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    Parody Row: 'मैं खुद पीड़ित हूं', TMC सांसद द्वारा नकल उतारे जाने पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ हुए दुखी

    संसद के नए भवन की सीढ़ियों पर तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद द्वारा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की नकल उतारे जाने पर उन्होंने कहा कि तमाम अपमान सहने के बावजूद किसी को सेवा के रास्ते से कभी नहीं हटना चाहिए।धनखड़ ने कहा कि युवा अधिकारियों के रूप में उन्हें देश के विकास के प्रति उन लोगों से कभी डरना नहीं चाहिए जो व्यवधान डालते हैं। उन्होंने कहा- मैं खुद पीड़ित हूं।

    By Agency Edited By: Nidhi Avinash Updated: Sun, 24 Dec 2023 09:16 PM (IST)
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    TMC सांसद द्वारा नकल उतारे जाने पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ हुए दुखी (Image: ANI)

    पीटीआई, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को खुद को पीड़ित बताते हुए कहा कि तमाम अपमान सहने के बावजूद किसी को सेवा के रास्ते से कभी नहीं हटना चाहिए। भारतीय सांख्यिकी सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि वह उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति हैं, लेकिन लोग उन्हें भी नहीं छोड़ते।

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    धनखड़ ने कहा- 'क्या मुझे अपनी मानसिकता बदलनी चाहिए, नहीं। क्या इससे रास्ता भटक जाना चाहिए, नहीं।'उपराष्ट्रपति की टिप्पणी संसद के हाल में समाप्त हुए शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में व्यवधान और राज्यसभा से विपक्षी सदस्यों के बड़े पैमाने पर निलंबन के बाद आई है।

    'मैं खुद पीड़ित हूं'

    विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि असहमति की आवाज को दबाया जा रहा है, वहीं धनखड़ ने कहा कि सदन में गतिरोध को हल करने के लिए बातचीत के सभी प्रयास विफल होने के बाद निलंबन ही आखिरी कदम है।धनखड़ ने यह भी कहा कि युवा अधिकारियों के रूप में उन्हें देश के विकास के प्रति उन लोगों से कभी डरना नहीं चाहिए जो व्यवधान डालते हैं। उन्होंने कहा- 'मैं खुद पीड़ित हूं।'

    पीड़ित जानता है कि अंदर से कैसे झेलना है। सभी अपमान, सभी अनादर को झेल लें। हम भारत माता की सेवा में हैं। आपको ईमानदारी और उच्च मानक दिखाने होंगे।' खुद को पीड़ित बताते हुए धनखड़ परोक्ष रूप से उस घटना का जिक्र कर रहे थे, जहां संसद के नए भवन की सीढ़ियों पर तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद ने उनकी नकल उतारी थी।

    देश सभी का है और इससे सभी का विकास होगा

    उपराष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों को बताया कि महिला आरक्षण विधेयक तीन दशकों तक लंबित रहने के बाद संसद द्वारा लगभग सर्वसम्मति से पारित किया गया। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि हमारे पास बातचीत की संस्कृति है। टकराव में शामिल न हों, सहयोग करें। देश सभी का है और इससे सभी का विकास होगा।

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