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    उपराष्ट्रपति धनखड़: अनुशासन के लिए कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं, लोकतंत्र के मंदिर में मर्यादा का पालन जरूरी

    By Jagran NewsEdited By: Narender Sanwariya
    Updated: Tue, 25 Jul 2023 04:45 AM (IST)

    संसद भवन में भारतीय वन सेवा की 2022-24 शाखा के प्रशिक्षुओं के साथ बातचीत के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि कोई भी देश कोई भी व्यवस्था अनुशासन और मर्यादा के बिना विकसित नहीं हो सकती। जब अनुशासन और मर्यादा से समझौता किया जाता है तो संस्थानों को गंभीर नुकसान होता है। मैं आपसे अपील करता हूं कि मर्यादा और अनुशासन की कमी को कतई बर्दाश्त न करें।

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    उपराष्ट्रपति धनखड़: अनुशासन के लिए कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं, लोकतंत्र के मंदिर में मर्यादा का पालन जरूरी

    नई दिल्ली, एजेंसी। आप सांसद संजय सिंह को सोमवार को राज्यसभा से निलंबित किए जाने के कुछ घंटों बाद इसके सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि शिष्टाचार और अनुशासन लागू करने के लिए कभी-कभी कठोर निर्णय लेना आवश्यक होता है। भारतीय वन सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि राज्यसभा के सभापति के रूप में मैं एक तरीके से काम करता हूं। लोकतंत्र के मंदिर में मैं अपने अधीन हर चीज का उपयोग करता हूं। हमारे पास मर्यादा है। हमारे पास अनुशासन है। मर्यादा और अनुशासन लागू करने के लिए कभी-कभी हमें कठोर फैसला लेना पड़ता है। लेकिन, हमें इससे परहेज नहीं करना चाहिए, क्योंकि मर्यादा और अनुशासन हमारे विकास, प्रतिष्ठा और समृद्धि से जुड़ा हुआ है।

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    संसद भवन में भारतीय वन सेवा की 2022-24 शाखा के प्रशिक्षुओं के साथ बातचीत के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि कोई भी देश, कोई भी व्यवस्था अनुशासन और मर्यादा के बिना विकसित नहीं हो सकती। जब अनुशासन और मर्यादा से समझौता किया जाता है तो संस्थानों को गंभीर नुकसान होता है। मैं आपसे अपील करता हूं कि मर्यादा और अनुशासन की कमी को कतई बर्दाश्त न करें। मैं यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा हूं कि लोकतंत्र के मंदिर में हमारे पास मर्यादा और अनुशासन हो। मर्यादा बनाए रखने के लिए कदम उठाने में कभी संकोच न करें क्योंकि यह हमारी वृद्धि, प्रतिष्ठा और समृद्धि से जुड़ा है।