकोंं पर देना चाहिए सीपीआर?  

    बिजली का झटका लगने, पानी में डूबने और दम घुटने जैसी स्थिति‍ में सीपीआर देकर मरीज को राहत दी जा सकती है। वहीं, दिल का दौरा पड़ने पर तो जितना जल्‍दी सीपीआर दे दिया जाए उतना अच्‍छा है। ऐसा करने से मरीज की जान बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।